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जब आप रिटारमेंट की प्लानिंग करते हैं तो अलग-अलग पॉलिसीज में इन्वेस्ट करते हैं. वैसे तो बाजार में कई तरह के पेंशन प्लान मौजूद हैं, लेकिन फिर भी ज्यादातर लोगों को सरकार की नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) पर ज्यादा भरोसा है. लोग इसे रिटारमेंट के लिहाज से एक अच्छा विकल्प मानते हैं. ऐसे में एनपीएस आपके रिटायरमेंट को बेहतर बनाने के साथ ही इमरजेंसी फंड का एक बेहतर ऑप्शन साबित हो सकता है.
इसके साथ अगर NPS अकाउंट होल्डर को इमरजेंसी में अगर पैसों की जरूरत पड़ गई तो वो NPS अकाउंट से पैसे निकाल सकते हैं. इसके लिए भी एक पूरा प्रोसेस है. आइए जानते हैं नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) से जुड़ी इन सभी जरूरी बातों को.
नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) में अकाउंट होल्डर को रिटायरमेंट के बाद पेंशन का लाभ मिलता है, जिसमें नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों का योगदान होता है. इसके साथ अगर खाताधारक को रिटायरमेंट के पहले ही इमरजेंसी फंड की आवश्यकता होती है, तो आप रिटायरमेंट पर जमा राशि से 60% अमाउंट को निकाल सकते हैं. हालांकि इसमें से 40% राशि को पेंशन में डालना जरूरी है.
राष्ट्रीय पेंशन योजना में संचित राशि की एकमुश्त निकासी की प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए, नियामक पेंशन फंड नियामक और विकास प्राधिकरण (PFRDA) ने ‘व्यवस्थित एकमुश्त निकासी (SLW)’ विकल्प का प्रस्ताव दिया है, जो समय-समय पर कोष के 60% निकासी की अनुमति देता है. 60 वर्ष की आयु, प्रस्ताव के अनुसार, अभिदाता 75 वर्ष की आयु तक व्यवस्थित रूप से – मासिक, त्रैमासिक, अर्धवार्षिक या वार्षिक – एकमुश्त राशि के आवधिक भुगतान का विकल्प चुन सकते हैं.
मौजूदा दिशा-निर्देशों के अनुसार, 60 वर्ष की आयु में, सब्सक्राइबर एकमुश्त धनराशि के रूप में 60% तक की निकासी कर सकते हैं (न्यूनतम 40% वार्षिकी में स्थानांतरित किए जाने के साथ). हालांकि, सब्सक्राइबर्स के पास 75 साल तक एकमुश्त निकासी को टालने का विकल्प होता है. एकमुश्त निकासी को स्थगित करते समय, निवेशकों के पास वार्षिक आधार पर ‘चरणबद्ध निकासी’ का विकल्प भी होता है. इस तरह, ग्राहक हर साल आंशिक रूप से निकासी कर सकता है, लेकिन इसके लिए निवेशक को हर साल अलग से एक अनुरोध जमा करना होता है.
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