दुनिया

मस्क ने लॉन्च की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस कंपनी xAI, Google और ChatGPT को टक्कर देने की तैयारी

xAI: इनदिनों चैट जीपीटी की खूब चर्चा हो रही है. डेटा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बेस पर काम करने वाली इस नई तकनीक ने बड़ी-बड़ी कंपनियों की नींद उड़ा रखी है. अब इस ओपनएआई के चैटजीपी को टक्कर देने के लिए मस्क आगे आए हैं. टेस्ला और स्पेसएक्स के CEO और ट्विटर के मालिक एलन मस्क ने एक नई AI कंपनी की शुरुआत की है. उनकी इस AI कंपनी का नाम है xAI.इस कंपनी को लेकर मस्क ने अप्रैल माह में ही घोषणा कर दी थी.

बताया गया है कि XAI का इस्तेमाल बिल्कुल आसान होगा. यूर्जस मशीन लर्निंग एल्गोरिदम को आसानी से समझ पाएंगे. मस्क ने अप्रैल में TruthGPT या एक ऐसा AI टूल लॉन्च करने की बात कही थी को एकदम सच बताता हो और दुनिया की वास्तविक प्रकृति को समझता हो. अब उनका ये सपना पूरा हुआ है. बताया गया कि इस एआई कंपनी को मस्क खुद लीट करेंगे. हालांकि, उनकी टीम में एक ऐसे शख्स हैं जिन्होंने बड़ी-बड़ी कंपनियों में काम किया है, जिसमें गूगल के डीपमाइंड, माइक्रोसॉफ्ट कॉर्प और टेस्ला इंक शामिल हैं.

ये AI क्या है?

बता दें कि टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में इंसान ने इतनी तरक्की की है कि अब उसने खुद के जैसा सोचने-समझने और अपने दिमाग का इस्तेमाल करने वाला चलता फिरता मशीन रोबोट बना लिया है. जो बिल्कुल इंसानों की तरह काम करने की क्षमता रखता हो, इसी एडवांस टेक्नोलॉजी से बनने वाली मशीन को ही आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कहा जाता है. कहा जाता है कि आने वाले वक्त में एआई इंसानों से भी आगे निकल जाएगा. हालांकि, इसके बारे में अभी लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है. इसके फायदे-नुकसान भी बहुत हैं.

AI की वजह से खतरे में कई नौकरियां

कहा जाता है कि AI इतना पावरफुल है कि आने-वाले वक्त में इंसानों की जगह कंपनियों में इसी का इस्तेमाल होगा. इस एआई के कारण लगभग 30 करोड़ नौकरियों का खतरा हो सकता है और 46 प्रतिशत प्रशासनिक कार्य एआई निपटा सकता है. इतना ही नहीं आने वाले वक्त में कानूनी कार्य भी एआई से किया जा सकेगा. लेबर का काम भी एआई ही करेगा. कलाकारों का काम भी इस एआई से कराया जा सकता है. रिपोर्ट को देखते हुए हम ऐसा कह सकते हैं कि यह तकनीक जिस तरह साल 1980 से लेकर अब तक तरक्की कर रही है उससे नौकरियों के मिलने के वजाये नौकरियां से हटाने के मौके ज्यादा आ रहे हैं. हालांकि कई लोगों का यह भी मानना है कि इससे प्रोडेक्टिविटी भी बढ़ेगी, इससे एक तरह की औधागिक क्रांति आ सकती है.

-भारत एक्सप्रेस

Rakesh Kumar

Sr. Sub-Editor

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