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गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली भारतीय मूल के कैसे, कौन हैं गिरमिटिया मजदूर, कैसे पहुंचे वहां

ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुयाना (Guyana) पहुंचे हैं. भारत के 56 सालों के इतिहास में पीएम मोदी गुयाना की यात्रा करने वाले पहले प्रधानमंत्री हैं. इससे पहले 1968 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने गुयाना की यात्रा की थीं. गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली (Irfaan Ali) ने पीएम मोदी को गुयाना आने कि लिए निमंत्रण भेजा था.

गुयाना की संसद को संबोधित करेंगे मोदी

पीएम मोदी की 16-21 नवंबर तक चलने वाली तीन देशों की पांच दिवसीय यात्रा का यह आखिरी पड़ाव है. वे गुयाना की दो दिवसीय यात्रा पर हैं. एयरपोर्ट पहुंचने पर पीएम मोदी का गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली और उनके कैबिनेट मंत्रियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया. गुयाना की करीब 40 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है. राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं, जिनके पूर्वज 19वीं सदी की शुरुआत में मजदूर के तौर पर गुयाना पहुंचे थे. पीएम मोदी यात्रा के दौरान गुयाना की संसद को संबोधित करेंगे. साथ ही वह दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे.

कौन हैं गिरमिटिया मजदूर

19वीं सदी की शुरुआत में बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडू के गांवों से बड़ी संख्या में लोग जहाज के जरिए यूरोप के कई देशों में मजदूर के तौर पर गए थे. माना जाता है कि करीब 15 लाख भारतीयों को अपने गांव और देश से दूर मॉरीशस, सूरीनाम, गुयाना, हॉलैंड, त्रिनिदाद और फिजी जैसे देशों में भेजा गया और वे कभी वापस नहीं लौटे. इन्हीं मजदूरों को बाद में गिरमिटिया मजदूर कहा गया.

तब यूरोप का लगभग पूरी दुनिया पर दबदबा था. दास प्रथा खत्म होने के कारण इन देशों को सस्ते मजदूरों की जरूरत थी. दास प्रथा खत्म होने की वजह से कैरेबियाई देशों में गन्ने की खेती पर असर पड़ रहा था, जिसके लिए ऐसे सस्ते मजदूरों की जरूरत थी जो गर्मी में काम कर सकें. अंग्रेजों ने भारतीयों को बंधुआ मजदूर के तौर पर अपने उपनिवेशों में ले जाना शुरू कर दिया. गिरमिटिया मजदूर पहली बार 1838 में गुयाना पहुंचे थे. ये मजदूर मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश और तमिलनाडू के सूखे जिलों से आए थे.

2.4 लाख गिरमिटिया मजदूर गुयाना पहुंचे

गिरमिटिया मजदूरों ने गुयाना की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया. वे चीनी, गन्ना और अन्य फसलों की खेती में लगाए गए थे, जिससे गुयाना की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई. मगर गिरमिटिया मजदूरों को कई तरह के शोषण का भी सामना करना पड़ा. 1917 तक करीब 2.4 लाख गिरमिटिया मजदूर गुयाना पहुंच चुके थे. वर्तमान में गुयाना की करीब 40 फीसदी आबादी गिरमिटिया मजदूरों के वंशज हैं, जिन्होंने गुयाना को सींचा हैं. वर्तमान गुयाना के राष्ट्रपति इरफान अली भी भारतीय मूल के हैं.

-भारत एक्सप्रेस

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