सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद के संबंध में मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए आयुक्त नियुक्त करने के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दी. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, इस मामले में हाई कोर्ट में सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन सर्वे करने के लिए कोर्ट कमिश्नर की नियुक्ति पर अंतरिम रोक रहेगी.
बता दें कि इससे पहले मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला देते हुए. हिंदू पक्ष की याचिका को स्वीकार कर लिया था और शाही ईदगाह परिसर के कोर्ट कमीशन सर्वे की मंजूरी दे दी थी. इसके साथ ही हाईकोर्ट ने ईदगाह कमेटी और वक्फ बोर्ड की दलीलों को खारिज कर दिया था.
इन लोगों ने दाखिल की थी याचिका
शाही ईदगाह में सर्वे की मांग के लिए भगवान श्रीकृष्ण विराजमान और 7 अन्य लोगों ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इन लोगों ने वकील हरि शंकर जैन, विष्णु शंकर जैन, प्रभाष पांडे और देवकी नंदन के माध्यम से इलाहाबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर कर परिसर में ASI सर्वे की मांग की थी. इन लोगों द्वारा दायर याचिका में दावा किया गया था कि भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान इस मस्जिद के नीचे है और वहां कई संकेत हैं जो बतलाते हैं कि मस्जिद एक हिंदू मंदिर था.
क्या है श्री कृष्ण जन्मभूमि विवाद?
काशी और मथुरा का विवाद कुछ-कुछ अयोध्या जैसा ही है. दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने काशी और मथुरा में मंदिर तोड़े और मस्जिदें बनवाईं. 1669 में औरंगजेब ने काशी में विश्वनाथ मंदिर को ध्वस्त कर दिया और 1670 में उसने मथुरा में केशवदेव मंदिर को तोड़ने का आदेश जारी किया. इसके बाद काशी में ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया गया. मथुरा में विवाद कुल 13.37 एकड़ जमीन पर मालिकाना हक को लेकर है. हिंदू पक्ष की ओर से शाही ईदगाह मस्जिद को हटाकर यह जमीन श्री कृष्ण जन्मस्थान को सौंपने की मांग की जा रही है. कई सालों तक जिला अदालतों में रहा. अब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परिसर में सर्वे कराने की अनुमति दे दी थी. जिस पर अब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है.
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