रथ यात्रा 2024.
Rath Yatra 2024 Importance of Coconut Wood: सनातन धार्मिक परंपरा में जगन्नाथ रथ यात्रा का खास महत्व है. आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को ओडिशा के पुरी शहर में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा की रथ यात्रा निकाली जाती है. इस यह यात्रा में देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु शामिल होते हैं. जगन्नाथ रथ यात्रा का यह उत्सव दस दिनों तक चलता है. रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को होता है. इस रथ यात्रा की खास बात ये है कि इसमें भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और बहन सुभद्रा के लिए जो रथ बनाए जाते हैं उनमें नारियल की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि ऐसा क्यों होता है. अगर नहीं तो आइए जानते हैं.
नारियल की लकड़ी से क्यों बनाए जाते हैं जगन्नाथ रथ यात्रा के रथ
पुरी में जगन्नाथ रथ यात्रा आरंभ होने से पहले तीन रथ तैयार किए जाते हैं. ये रथ भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और बलभद्र के लिए बनाए जाते हैं. तीनों ही रथों को नारियल की लकड़ी से बनाया जाता है. रथों में नारियल की लकड़ी इस्तेमाल किए जाने के पीछे दो वजह हैं. पहला यह कि नारियल को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है. यही वजह है कि नारियल का इस्तेमाल पूजा-पाठ और शुभ-मांगलिक कार्यों में किया जाता है.
शुद्धता को ध्यान में रखते हुए जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तीनों रथों का निर्माण नरियल की लकड़ी से किया जाता है. वहीं, दूसरी वजह यह है कि नारियल की लकड़ी हल्की होती है, जिससे रथ का वजन हल्का हो जाता है ताकि रथों को आसानी से खींचा जा सके. रथ यात्रा में सबसे बड़ा रथ भगवान जगन्नाथ का होता है.
कब से कब तक है जगन्नाथ रथ यात्रा
परंपरा के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा पूरे 10 दिनों तक चलती है. रथ यात्रा की शुरुआत आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से होती है. जबकि, रथ यात्रा का समापन आषाढ़ शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी के दिन होता है. पंचांग के मुताबिक, इस साल जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 7 जुलाई से होगी. वहीं, इस बार की रथ यात्रा का समापन 17 जुलाई को होगी.
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