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S Jaishankar: ‘अब कोई भी खतरा…’, इजरायल-हमास जंग के बीच भारतीय विदेश मंत्री बोले- हमें आतंकवाद स्वीकार्य नहीं

S Jaishankar : भारतीय विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने ग्लोबलाइज वर्ल्ड में होने वाली जंग के परिणामों को लेकर चेताया. इजरायल-हमास जंग के बीच उन्होंने रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का हवाला दिया. किसी भी जंग का असर दूर-दूर तक और लंबे समय तक रहता है.

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो फाइल)

विदेश मंत्री एस. जयशंकर (फोटो फाइल)

S Jaishankar On Israel Hamas War: पश्चिमी एशिया में छिड़ी इजरायल-हमास जंग के बीच भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बड़ा बयान दिया है. जयशंकर ने कहा कि अब कोई भी खतरा बहुत दूर नहीं है. ग्लोबलाइज वर्ल्ड में होने वाली जंग का परिणाम सिर्फ उन्हीं इलाकों तक सीमित नहीं होता, जहां ये जंग हो रही है, बल्कि इसका असर दूर-दूर तक और उम्मीद से भी ज्यादा होता है. उन्‍होंने कहा- “दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे संघर्ष की वजह से अस्थिरता बनी हुई है, जिसका दुष्‍प्रभाव दूर-दूर तक पड़ा.”

विदेश मंत्री जयशंकर ने दुनियाभर में हो रही जियो-पॉलिटिकल उथल-पुथल पर चर्चा के दौरान रूस-यूक्रेन युद्ध के प्रभाव का हवाला देते हुए कहा कि हम रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर ये अनुभव कर चुके हैं. युद्ध का प्रभाव अभी मिडिल ईस्ट में क्या हो रहा है? यह 15 दिन बाद भी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है. अलग-अलग क्षेत्रों में छोटी-छोटी घटनाएं हो रही हैं, उनका प्रभाव पड़ता ही है. जिसका असर दूरगामी और ज्‍यादा प्रभावकारी होता है.

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‘हमें जंग और आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है’

आतंकवाद का जिक्र करते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि मैं आतंकवाद के बारे में बात करूं तो, इसे लंबे समय से सत्ता चलाने के बेहतरीन उपाय के तौर पर विकसित किया गया और इसे लगातार बढ़ाया गया. जिसका दुनिया पर बड़ा बुरा असर पड़ा, तो मूल बात ये है कि हमें जंग और आतंकवाद स्वीकार्य नहीं है. उन्होंने कहा कि जब कट्टरपंथ और उग्रवाद की बात आती है तो मेटास्टेसिस (रूप-परिवर्तन) के खतरे को कम आंकना बड़ी मिस्‍टेक होगी. उन्‍होंने कहा- अब कोई भी खतरा बहुत दूर नहीं है, हिंसक घटनाओं का असर दूर-दूर तक और उम्मीद के कहीं ज्यादा होता है.

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‘द्विध्रुवीय दुनिया का इतिहास पुराना है’

बाइपोलर वर्ल्ड (द्विध्रुवीय दुनिया) के बारे में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि द्विध्रुवीय दुनिया का इतिहास पुराना है. अमेरिका और सोवियत यूनियन जब दो ध्रुव थे, उस दौर में भी द्विध्रुवीय दुनिया काफी दूर थी. मुझे नहीं लगता कि अमेरिका और चीन वास्तव में दो ध्रुव बन सकेंगे. उन्‍होंने कहा- आज बहुत सारी ताकतें हैं, जिनका खासा असर है. इसलिए, द्विध्रुवीय दुनिया है..यह ग्लोबलाइज वर्ल्ड है.

— भारत एक्सप्रेस



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