Amit Shah on CRPC Bill: लोकसभा में तीन क्रिमिनल लॉ बिल पर चर्चा हुई. इस चर्चा का जवाब देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में कहा कि मोदी सरकार अंग्रेजों के जमाने के कानूनों में बदलाव कर रही है. आपराधिक न्याय प्रणाली में आमूल-चूल बदलाव किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से औपनिवेशिक कानूनों से मुक्ति की बात कही थी, उसी के तहत गृह मंत्रालय ने आपराधिक कानूनों में बदलाव के लिए गहन विचार किया.
अमित शाह ने कहा है कि नए कानूनों में महिलाओं और बच्चों को प्रभावित करने वाले कानूनों को प्राथमिकता दी गई है, उसके बाद मानव अधिकारों से जुड़े कानूनों और देश की सुरक्षा से संबंधित कानूनों को प्राथमिकता दी गई है. गृह मंत्री ने कहा कि ‘मॉब लिंचिंग’ घृणित अपराध है और नये कानून में इस अपराध में फांसी की सजा का प्रावधान है. उन्होंने कहा कि मैंने तीनों विधेयकों को गहनता से पढ़ा है और इन्हें बनाने से पहले 158 परामर्श सत्रों में भाग लिया है.
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IPC में अभी 511 धाराएं हैं. इसकी जगह पर भारतीय न्याय संहिता लागू होने के बाद इसमें 356 धाराएं बचेंगी. यानी 175 धाराएं बदल दी जाएंगी. 8 नई जोड़ी जाएंगी, 22 धाराएं खत्म होंगी. इसी तरह CrPC में 533 धाराएं बचेंगी. 160 धाराएं बदलेंगी, 9 नई जुड़ेंगी, 9 खत्म होंगी. पूछताछ से ट्रायल तक वीडियो कॉन्फ्रेंस से करने का प्रावधान होगा, जो पहले नहीं था.
- इंडियन एविडेंस एक्ट को हटाकर ‘भारतीय साक्ष्य अधिनियम’ लाने वाले बिल में लिखा है कि मौजूदा क़ानून पिछले कुछ दशकों में देश में हुई टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में तरक्की से मेल नहीं खाता इसलिए इसे बदलने की ज़रूरत है.
- सीआरपीसी को हटाकर ‘भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023’ नामक विधेयक संसद में पेश हुआ है. इसका उद्देश्य न्याय प्रक्रिया में देरी को रोकना बताया गया है.
- नएकानून में केस के निपटारे की टाइमलाइन होगी और इसमें फ़ॉरेंसिक साइंस के इस्तेमाल का भी प्रावधान होगा.
- अपने भाषण में अमित शाह ने कहा कि भारत में इस समय कन्विक्शन रेट काफ़ी कम है. फ़ॉरेंसिक साइंस की मदद से सरकार इसे 90 फ़ीसदी तक ले जाना चाहती है.
- इन तीनों विधेयकों में मौजूदा तीनों क़ानून में कई परिवर्तन करने के प्रावधान हैं. इसके तहत राजद्रोह को अब अपराध नहीं माना जाएगा.
- पहली बार कम्यूनिटी सर्विस को बतौर सज़ा के शामिल किया जा रहा है. अमित शाह ने कहा कि अब भी कम्यूनिटी सर्विस की सज़ा दी जाती है लेकिन इसका क़ानून में प्रावधान नहीं है. नए क़ानून में इसका प्रावधान होगा.
- कई अपराधों की सज़ा में भी बढ़ोतरी की गई है. मसलन गैंग रेप के मामले में फ़िलहाल कम से कम दस वर्ष की सज़ा का प्रावधान है. अब इसे बढ़ाकर बीस वर्ष किया जा रहा है.ट
- साक्ष्य क़ानून में अब इलेक्ट्रॉनिक इंफ़ोर्मेशन को शामिल किया गया है. साथ ही गवाह, पीड़ित और आरोपी अब इलेक्ट्रॉनिक तरीके से भी अदालत में पेश हो सकेंगे. अमित शाह ने कहा कि परिवर्तनों के साथ चार्जशीट दाख़िल करने से लेकर ज़िरह तक ऑनलाइन ही मुमकिन होगी.
- नए विधेयक में फ़ॉरेंसिक के इस्तेमाल और मुकदमे की सुनवाई की टाइमलाइन भी तय कर दी गई है. मिसाल के तौर पर सेशन कोर्ट में किसी केस में ज़िरह पूरी होने के बाद, तीस दिन के भीतर जजमेंट देना होगा. इस डेडलाइन को 60 दिन तक बढ़ाया जा सकता है.ट
- फ़िलहाल इसके लिए कोई समय सीमा तय नहीं है. इसके अलावा अब अदालतों को 60 दिन के भीतर चार्ज फ्रेम करने होंगे. नए बिल में सर्च के दौरान वीडियोग्राफ़ी का भी प्रावधान है
-भारत एक्सप्रेस
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