वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के एक नजदीकी एस्ट्रॉयड रयूगु (Asteroid Ryugu) से लौटे नमूने में एक चौंकाने वाली खोज की है. इस नमूने में धरती के सूक्ष्मजीवों (Microorganisms) की मौजूदगी पाई गई. यह खोज हैरान करने वाली थी, लेकिन जांच में यह पाया गया कि एस्ट्रॉयड के नमूने पर मौजूद बैक्टीरिया धरती से ही थे.
यह नमूना जापान के हायाबुसा-2 स्पेसक्राफ्ट (Hayabusa2 Spacecraft) द्वारा लाया गया था. हायाबुसा-2 को दिसंबर 2014 में लॉन्च किया गया था. यह जून 2018 में एस्ट्रॉयड रयूगु पर पहुंचा. लगभग 900 मीटर व्यास (Diameter) वाले इस एस्ट्रॉयड का एक साल तक रिसर्च करने के बाद, स्पेसक्राफ्ट ने रयूगु की सतह से 5.4 ग्राम वजनी चट्टान का एक नमूना इकट्ठा किया था. यह नमूना दिसंबर 2020 में पृथ्वी पर वापस लाया गया. इसे प्रदूषण से बचाने के लिए विशेष वैक्यूम रूम और प्रेशराइज्ड नाइट्रोजन से भरे कैनिस्टर्स में रखा गया. इसके बाद इस चट्टान के छोटे-छोटे हिस्से दुनियाभर के अलग-अलग रिसर्च सेंटर्स में भेजे गए.
शोधकर्ताओं का मानना है कि नमूने के एक हिस्से के साथ यह सावधानी पूरी तरह कारगर नहीं हो पाई और वह धरती के वातावरण के संपर्क में आ गया.
इम्पीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक मैथ्यू गेंज (Matthew Genge) और उनकी टीम ने इस नमूने का अध्ययन किया. गेंज ने बताया, “हमने नमूने में सूक्ष्मजीव देखे. वे धीरे-धीरे पत्थर पर फैले और बाद में मर गए.”
इन संरचनाओं को फिलामेंटस (Filamentous) कहा गया, जो संभवतः बैसिलस (Bacillus) जैसे सामान्य बैक्टीरिया समूह से संबंधित हो सकते हैं. हालांकि, बिना DNA विश्लेषण के इनकी पहचान नहीं हो सकी.
शुरुआत में वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि ये सूक्ष्मजीव बाहरी अंतरिक्ष से आए हो सकते हैं. लेकिन इनकी संरचना, विकास दर और आकार को देखते हुए यह स्पष्ट हुआ कि ये धरती के ही जीव थे.
गेंज ने बताया कि नमूने के शुरुआती विश्लेषण के दौरान कोई भी सूक्ष्मजीव नहीं पाया गया. लेकिन जैसे ही नमूना पृथ्वी के वातावरण के संपर्क में आया, केवल एक सप्ताह में सूक्ष्मजीव नमूने पर तेजी से फैलने लगे.
यह खोज दिखाती है कि धरती के सूक्ष्मजीवों में कहीं भी जीवित रहने की अद्भुत क्षमता है. हालांकि, यह अंतरिक्ष मिशनों के लिए एक बड़ी चुनौती भी है. ये सूक्ष्मजीव अंतरिक्ष से लाए गए नमूनों को आसानी से दूषित कर सकते हैं.
Note: ये रिसर्च मेटियोरिटिक्स एंड प्लेनेटरी साइंस (Meteoritics & Planetary Science) नामक जर्नल में प्रकाशित हुआ है.
-भारत एक्सप्रेस
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