घोसी उपचुनाव
Ghosi Bypoll: छह राज्यों की सात विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजे आने शुरू हो गए हैं. इनमें से त्रिपुरा के धनपुर में बीजेपी ने खाता खोल लिया है. अन्य दो सीटों पर बीजेपी उम्मीदवार आगे चल रहे हैं, लेकिन उत्तर प्रदेश के घोसी में बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ सकता है. उत्तराखंड में बागेश्वर, उत्तर प्रदेश में घोसी, केरल में पुथुपल्ली, पश्चिम बंगाल में धूपगुड़ी, झारखंड में डुमरी और त्रिपुरा में बॉक्सनगर और धनपुर में उपचुनाव हुए हैं. बीजेपी ने पूर्व मंत्री दारासिंह चौहान को और सपा ने सुधाकर सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया है. दारा सिंह चौहान कुछ दिन पहले ही सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे. आइये जानतें हैं घोसी में भाजपा की हार की वजह क्या रही?
दल बदल से परेशान घोसी की जनता
बता दें कि योगी सरकार के पहले टर्म में दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाया गया था. उनके पास वन एवं पर्यावरण जैसा महत्वपूर्ण विभाग दिया गया था. लेकिन उन्होंने साल 2022 में हुए विधानसभा चुनाव से पहले ही खेल कर दिया. दारा सिंह अब बीजेपी छोड़ सपा के हो लिए. लेकिन चुनाव में सपा की करारी हार हुई. प्रदेश में एकबार फिर से बीजेपी की सरकार बनी. योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बने. सपा की हार से निराश दारा सिंह एक बार फिर बीजेपी में वापस आ गए. पार्टी ने उन्हें घोसी का टिकट दे दिया. उन्होंने जो कुछ भी किया बहुत जल्दी-जल्दी किया. दारा सिंह को जनता से कनेक्ट करने का मौका नहीं मिला. कहीं न कहीं जनता भी दारा सिंह के बार -बार पार्टी बदलने से नाराज थी.
BJP का ओवर कॉन्फिडेंस
बता दें कि बीजेपी की हार की एक बड़ी वजह सीएम योगी का मैदान में देर से आना भी है. दरअसल, पूरे चुनाव के दौरान सपा प्रमुख अखिलेश यादव एक्टिव रहे. अपने प्रत्याशी सुधाकर सिंह के लिए कई जनसभाएं कीं. भाजपा पर निशाना साधने का कोई मौका नहीं छोड़ा. वहीं, सीएम योगी अंतिम समय में मैदान में आए. शायद तब तक जनता ने मन बना लिया था. कहीं न कहीं ये भी हार की एक बड़ी वजह रही.
पिछड़ों को साधने में असफल रही भाजपा
घोसी सीट पर पिछड़े वर्ग में 50 हजार राजभर, 45 हजार नोनिया चौहान, करीब 20 हजार मल्लाह निषाद, 40 हजार यादव, 5 हजार से अधिक कोइरी और करीब 5 हजार प्रजापति समाज के मतदाता हैं. अगड़ी जातियों में 15 हजार से अधिक क्षत्रिय, 20 हजार से अधिक भूमिहार, 8 हजार से ज्यादा ब्राह्मण और 30 हजार वैश्य मतदाता हैं. घोसी में इन्हीं की चलती है. अगर ये चाह लें तो रंक को राजा और राजा को रंक बना दे. भाजपा को पूरा भरोसा था कि पिछड़े वर्ग के वोट पार्टी उम्मीदवार को मिलेगी. लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
मुख्तार के समर्थकों का रुख
बता दें कि मऊ जिले को मुख्तार अंसारी का गढ़ माना जाता है. घोसी में मुख्तार के सजातीय करीब 50 हजार से अधिक अंसारी मतदाता हैं. मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी 2017 में घोसी से बसपा के टिकट पर चुनाव लड़कर दूसरे स्थान पर रहे थे. प्रदेश सरकार मऊ में अब मुख्तार के आपराधिक साम्राज्य के साथ राजनीतिक गढ़ भी ध्वस्त करने में जुटी है. ऐसे में मुख्तार के समर्थक प्रदेश सरकार से नाराज चल रहे थे. कहीं न कहीं इसका भी फायदा सपा के सुधाकर सिंह को हुआ है.
दारा सिंह पर फेंकी गई थी स्याही
दारा सिंह के प्रति लोगों में नाराजगी इस बात से पता चलती है कि थाना सराय लखांशी क्षेत्र के अदरी गांव के पास प्रचार के लिए पहुंचे थे, कार से उतरते ही बीजेपी कार्यकर्ताओं ने उनका स्वागत किया, इस दौरान एक युवक तेजी से उनकी ओर बढ़ा और उन पर स्याही फेंक दी. इस दौरान स्याही दारा सिंह चौहान की आंखों में भी चली गई, जिसके बाद वहां अफरा तफरी का माहौल हो गया. उनकी सुरक्षा में तैनात गार्ड आरोपी की ओर बढ़े लेकिन भीड़ होने की वजह से आरोपी मौके से फरार हो गया. इस दौरान स्याही से आसपास के लोगों के कपड़े भी खराब हो गए. दारा सिंह के बीजेपी के सदस्य भी नाराज थे.
-भारत एक्सप्रेस
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