केंद्रीय मंत्री शोभा करांदलाजे. (फाइल फोटो)
केंद्रीय श्रम एवं रोजगार राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने गुरुवार को कहा कि देश के कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी में पिछले छह वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. महिला रोजगार पर राज्यसभा सांसद सागरिका घोष के एक प्रश्न का उत्तर देते हुए, करंदलाजे ने उच्च सदन को बताया कि श्रमिक जनसंख्या अनुपात (डब्ल्यूपीआर), या जनसंख्या में नियोजित लोगों का प्रतिशत, और 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की महिलाओं के लिए श्रम बल भागीदारी दर (एलएफपीआर) में लगातार वृद्धि देखी गई है, जो 2023-24 में क्रमशः 40.3% और 41.7% तक पहुंच गई है, जो 2017-18 में 22.0% और 23.3% थी.
रोजगार क्षमता में सुधार के लिए प्रतिबद्ध सरकार
एलएफपीआर श्रम बल में शामिल व्यक्तियों का प्रतिशत है, अर्थात वे लोग जो काम कर रहे हैं या काम की तलाश में हैं या जनसंख्या में काम के लिए उपलब्ध हैं. करंदलाजे ने अपने उत्तर के लिए नवीनतम श्रम बल सर्वेक्षण डेटा का हवाला दिया. उन्होंने लिखित जवाब में कहा, “रोजगार सृजन के साथ-साथ रोजगार क्षमता में सुधार करना सरकार की प्राथमिकता है. सरकार ने कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देने और बढ़ाने के लिए विभिन्न उपाय किए हैं.”
समान अवसर प्रदान करने वाले प्रावधान
उन्होंने कहा, “सरकार ने महिला श्रमिकों के लिए समान अवसर और अनुकूल कार्य वातावरण के लिए श्रम कानूनों में अनेक प्रावधान शामिल किए हैं, जैसे कि मातृत्व अवकाश, लचीले कार्य घंटे, समान वेतन आदि.” मंत्री ने कहा कि सरकार महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर और समग्र एलएफपीआर को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाएं क्रियान्वित कर रही है.
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उन्होंने कहा कि महिला श्रमिकों की रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए केंद्रीय योजनाओं के अलावा सरकार महिला औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों, राष्ट्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों और क्षेत्रीय व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थानों के नेटवर्क के माध्यम से उन्हें प्रशिक्षण भी प्रदान कर रही है. उन्होंने कहा कि इस वर्ष के बजट में पांच नई पहलों की घोषणा की गई है, जिससे पांच वर्षों में 4.1 करोड़ युवाओं को रोजगार, कौशल और अन्य अवसर उपलब्ध कराए जाएंगे, जिसके लिए 2 ट्रिलियन रुपये का केंद्रीय परिव्यय होगा.
-भारत एक्सप्रेस
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