अधिवक्ता भवन का लोकार्पण करते इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल
Allahabad High Court: इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल ने मंगलवार को प्रदेश भर से प्रयागराज आने वाले अधिवक्ताओं के लिए बनाए गए गेस्ट हाउस ‘अधिवक्ता भवन’ का लोकार्पण किया. इस दौरान मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल ने अधिवक्ताओं की हड़ताल और मुकदमों की बढ़ रही पेंडेंसी पर भी चिंता जाहिर की है. हालांकि उन्होंने कहा है कि लोक अदालतों के जरिए तेजी से लंबित मुकदमों का निस्तारण भी किया जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि यह गर्व की बात है कि मेरे आने के बाद आयोजित किए गए तीन लोक अदालतों में मुकदमों के निस्तारण में तेजी आई है. उन्होंने कहा है कि मुकदमों के निस्तारण में अधिवक्ताओं की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण है. चीफ जस्टिस ने कहा कि लोक अदालतों में मुकदमों का निस्तारण यूपी में सबसे अधिक है.
पुराने मामलों के लिए बनाया गया एक्शन प्लान
हाईकोर्ट (Allahabad High Court) के मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि जिला अदालतों में जो पुराने मामले लंबित हैं, उनके शीघ्र निस्तारण के लिए एक एक्शन प्लान बनाया गया है. जिसमें प्राथमिकता के आधार पर पुराने लंबित वादों का निस्तारण किया जा रहा है. जिसका पिछले दो क्वार्टर में 80 फीसदी तक सक्सेस रेट आया है.
स्टाफ की कमी है लंबित मुकदमों का बड़ा कारण- चीफ जस्टिस
इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) चीफ जस्टिस ने कहा है कि मुकदमों की पेंडेंसी का एक बड़ा कारण अदालतों में न्यायिक अधिकारियों और कर्मचारियों की भारी कमी भी है. उन्होंने कहा है कि सरकार से अनुरोध किया गया था और रिक्त पदों के सापेक्ष रिटायर्ड लोगों को रखे जाने की प्रक्रिया भी शुरू की गई है. मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि यूपी देश का सबसे बड़ा राज्य है. ऐसे में मुकदमों की पेंडेंसी होना भी स्वाभाविक है. उन्होंने कहा है कि लेकिन यह भी सही है कि मुकदमें तेजी से निस्तारित भी हो रहे हैं.
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वहीं, चीफ जस्टिस ने अधिवक्ताओं की हड़ताल की वजह से वादकारियों को न्याय मिलने में हो रही देरी और मुकदमों की बढ़ रही पेंडेंसी पर भी चिंता जाहिर की है. उन्होंने अधिवक्ताओं के साथ मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की बात कही है. चीफ जस्टिस ने वकीलों की हड़ताल को लेकर कहा है कि जिला अदालतों में जिला स्तर पर कमेटियां बनाई जाएं. उन्होंने कहा है कि अधिवक्ताओं की हड़ताल से न केवल वादकारियों बल्कि अधिवक्ताओं और न्यायपालिका का भी उतना ही नुकसान होता है.
-भारत एक्सप्रेस
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