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करिश्मा कपूर ने किया खुलासा, 90 के दशक में कैसे होती थी शूटिंग, ऐसे कपड़े बदलते थे एक्टर्स

Karisma Kapoor On 90s Shooting: करिश्मा ने बताया कि जब उन्होंने अपने करियर की शुरुआत की थी तो अभिनेताओं के पास वैनिटी वैन नहीं होती थी…

Karisma Kapoor On 90s Shooting

Karisma Kapoor On 90s Shooting

Karisma Kapoor On 90s Shooting: बॉलीवुड की जानी-मानी अदाकारा करिश्मा कपूर ‘अंदाज अपना अपना’, ‘कुली नंबर 1’ और ‘राजा हिंदुस्तानी’ जैसी फिल्मों के लिए जानी जाती हैं. हाल ही में पुरानी यादें ताजा करते हुए उन्होंने बताया कि जब उन्होंने बॉलीवुड में अपने करियर की शुरुआत की थी तो अभिनेताओं के पास वैनिटी वैन नहीं होती थी. जी हां एक्ट्रेस ने अपने पुराने दिनों को याद किया है. तो चाहिए आपको बताते हैं करिश्मा ने क्या-क्या कहां…

करिश्मा कपूर ने बताएं ये बदलाव (Karisma Kapoor On 90s Shooting)

दरअसल, डांसिंग रियलिटी शो ‘इंडियाज बेस्ट डांसर सीजन 4’ में जज के रूप में काम कर रही करिश्मा कपूर ने पिछले 40-50 वर्षों में फिल्म जगत में आए बदलावों के बारे में बात की है. करिश्मा ने बताया, ‘पहली फिल्म जिसमें मुझे मॉनिटर पर काम करने का मौका मिला, वह थी ‘दिल तो पागल है’. यह डांस ऑफ एन्वी शॉट के दौरान था. यश जी (यश चोपड़ा) को यह मिला, और आदित्य चोपड़ा और उदय चोपड़ा भी सेट पर थे… और हम तो पागल हो गए थे. हमने सोचा, ‘सच में? हम देख सकते हैं कि हमने एक शॉट में क्या किया है.’

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करिश्मा ने बताया कि उन्होंने 1991 में 16 साल की उम्र में ‘प्रेम कैदी’ से डेब्यू किया था. इस फिल्म में उनके साथ नवोदित हरीश कुमार थे. उन्होंने अपनी पहली सिंक साउंड फिल्म ‘जुबैदा’ के बारे में भी बताया, जिसमें उन्होंने काम किया था. उन्होंने याद किया, ‘मैंने एक और मील का पत्थर देखा. सिंक-साउंड वाली पहली फिल्म श्याम बेनेगल द्वारा निर्देशित जुबैदा’ थी. यह पहली फिल्म थी जिसमें हमने ‘रियल लाइफ साउंड के लिए लैपल माइक लगाए थे.’

‘पेड़ के पीछे बदलते थे कपड़े’ (Karisma Kapoor On 90s Shooting)

करिश्मा हिंदी सिनेमा में हुए प्रमुख तकनीकी उन्नति का जिक्र कर रही थीं, जब उद्योग स्टूडियो में पात्रों की डबिंग से आगे बढ़कर सिंक साउंड की ओर बढ़ा, जहां संवादों को सेट पर लाइव रिकॉर्ड किया जाता था, जिससे न केवल दृश्य प्रभावशाली हो जाते थे, बल्कि कहानी में अधिक गहराई भी आ जाती थी. उन्होंने कहा, ‘इस शो के सेट के बाहर जितनी वैन खड़ी है… हमारे पास ऐसा कुछ नहीं था। हम एक पेड़ के पीछे जाकर सीन के लिए अपने कपड़े बदलते थे. कभी-कभी हम शौचालय जाते थे… तो हां, पिछले 40-50 सालों में हमारी इंडस्ट्री में बड़े बदलाव हुए हैं.’

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