पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री.
Dhirendra Krishna Shastri on Sambhal Violence: बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इन दिनों हिंदू सनातन एकता पदयात्रा निकाल रहे हैं. इसी दौरान उनका एक बयान चर्चा का विषय बना हुआ है. खबरों के अनुसार, उन्होंने संभल हिंसा को लेकर अपने विचार व्यक्त किए हैं.
संभल हिंसा के दौरान हुए पथराव को लेकर एक समुदाय विशेष की ओर इशारा करते हुए बीते सोमवार (25 नवंबर) को उन्होंने कहा, ‘अभी वे 20 परसेंट हैं, तो पत्थरबाजी कर रहे हैं. 50 परसेंट होने पर ये हमारी बहू-बेटियां उठाकर ले जाएंगे.’ उन्होंने अपील करते हुए कहा कि हिंदुओं को सड़कों पर आना चाहिए, नहीं तो वे आपके घरों पर भी कब्जा कर लेंगे.
उनकी पदयात्रा उत्तर प्रदेश महोबा से गुजर रही थी, जब उन्होंने ये बयान दिया. बताया जा रहा है कि उन्होंने ये यात्रा हिंदू समुदाय के बीच एकता के भावना मजबूत करने के लिए निकाली है. उन्होंने कहा कि जब सूर्य, चंद्रमा और गंगा रहेगी वह हिंदुओं को एकजुट करने का काम करते रहेंगे. इससे पहले उन्होंने कहा था कि संभल में मंदिर ही हैं, इस कारण से वे लोग घबरा गए हैं और पथराव किया है.
संभल में क्या हुआ
बता दें कि उत्तर प्रदेश के संभल जिले में शाही जामा मस्जिद के सर्वे को लेकर रविवार (24 नवंबर) को हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ. इस दौरान कम से कम 4 लोगों की मौत हो चुकी है. बवाल के बाद कई तरह की पाबंदियां लगा दी गई हैं. संभल में एक दिसंबर तक बाहरी व्यक्ति के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है.
संभल में मुगलकालीन जामा मस्जिद के कोर्ट के आदेश पर हुए सर्वे के दौरान भड़की हिंसा के एक दिन बाद सोमवार (25 नवंबर) को संभल के सांसद जिया-उर-रहमान बर्क और विधायक नवाब इकबाल महमूद के बेटे नवाब सुहैल इकबाल के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है. पुलिस अधीक्षक (SP) कृष्ण कुमार बिश्नोई ने बताया कि इस सिलसिले में 2,500 लोगों के खिलाफ कुल 7 एफआईआर दर्ज की गई हैं. जिला प्रशासन ने पहले ही निषेधाज्ञा लागू कर दी है और 30 नवंबर तक बाहरी लोगों के प्रवेश पर रोक लगा दी है.
जामा मस्जिद या हरिहर मंदिर
संभल में बीते 19 नवंबर से ही तनाव की स्थिति है, जब जामा मस्जिद का सर्वे स्थानीय अदालत के आदेश पर किया गया था. इस संबंध में दायर एक याचिका में दावा किया गया है कि इस स्थल पर हरिहर मंदिर था. अधिकारियों ने कहा कि सर्वे 19 नवंबर को पूरा नहीं हो सका और इसे 24 नवंबर सुबह के लिए निर्धारित किया गया था, ताकि आम तौर पर दोपहर में होने वाली नमाज में व्यवधान न हो. हिंदू पक्ष के एक वकील ने दावा किया कि इस स्थल पर पहले जो मंदिर था, उसे मुगल बादशाह बाबर ने 1529 में ध्वस्त कर दिया था.
सर्वे के समर्थकों का तर्क है कि यह ऐतिहासिक सच्चाइयों को उजागर करने में एक जरूरी कदम है, जबकि आलोचक इसे उकसावे के रूप में देखते हैं, जो उपासना स्थल अधिनियम, 1991 द्वारा कायम रखे गए धार्मिक स्थलों की पवित्रता का उल्लंघन करता है.
-भारत एक्सप्रेस
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