अजमेर शरीफ दरगाह. (फोटो: IANS)
Ajmer Sharif Dargah Controversy: राजस्थान में अजमेर शरीफ दरगाह का देखभाल करने वालों ने दरगाह को लेकर चल रहे विवाद की निंदा करते हुए कहा है कि याचिकाएं ‘प्रचार’ और ‘व्यक्तिगत हित’ के लिए दायर की गई हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री मोदी (PM Narendra Modi) सहित कई प्रधानमंत्रियों ने 13वीं शताब्दी के सूफी संत मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह के प्रति श्रद्धा व्यक्त की है.
यह टिप्पणी अजमेर की एक अदालत द्वारा हिंदू सेना (Hindu) द्वारा दायर याचिका को स्वीकार करने के बाद आई है, जिसमें दावा किया गया था कि अजमेर शरीफ दरगाह भगवान शिव का मंदिर (Shiv Mandir) है.
अजमेर शरीफ दरगाह के सज्जादानशीन (मुख्य देखभालकर्ता) सैयद जैनुल आबिदीन अली खान (Syed Zainul Abidin Ali Khan) ने समाचार एजेंसी ANI से कहा, ‘कोई भी व्यक्ति अदालत जा सकता है और अदालत इस पर (याचिका पर) विचार करेगी. उचित साक्ष्य होंगे और सबूत पेश किए जाएंगे. फिर अंतिम फैसला सुनाया जाएगा. अभी लंबा रास्ता तय करना है.’ खान ने उत्तर प्रदेश की संभल मस्जिद के बारे में हाल की घटना का उदाहरण दिया, जहां अदालत के आदेश पर सर्वे के बाद पथराव में कम से कम 4 लोगों की मौत हो गई थी.
दुनिया भर में फैले हैं अनुयायी
अजमेर शरीफ दरगाह के अनुयायियों में से एक सैयद अफसान चिश्ती ने कहा कि ख्वाजा गरीब नवाज के अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं और वे न केवल इस्लाम बल्कि हर धर्म से आते हैं. ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) को गरीब नवाज यानी गरीबों पर दया करने वाले के नाम से भी जाना जाता है.
उन्होंने कहा, ‘मैं बहुत दुख और आश्चर्य के साथ कह रहा हूं कि अदालत ने एक ऐसे दावे को स्वीकार कर लिया है, जिसका कोई आधार नहीं है. जो कोई भी भारत की शांति को प्रभावित करने के लिए यह सब कर रहा है, उसे इससे बचना चाहिए. हमारे देश के सांप्रदायिक सद्भाव को किसी भी तरह से प्रभावित नहीं किया जाना चाहिए. गरीब नवाज के अनुयायी दुनिया भर में फैले हुए हैं. उनके अनुयायी केवल इस्लाम में ही नहीं बल्कि हर धर्म में हैं. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हर साल उनके उर्स पर चादर भेजते हैं. उनसे पहले के प्रधानमंत्रियों ने भी ऐसा ही किया था.’
पीएम के जन्मदिन पर लंगर
दरगाह प्रबंधन ने 17 सितंबर 2024 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 74वें जन्मदिन के उपलक्ष्य में 4,000 किलोग्राम शाकाहारी ‘लंगर’ भोजन तैयार कर वितरित करवाया था. अफसान चिश्ती ने आगे कहा कि ऐसे मामलों में केंद्र और पीएम मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया जाना चाहिए और कहा कि इसमें शामिल लोगों की जांच की जानी चाहिए.
अफसान चिश्ती ने कहा, ‘दरगाह को विवादों में घसीटना सभी की आस्था को ठेस पहुंचा रहा है. मैं इसकी कड़ी निंदा करता हूं. मैं केंद्र और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ऐसे मामलों में हस्तक्षेप करने और उन पर लगाम लगाने का आग्रह करता हूं. हमें संदेह है कि ऐसे लोग (याचिकाकर्ता) भारत के दुश्मनों के साथ मिलीभगत कर रहे हैं… इन लोगों की जांच होनी चाहिए.’
अदालत में चल रही है सुनवाई
अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवादों के बीच भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती (Syed Naseeruddin Chishti) ने प्रतिक्रिया दी है. वे खुद को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज बताते हैं. चिश्ती ने कहा कि कुछ नेता जनता तक गलत संदेश फैला रहे हैं.
उन्होंने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में दरगाह को लेकर कई गुमराह करने वाले बयान सामने आए हैं. दिल्ली में बैठे कुछ नेता गैर-जिम्मेदाराना बातें कर रहे हैं. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे दरगाह के सर्वे का आदेश जारी हो गया हो. लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है.’
सैयद नसीरुद्दीन ने कहा कि मामला अभी अदालत में है. उन्होंने बताया, ‘20 दिसंबर को अदालत इस पर सुनवाई करेगी. संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं. अभी तक केवल यही हुआ है. लेकिन गलत तरीके से प्रचार किया जा रहा है कि सर्वे शुरू होने वाला है. यह जनता को गुमराह करने वाला है.’
VIDEO | “Notices have been issued (by the court) to the Dargah Committee, ASI and Minority Ministry. There is this news surfacing in the media that a survey has been ordered. So, a wrong message is being circulated. I want to clear that no such order has been issued,” says Syed… pic.twitter.com/e8C0j4VFSt
— Press Trust of India (@PTI_News) November 29, 2024
दरगाह के मंदिर होने का दावा
मालूम हो कि अजमेर में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (Khwaja Moinuddin Chishti) की दरगाह को हिंदू मंदिर बताने वाली याचिका को निचली अदालत ने बीते 27 नवंबर को मंजूर कर ली. अदालत ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए 20 दिसंबर 2024 को अगली सुनवाई की तारीख तय की है. राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के निवासी हिंदू सेना (Hindu Sena) के विष्णु गुप्ता ने दरगाह के हिंदू पूजा स्थल होने का दावा करने वाली याचिका निचली अदालत में दायर की है. जज ने याचिका का संज्ञान लेते हुए दरगाह कमेटी, अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को नोटिस जारी करने के आदेश दिया था.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, विष्णु गुप्ता की तरफ से हरदयाल शारदा की ओर से लिखी किताब ‘अजमेर: हिस्टोरिकल एंड डिस्क्रिप्टिव’ का हवाला देते हुए वाद पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने अजमेर स्थित ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में शिव मंदिर (Shiv Mandir) होने का दावा किया है. इस मामले में कोर्ट सुनवाई 20 दिसंबर को करेगी.
-भारत एक्सप्रेस
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