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Delhi: अदालत ने अपहरण कर दुष्कर्म करने के दोषी 17 वर्षीय किशोर को 10 साल की सश्रम कारावास की सुनाई सजा

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने कहा कि कानून तोड़ने वाले बच्चों के पुनर्वास में अधिकारियों की भूमिका एवं व्यवस्था मुहैया कराने में अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता है. उन्होंने दिल्ली सरकार को किशोर मामलों को लेकर एक स्पष्ट आदेश जारी करने का निर्देश दिया.

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प्रतीकात्मक तस्वीर.

दिल्ली की एक अदालत ने एक 10 वर्षीय बच्ची को अपहरण कर दुष्कर्म करने के दोषी 17 वर्षीय किशोर को 10 साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुशील बाला डागर ने कहा कि मौजूदा स्थिति में उसे रिहा नहीं किया जा सकता है. उसमें आवश्यक सुधार की जरूरत है. न्यायाधीश ने इसके साथ ही पीड़िता को 10.5 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया है.

दिल्ली सरकार आदेश जारी करे

सुनवाई के दौरान न्यायाधीश ने यह भी कहा कि कानून तोड़ने वाले बच्चों के पुनर्वास में अधिकारियों की भूमिका एवं व्यवस्था मुहैया कराने में अराजकता, भ्रम और अनिश्चितता है. उन्होंने दिल्ली सरकार को किशोर मामलों को लेकर एक स्पष्ट आदेश जारी करने का निर्देश दिया. न्यायाधीश ने दोषी को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (POCSO) अधिनियम की धारा-6 (गंभीर यौन उत्पीड़न) के तहत दोषी ठहराया था. उसे अपहरण के लिए भी दोषी ठहराया गया था. अभियोजन पक्ष के अनुसार 4 जून 2017 को घटना के समय किशोर करीब 17 वर्ष का था. उसने पीड़िता को जबरन अपने घर ले गया तथा उसके साथ दुष्कर्म किया था.

यह Juvenile Justice की विफलता है

अदालत ने संबंधित अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि किशोर के 79 दिनों तक बाल सुधार गृह में रहने के बावजूद उसकी व्यक्तिगत देखभाल योजना (आईसीपी) और पुनर्वास कार्ड तैयार नहीं किया गया और न ही जमानत पर रिहा होने के बाद किसी परिवीक्षा अधिकारी ने मामले पर काम किया. यह किशोर न्याय प्रणाली (Juvenile Justice) की विफलता और जेजे अधिनियम और जेजे आदर्श नियमों के कानूनी प्रावधानों के उल्लंघन को दर्शाता है.


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उन्होंने यह भी कहा कि उसके कहने पर आईसीपी और आवधिक समीक्षा के नाम पर समय-समय पर लापरवाह तरीके से रिपोर्ट पेश की गई है. उसका सीमित महत्व है, क्योंकि वे किसी पुनर्वास प्रक्रिया का परिणाम नहीं है.

भारत एक्सप्रेस



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