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टेरर फंडिंग मामले में 15 अक्टूबर तक बढ़ी राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत

Terror Funding Cases: टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को पटियाला हाउस कोर्ट ने 15 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है.

Engineer Rashid IANS

इं​जीनियर राशिद. (फोटो: IANS)

Terror Funding Cases: टेरर फंडिंग मामले में तिहाड़ जेल में बंद बारामुला से सांसद राशिद इंजीनियर को मिली अंतरिम जमानत की अवधि को पटियाला हाउस कोर्ट ने 15 अक्टूबर तक के लिए बढ़ा दिया है. राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत की अवधि आज खत्म हो रही थी. राशिद इंजीनियर को जम्मू कश्मीर विधानसभा चुनाव में प्रचार प्रसार के लिए अंतरिम जमानत मिली हुई थी. बता दें कि पिछली बार राशिद इंजीनियर को 2 अक्टूबर तक जमानत मिली थी. उन्हें 2 अक्टूबर तक पटियाला हाउस कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी. 3 अक्टूबर को सरेंडर करना था. उसके बाद राशिद इंजीनियर की ओर से पेश वकील की गुहार पर राशिद इंजीनियर की अंतरिम जमानत की अवधि को 12 अक्टूबर तक बढ़ा दिया था, और 13 अक्टूबर को सरेंडर करने को कहा था. अब एक बार फिर राशिद.

पटियाला हाउस कोर्ट ने बढ़ाई जमानत की अवधि

इंजीनियर की अंतरिम जमानत की अवधि को पटियाला हाउस कोर्ट ने बढ़ा दिया है. राशिद इंजीनियर ने 2024 के लोकसभा चुनाव में बारामूला सीट पर जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला को हराया था. राशिद इंजीनियर शेख अब्दुल रशीद के नाम से भी जाना जाता है. वह 2017 के आतंकवादी वित्तपोषण (आतंकी फंडिंग) मामले में गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत एनआईए द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद से रशीद 2019 से जेल में बंद है. बता दें कि कश्मीरी कारोबारी जहूर वटाली से पूछताछ के दौरान पूर्व विधायक शेख अब्दुल राशिद का नाम सामने आया था.

टेरर फंडिंग के आरोप में किया गया था गिरफ्तार

एनआईए ने कश्मीर घाटी में आतंकवादी समूहों और अलगाववादियों को फंड देने के आरोप में वटाली को गिरफ्तार किया था. पटियाला हाउस कोर्ट ने 16 मार्च 2022 को हाफिज सईद, सैयद सलाहुद्दीन, यासीन मलिक, शब्बीर शाह और मसरत आलम, राशिद इंजीनियर, जहूर अहमद वताली, बिट्टा कराटे, आफताब बट्ट उर्फ पीर सैफुल्ला के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था. एनआईए में मुताबिक पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के सहयोग से लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन, जेकेएलएफ, जैश-ए- मोहम्मद जैसे संगठनों ने जम्मू कश्मीर में आम नागरिकों और सुरक्षा बलों पर हमले और हिंसा को अंजाम दिया. 1993 में अलगाववादी गतिविधियों अंजाम देने के लिए ऑल पार्टी हुर्रियत कांफ्रेंस की स्थापना की गई.



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