मुस्लिम नाटो बनाने की हो रही है कोशिश.
दुनिया के कई हिस्सों में तेजी के साथ बढ़ रहा तनाव इस बात की तस्दीक करता है कि आने वाले समय में स्थिति बहुत विकराल होने वाली है. मिडिल ईस्ट में मची उथल-पुथल के बीच दुनिया दो खेमों में बंटती नजर आ रही है, जिसका एक खेमा अमेरिका और NATO देशों का है, तो दूसरा रूस, ईरान, बेलारूस और उत्तर कोरिया जैसे देश एक साथ खड़े हैं.
मुस्लिम देश कर रहे कोशिश
इन सबके बीच एक तीसरे गुट के बनने की सुगबुगाहट भी तेजी के साथ सुनाई दे रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि दुनिया के 25 मुस्लिम देश मुस्लिम नाटो बनाने के लिए पुरजोर कोशिश कर रहे हैं. मुस्लिम स्कॉलर डॉ.जाकिर नाईक इस समय पाकिस्तान के दौरे पर है, जहां पर उसकी ओर से लगातार ये कोशिश की जा रही है कि मुस्लिम नाटो बनना चाहिए. ऐसे में माना जा रहा है कि अगर मुस्लिम नाटो बनता है तो तीन शक्तियों के टकराव में दुनिया महाविनाश की ओर जा सकती है. मुस्लिम नाटो बनाने की इस चर्चा के बीच सवाल उठ रहा है कि अगर ये गुट अस्तित्व में आता है तो फिर इससे भारत को कितना खतरा हो सकता है?
एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
हालांकि मुस्लिम नाटो को लेकर विशेषज्ञों का मानना है कि जिस मुस्लिम नाटो को बनाने की बात की जा रही है, ये सिर्फ एक कोरी कल्पना है, जिसे हकीकत में बदलना संभव नहीं है, क्योंकि जब 42 मुस्लिम देशों की इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन नाम की संस्था अपने उद्देश्यों में सफल नहीं रही तो 25 देशों का मुस्लिम नाटो विचार कैसे काम करेगा?
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IMCTC का नहीं दिखा असर
एक्सपर्ट का कहना है कि 9 साल पहले भी मुस्लिम नाटो बनाने की कोशिशें हो चुकी हैं. 2015 में इस्लामिक मिलिट्री काउंटर टेरेरिज्म कोलिशन (IMCTC) नाम की एक संस्था बनाई गई थी, इस संस्था को बनाने के पीछे का मकसद आतंकवाद को खत्म करना था, लेकिन IMCTC ना तो पाकिस्तान से आतंकवाद को खत्म कर पाई और ना ही सीरिया को ISIS से बचा पाई.
क्या है इसका मकसद?
मुस्लिम नाटो को बनाने के लिए बड़ी कोशिशें हो रही हैं, इसका मकसद एकजुट होकर आतंकवाद के खिलाफ अभियान चलाना है. इसके अलावा इस संगठन से जुड़ने वाले देश एक दूसरे के सैन्य बलों को हाईटेक बनाने, खुफिया जानकारी साझा करने के साथ ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत बनना है.
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अगर मुस्लिम नाटो बन जाता है तो इसका भारत पर क्या प्रभाव होगा?
मुस्लिम NATO बनने से भारत के साथ पाकिस्तान और बांग्लादेश का तनाव और बढ़ सकता है, क्योंकि ये दोनों देश इसके सदस्य होंगे.
कश्मीर विवाद को भी इस संगठन के जरिए हवा देने की कोशिश की जा सकती है, क्योंकि संगठन में शामिल देश पाकिस्तान के पक्ष में दबाव बनाने का प्रयास कर सकते हैं.
क्षेत्रीय सुरक्षा को भी खतरा हो सकता है क्योंकि इससे पाकिस्तान को मजबूती मिलेगी.
भारत को अलग-थलग करने की कोशिश होगी, क्योंकि पाकिस्तान इस संगठन में शामिल देशों को अपने प्रभाव में रख सकता है.
गौरतलब है कि बीते दिनों ईरानी नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने दुनिया के सभी मुस्लिम देशों को इजरायल के खिलाफ एकजुट होने का आह्वान किया था, उन्होंने कहा था कि इस वक्त सभी देशों को मतभेद भुलाकर एकसाथ खड़े होने की जरूरत है.
-भारत एक्सप्रेस