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भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया में होने वाले किसी भी तरह के प्रभाव को संभालने में सक्षम, बोले- RBI गवर्नर

RBI Governor on Indian Economy: रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता और मजबूती की तस्वीर पेश कर रही है. देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और चालू खाता घाटा प्रबंधन सीमा के भीतर बना हुआ है.

Shaktikanta Das

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास.

RBI Governor on Indian Economy: आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास ने शनिवार (16 नवंबर) को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था और वित्तीय क्षेत्र वैश्विक घटनाओं से होने वाले किसी भी तरह के प्रभाव को संभालने के लिए अच्छी स्थिति में है. देश का बाहरी क्षेत्र भी मजबूत है और चालू खाता घाटा प्रबंधन सीमा के भीतर बना हुआ है जो कि 1.1 फीसदी है.

कोच्चि इंटरनेशनल फाउंडेशन के शुभारंभ के अवसर पर आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने बताया कि मौजूदा हालात में भारतीय अर्थव्यवस्था स्थिरता और मजबूती की तस्वीर पेश कर रही है. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बताया कि इससे पहले 2010 और 2011 में यह छह से सात प्रतिशत के बीच थी. इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि भारत, दुनिया के सबसे बड़े विदेशी मुद्रा भंडारों में से एक है. जो लगभग 675 बिलियन अमेरिकी डॉलर है.

आरबीआई ने मुद्रास्फीति को लेकर क्या कहा

मुद्रास्फीति को लेकर आरबीआई के गवर्नर ने बताया कि समय-समय पर उतार-चढ़ाव के बावजूद भी इसके मध्यम रहने की उम्मीद है. खाद्य मुद्रास्फीति के कारण भारत की मुद्रास्फीति सितंबर में 5.5 प्रतिशत से बढ़कर अक्टूबर में 6.2 प्रतिशत हो गई. उन्होंने कहा, “जब यूक्रेन युद्ध शुरू हुआ, तो मुद्रास्फीति बढ़ गई, फिर हमने तुरंत नकारात्मक ब्याज दरों से परहेज किया.”

नोट नहीं छापने को लेकर क्या बोले रिजर्व बैंक के गवर्नर

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा “भारत में हमने जो नहीं किया, वह भी महत्वपूर्ण है. हमने, आरबीआई ने नोट नहीं छापे, क्योंकि अगर हम नोट छापना शुरू कर देंगे तो जिन समस्याओं को हम हल करने की कोशिश कर रहे हैं, वे बढ़ जाएंगी और उन्हें संभालना हमारे बस की बात नहीं रह जाएगी. कई देशों में मुद्रास्फीति की जड़ें गहरी थीं, लेकिन हमारे यहां मुद्रास्फीति कम हो रही है.” उन्होंने कहा, “हमने अपनी ब्याज दर 4 प्रतिशत रखी, इसलिए हमारी रिकवरी बहुत आसान हो गई.”

संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता

आरबीआई के गवर्नर ने कहा कि देश को सेवा क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में संरचनात्मक सुधारों की आवश्यकता है. उन्होंने कहा कि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) और यूनिफाइड लेंडिंग इंटरफेस (यूएलआई) की तरह आरबीआई विशेष रूप से छोटे उद्यमियों और किसानों के लिए ऋण वितरण में परिवर्तनकारी बदलाव लाने जा रहा है.

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