राष्ट्रीय विद्रोह दिवस (10 मार्च) के अवसर पर तिब्बतियों ने ऑस्ट्रिया के वियना में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ चीनी दूतावास के सामने शुक्रवार (स्थानीय समयानुसार) विरोध प्रदर्शन किया. यह धरना सुबह 10 बजे से शुरू होकर 11 बजे तक चला. इस विरोध प्रदर्शन में लगभग 150 तिब्बती प्रवासी सदस्यों ने भाग लिया.
सुबह 11 बजे चीनी दूतावास से स्टीफ़नप्लैट्स, विएना तक एक शांतिपूर्ण मार्च आयोजित किया गया. स्टीफ़नप्लैट्स में, तिब्बत में सीसीपी द्वारा किए गए अत्याचारों के खिलाफ एक घंटे के प्रदर्शन पर प्रकाश डाला गया और चीन विरोधी पर्चे वितरित किए गए.
इसके साथ ही समुदाय के वरिष्ठ सदस्यों ने तिब्बत की वर्तमान स्थिति के बारे में बात की और बताया कि कैसे सीसीपी चीन में अल्पसंख्यकों को मार रही है और भाषण की स्वतंत्रता, पूजा की स्वतंत्रता और विरोध करने के अधिकार से वंचित करके बुनियादी मानवाधिकारों का दमन कर रही है.
तिब्बती युवा कांग्रेस के सदस्यों ने शुक्रवार को 64वें तिब्बती राष्ट्रीय विद्रोह दिवस के अवसर पर नयी दिल्ली स्थित चीनी दूतावास के समीप प्रदर्शन किया. पुलिस ने बताया कि प्रदर्शनकारी चीन सरकार की ‘कठोर नीतियों’ और तिब्बत पर ‘अवैध कब्जे’ के खिलाफ नारेबाजी की. पुलिस ने बताया कि दूतावास की ओर जाने की कोशिश कर रहे कई प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लेकर मंदिर मार्ग पुलिस थाने ले जाया गया.
दिल्ली पुलिस ने एहतियाती कदम के तहत दूतावास से करीब दो किलोमीटर दूर अवरोधक लगाए थे और इलाके में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा-144 (निषेधाज्ञा) लागू की थी. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि तिब्बती युवा कांग्रेस के 60 से अधिक सदस्यों ने दूतावास से कुछ किलोमीटर दूर लगाए गए अवरोधक के समीप संक्षिप्त प्रदर्शन किया.
अधिकारी ने बताया, ‘‘ जब प्रदर्शनकारियों ने अवरोध लांघकर दूतावास की ओर जाने की कोशिश की, तब हमने उन्हें हिरासत में लिया. एक बार स्थिति नियंत्रण में आने के बाद उन्हें रिहा कर दिया जाएगा.’’
तिब्बती युवा कांग्रेस द्वारा जारी बयान के मुताबिक उन्होंने 14वें दलाई लामा के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट की और तिब्बत की स्वतंत्रता को कायम करने के लिए चीन की कम्युनिस्ट सरकार के खिलाफ जारी प्रतिरोध के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी ‘तिब्बती शहीदों’ के प्रति एकजुटता प्रकट की.
बयान में कहा गया, ‘‘वर्ष 1949 में जब चीन की लाल सेना ने तिब्बत पर हमला किया और 14वें दलाई लामा को धमकाने के लिए असुरक्षा की स्थिति पैदा की तब पूरे तिब्बत की स्थिति 10 मार्च 1959 को गंभीर श्रेणी में पहुंच गई.’’
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तिब्बती युवा कांग्रेस ने कहा, ‘‘इसका नतीजा था कि तिब्बत के पारंपरिक तीनों क्षेत्रों ने एकजुट होकर पूरी जिम्मेदारी ली और चीनी सेना और उसके द्वारा तिब्बत पर लगाए गए आरोपों का प्रतिवाद किया.’’
गौरतलब है कि तिब्बती विद्रोह दिवस, 10 मार्च को मनाया जाता है, जो तिब्बत में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की उपस्थिति के खिलाफ 1959 के तिब्बती विद्रोह की याद दिलाता है.
-भारत एक्सप्रेस
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