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बड़ी खबर: AI करेगा मौत की भविष्यवाणी, जानें कैसे पता चलेगा कि आप कितना जिएंगे!

कोई व्यक्ति कितने दिन तक जियेगा, इस बात का अनुमान लगाने के लिए उत्तरी यूरोपीय देश Denmark में एक शोध किया जा रहा है. इसके लिए रिसर्चर लाखों लोगों का डेटा जमा कर उन पर काम कर रहे हैं. रिसर्चर ऐसे पैटर्न और संबंधों का पता लगाना चाहते हैं, जो स्वास्थ्य या सामाजिक जीवन की घटनाओं (Social Life-Events) की एक विस्तृत श्रृंखला की भविष्यवाणी कर सकते हैं.

जीवन के अंत तक के चरणों की भविष्यवाणी करने में मदद करने के लिए रिसर्चर एक एल्गोरिदम (Algorithm) विकसित कर रहे हैं, जिसे ‘Death Calculator’ कहा जा रहा है. इसे Life2Vec नाम दिया गया है. यह एक अभूतपूर्व आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) मॉडल (Tool) है, जिसे मौत के समय और वित्तीय पहलुओं की भविष्यवाणी करने के लिए डिजाइन किया जा रहा है. हालांकि अभी इसे रिसर्च के लेवल तक ही वि​कसित किया जा सका है.

टेक्निकल यूनिवर्सिटी ऑफ डेनमार्क (डीटीयू) के प्रोफेसर और नेचर कम्प्यूटेशनल साइंस जर्नल में हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन के लेखकों में से एक सुने लेहमैन (Sune Lehmann) ने समाचार एजेंसी AFP को इस बारे में जानकारी दी है. उन्होंने कहा, ‘मानव जीवन के बारे में भविष्यवाणियां करने का यह एक बहुत ही सामान्य तरीका है. यह किसी भी चीज की भविष्यवाणी कर सकता है, जब आपके पास एक प्रशिक्षण डेटा होता है.’

पैसा कमा पाएंगे या नहीं, पता चलेगा

लेहमैन के अनुसार, इस रिसर्च में संभावनाएं अनंत हैं. उन्होंने कहा, ‘यह स्वास्थ्य परिणामों की भविष्यवाणी कर सकता है. साथ ही यह प्रजनन क्षमता (Fertility) या मोटापे की भविष्यवाणी कर सकता है या आप शायद यह अनुमान भी लगा सकते हैं कि किसे कैंसर होगा या किसे कैंसर नहीं होगा. इससे यह भी अनुमान लगाया जा सकता है कि क्या आप बहुत सारा पैसा कमाने जा रहे हैं.’

यह एल्गोरिदम (गणना करने का एक मॉडल) ChatGPT के समान प्रक्रिया का उपयोग करता है, लेकिन इसके बजाय यह जीवन को प्रभावित करने वाले वैरिएबल्स जैसे जन्म, शिक्षा, सामाजिक लाभ या यहां तक कि वर्क शेड्यूल का भी विश्लेषण करता है. रिसर्चर्स की टीम उन नवाचारों (Innovations) को एडॉप्ट करने की कोशिश कर रही है, जो लैंग्वेज-प्रॉसेसिंग एल्गोरिदम को ‘मानव जीवन के विकास और पूर्वानुमान की जांच करने’ में सक्षम बनाते हैं.

लेहमैन ने कहा, ‘एक दृष्टिकोण से जीवन बस घटनाओं का क्रम है: लोग पैदा होते हैं, बाल रोग विशेषज्ञ के पास जाते हैं, स्कूल शुरू करते हैं, एक नए स्थान पर जाते हैं, शादी करते हैं, इत्यादि.’

60 लाख लोगों का डेटा लिया गया

‘Life2Vec’ AI Model का आधार आधिकारिक स्टैटिक्स डेनमार्क एजेंसी द्वारा एकत्र किया गया (डेनमार्क के) लगभग 60 लाख लोगों का अज्ञात डेटा है. इससे घटनाओं के क्रम का विश्लेषण करके अंतिम सांस तक जीवन के परिणामों की भविष्यवाणी करना संभव है.

