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वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया से दुर्व्यवहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट सख्त, यूपी सरकार को बंद पड़े CCTV पर नोटिस जारी

Supreme Court: शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस घटना और इस तथ्य से नाखुश है कि इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.

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सुप्रीम कोर्ट.

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायाधीश की उस रिपोर्ट पर गौर करने के बाद सोमवार को यूपी सरकार से जवाब मांगा जिसमें कहा गया है कि रखरखाव के लिए निधि की कमी के कारण अदालत परिसर में सीसीटीवी कैमरे खराब पड़े हैं. सुप्रीम कोर्ट ने गौतमबुद्ध नगर जिला अदालत में वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया के साथ की गई कथित हाथापाई का 21 मार्च को संज्ञान लिया था.

शीर्ष अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि वह इस घटना और इस तथ्य से नाखुश है कि इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है.

मामले में अगले सोमवार को होगी सुनवाई

चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (सीजेआई) डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा, ‘‘हम इस पर अगले सोमवार को सुनवाई करेंगे. भले ही उन्होंने (स्थानीय बार नेताओं ने) माफी मांग ली है, हम इसकी निंदा करेंगे… कोई भी वकील किसी अदालत (न्यायाधीश) और वकील को अदालत से जाने के लिए मजबूर नहीं कर सकता, हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.’’ इस पीठ में न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा भी शामिल हैं.

सरकार को नोटिस जारी

पीठ ने जिला न्यायाधीश अमित सक्सेना द्वारा दायर इस रिपोर्ट पर गौर किया कि जिला अदालत परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे खराब थे और इसलिए घटना की फुटेज प्राप्त नहीं की जा सकी. पीठ ने राज्य सरकार की वकील और वरिष्ठ अधिवक्ता गरिमा प्रसाद के माध्यम से उसे नोटिस जारी किया.

विरोध का मतलब हड़ताल नहीं है- CJI

इससे पहले, शीर्ष अदालत ने घटना पर संज्ञान लेते हुए जिला न्यायाधीश से घटना के सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने को कहा था. वकीलों द्वारा सहकर्मियों को अदालतों में प्रवेश करने से रोकने के मुद्दे पर प्रधान न्यायाधीश ने सोमवार को कहा, ‘‘विरोध का मतलब हड़ताल नहीं है. आप अदालत में प्रवेश नहीं कर सकते और वकीलों से यह नहीं कह सकते ‘चलो निकल जाओ यहां से.’ हम इसे बहुत गंभीरता से लेंगे.’’ सुनवाई की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) के अध्यक्ष आदिश अग्रवाल और सचिव रोहित पांडे ने कहा कि स्थानीय बार नेताओं ने खेद व्यक्त करते हुए एक पत्र लिखा है.

वरिष्ठ वकील गौरव भाटिया की ओर से पेश वरिष्ठ वकील एवं एससीबीए के पूर्व अध्यक्ष विकास सिंह ने अग्रवाल की दलील का विरोध करते हुए कहा कि स्थानीय बार नेताओं द्वारा ‘‘कोई खेद या अफसोस’’ व्यक्त नहीं किया गया और वे अपराधी की पहचान करने में भी विफल रहे.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर अदालत में पेश हुए नोएडा बार अध्यक्ष

वहीं, गौतमबुद्धनगर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष अधिवक्ता उमेश कुमार भाटी का कहना है कि “सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर आज हम उनके समक्ष उपस्थित हुए थे. कोर्ट में जिला जज के यहां से मिली कॉपियां सभी को प्राप्त कराई. इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सीसीटीवी फुटेज पर अपना रखने के आदेश दिए.”

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इससे पहले विकास सिंह ने पीठ के समक्ष इस मामले का उल्लेख किया था जिसके बाद प्रधान न्यायाधीश ने घटना पर स्वत: संज्ञान याचिका दर्ज करने का निर्देश दिया था. यह घटना बुधवार को जिला अदालत में हुई थी जहां वकील हड़ताल कर रहे थे. विकास सिंह ने शीर्ष अदालत को बताया था कि वकीलों ने कथित तौर पर दुर्व्यवहार किया और भाटिया का ‘कॉलर बैंड’ छीन लिया. एक महिला वकील भी पीठ के समक्ष पेश हुईं और दावा किया कि एक मामले में पेश होने के दौरान एक अलग अदालत में उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया गया था.

-भारत एक्सप्रेस



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