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फर्जी प्रमाण पत्र मामले में बर्खास्त ट्रेनी IAS पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से राहत

Puja Khedkar पर आरोप है कि उन्होंने 2022 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण पाने के लिए गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए.

delhi high court

दिल्ली हाईकोर्ट

Puja Khedkar: बर्खास्त ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर को गिरफ्तारी से मिली राहत को दिल्ली हाई कोर्ट ने 14 अक्टूबर तक बरकरार रखा है. कोर्ट 14 अक्टूबर को मामले में अगली सुनवाई करेगा. जस्टिस चंद्रधारी सिंह की बेंच पूजा खेडकर की ओर से दायर अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई करेगी. इस मामले में यूपीएससी ने भी हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर पूजा खेडकर पर कोर्ट में झूठा हलफनामा दाखिल करने का आरोप लगाया है.

12 अगस्त को दिल्ली हाई कोर्ट ने पहले दिल्ली पुलिस को पूजा खेडकर को 21 अगस्त तक गिरफ्तार न करने का निर्देश दिया था. जिसे बाद में धीरे-धीरे बढ़ा दिया गया. पूजा खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने 2022 यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में आरक्षण पाने के लिए गलत प्रमाण पत्र प्रस्तुत किए.

पूजा खेडकर के वकील ने यूपीएससी के इस दावे का जवाब देने के लिए अतिरिक्त समय मांगा था. पूजा खेडकर ने तर्क दिया था कि, उनके साथ जो कुछ भी हुआ वह एक अधिकारी के खिलाफ उनके द्वारा दर्ज की गई यौन उत्पीड़न की शिकायत का परिणाम था. उन्होंने अपने मामले पर मीडिया के रुख पर भी आपत्ति जताई थी. पूजा खेडकर के वकील ने यह भी मांग की थी कि कोई भी पक्ष प्रेस कॉन्फ्रेंस न करें.

दिल्ली पुलिस की ओर से पेश वकील ने कहा था कि एजेंसी मीडिया के प्रभाव से स्वतंत्र रूप से काम करती है, जबकि यूपीएससी के वरिष्ठ वकील ने तर्क दिया था कि खेडकर ने खुद को एक पब्लिक फिगर बना लिया है. 31 जुलाई को यूपीएससी ने खेडकर की बाकी उम्मीदवारी रद्द कर दी थी और आयोग सभी भावी परीक्षाओं और चयनों से उन्हें स्थायी रूप से प्रतिबंधित कर दिया था. यूपीएससी ने अपने आवेदन में आरोप लगाया है कि पूजा खेडकर ने अग्रिम जमानत याचिका में पेश अपने हलफनामे में झूठा बयान दिया है कि आयोग ने उनके बायोमेट्रिक एकत्र किए है.

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यूपीएससी ने यह तर्क देते हुए दावे को खारिज कर दिया है कि आयोग ने खेडकर के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान कोई बायोमेट्रिक एकत्र नहीं किया था. यूपीएससी ने कहा है कि आयोग ने अब तक आयोजित सिविल सेवा परीक्षाओं के व्यक्तित्व परीक्षण के दौरान किसी भी उम्मीदवार से कोई बायोमेट्रिक जानकारी एकत्र नहीं कि है. आयोग ने आगे आरोप लगाया है कि खेडकर ने अनुकूल आदेश प्राप्त करने के लिए अदालत को धोखा देने के एकमात्र उद्देश्य से झूठा बयान दिया.

-भारत एक्सप्रेस

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