जब मृत्यु की भविष्यवाणी करने की बात आती है, तो 78% मामलों में यह एल्गोरिदम सही पाया गया है. इसके अलावा जब यह भविष्यवाणी करने की बात आती है कि कोई व्यक्ति दूसरे शहर या देश में जाएगा या नहीं, तो यह 73% मामलों में सही साबित हुआ है.

लेहमैन ने कहा, ‘हम प्रारंभिक मृत्यु दर को देखते हैं. इसलिए हम 35 और 65 के बीच के एक बहुत ही युवा समूह को लेते हैं. फिर हम 2008 से 2016 तक 8 साल की अवधि के आधार पर यह अनुमान लगाने की कोशिश करते हैं कि क्या कोई व्यक्ति अगले चार वर्षों में मर जाएगा.’

हालांकि, Life2Vec अभी तक रिसर्च लेवल के बाहर उपयोग के लिए तैयार नहीं है. लेहमैन ने कहा, ‘अभी के लिए यह एक रिसर्च प्रोजेक्ट है, जहां हम पता लगा रहे हैं कि क्या संभव है और क्या नहीं.’ लेहमैन और उनके सहयोगी इसके दीर्घकालिक परिणामों के साथ-साथ जीवन और स्वास्थ्य पर सामाजिक संबंधों के प्रभाव का भी पता लगाना चाहते हैं.

धोखाधड़ी वाली वेबसाइट्स

फिर भी इस रिसर्च के सामने आने के तुरंत बाद एक नए ‘डेथ कैलकुलेटर’ के दावों को जन्म दे दिया है. कुछ धोखाधड़ी वाली वेबसाइट्स लोगों की जीवन प्रत्याशा (Life Expectancy) की भविष्यवाणी के लिए AI Programme का उपयोग करने की पेशकश के साथ धोखा दे रही हैं. अक्सर ये सब उनका व्यक्तिगत डेटा जमा करने के बदले में किया जा रहा है.

जन्म के समय Life Expectancy को इस रूप में परिभाषित किया जाता है कि अगर वर्तमान मृत्यु दर में बदलाव नहीं होता है, तो एक नवजात शिशु औसतन कितने समय तक जीवित रहने की उम्मीद कर सकता है. बहरहाल रिसर्चर इस बात पर जोर देते हैं कि यह AI Model निजी है और फिलहाल इंटरनेट या व्यापक शोध समुदाय के लिए उपलब्ध नहीं है.


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क्या खतरे हैं…

डेनिश डेटा एथिक्स विशेषज्ञ पर्निले ट्रानबर्ग (Pernille Tranberg) ने एएफपी को बताया कि यह विशेष रूप से सच है, क्योंकि बीमा कंपनियों जैसे व्यवसायों द्वारा पहले से ही ऐसे एल्गोरिदम का उपयोग किया जा रहा है.

उन्होंने कहा, ‘इसका इस्तेमाल हमारे खिलाफ भेदभाव करने के लिए किया जा सकता है. जैसे आपको अधिक बीमा प्रीमियम का भुगतान करना पड़ सकता है या आपको बैंक से ऋण नहीं मिल सकेगा या आपको सार्वजनिक स्वास्थ्य देखभाल न मिल सके, क्योंकि कंपनियों को पहले से पता होगा कि आप वैसे ही मरने वाले हैं.’

जब हमारी अपनी मौत की भविष्यवाणी करने की बात आती है, तो कुछ डेवलपर्स पहले से ही ऐसे एल्गोरिदम को व्यावसायिक बनाने की कोशिश कर चुके हैं. ट्रानबर्ग ने कहा, ‘इंटरनेट पर हम पहले से ही भविष्यवाणी करने वाली घड़ियां (Prediction Clocks) देख रहे हैं, जो दिखाती हैं कि हमें जिंदगी के लिए कितना वक्त मिलेगा. उनमें से कुछ बिल्कुल भी विश्वसनीय नहीं हैं.’

-भारत एक्सप्रेस

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