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World Chess Championship: कैसे D Gukesh ने तोड़ा Garry Kasparov का रिकॉर्ड और बन गए सबसे कम उम्र के वर्ल्ड चैंपियन

गुकेश की जीत का राज उनकी लड़ने की क्षमता थी. जहां अन्य ग्रैंडमास्टर ड्रॉ स्वीकार कर लेते और टाई-ब्रेक में जाते, वहीं गुकेश ने हर बार जीतने की कोशिश की.

विश्व शतरंज चैंपियनशिप के दौरान गुकेश डी और डिंग लिरेन

भारत के 18 साल के शतरंज खिलाड़ी डी. गुकेश (D Gukesh) ने इतिहास रच दिया है. उन्होंने सिंगापुर में हुई फिडे विश्व शतरंज चैंपियनशिप (FIDE World Chess Championship) में डिंग लिरेन (Ding Liren) को हराकर खिताब अपने नाम किया. गुकेश अब तक के सबसे युवा विश्व चैंपियन बन गए हैं.

1886 में शुरू हुए विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में अब तक 17 चैंपियनों ने ताज पहना है, लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि किसी टीनएजर (किशोर) ने इसे अपने नाम किया. इससे पहले, गैरी कास्पारोव (Garry Kasparov) 22 साल, छह महीने और 27 दिन की उम्र में सबसे युवा चैंपियन बने थे. मैग्नस कार्लसन (Magnus Carlsen) 22 साल, 11 महीने और 24 दिन की उम्र में चैंपियन बने थे.

एक गलती और पलट गया खेल

गुरुवार को खेले गए 14वें गेम में दोनों खिलाड़ी 4 घंटे से ज्यादा समय तक खेलते रहे. उस समय तक ऐसा लग रहा था कि मैच ड्रॉ होगा. लेकिन डिंग के एक गलत मूव ने मैच का नतीजा बदल दिया. गुकेश के पास डिंग के दो मोहरों के मुकाबले तीन मोहरे थे, जो उन्हें थोड़ा सा फायदा दे रहे थे. इसके अलावा, उनके पास अपने विरोधी से एक घंटे का समय भी बचा हुआ था. लेकिन 55वें मूव तक वह केवल उम्मीद के साथ खेल रहे थे. जैसे ही डिंग की गलती सामने आई, गुकेश के चेहरे पर मुस्कान आ गई. इस मामूली अंतर के बावजूद, डिंग की एक गलती ने उन्हें हार दिला दी.

जीत के बाद छलकी भावनाएं

चैंपियनशिप के दौरान, डिंग अक्सर गुकेश के चेहरे के भाव पढ़ने की कोशिश करते थे. लेकिन गुकेश ने उन्हें कभी कोई संकेत नहीं दिया. वह पूरे चैंपियनशिप के दौरान शांत और गंभीर बने रहे. लेकिन जीत के बाद, उनकी भावनाएं छलक पड़ीं. उन्होंने आंसुओं के साथ अपनी जीत का जश्न मनाया. डिंग जब कमरे से बाहर निकले, तो गुकेश ने खड़े होकर अपने प्रतिद्वंद्वी को तालियां बजाकर अभिवादन किया. यह दिखाता है कि जीत के बाद भी उन्होंने अपनी विनम्रता नहीं खोई.

टाई-ब्रेक के बजाय जीतने की जिद

गुकेश की जीत का राज उनकी लड़ने की क्षमता थी. जहां अन्य ग्रैंडमास्टर ड्रॉ स्वीकार कर लेते और टाई-ब्रेक में जाते, वहीं गुकेश ने हर बार जीतने की कोशिश की. उन्होंने हार नहीं मानी. विश्व चैंपियनशिप 2024 में उन्होंने तीन बार ड्रॉ से इनकार किया. उनकी यह जिद आखिरकार उन्हें वर्ल्ड चैंपियन बना गई.

शतरंज में भारत का सुनहरा युग

भारत के उभरते शतरंज खिलाड़ी पूरी दुनिया में छा रहे हैं. इस साल के कैंडिडेट्स टूर्नामेंट में कई भारतीय खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया और बुडापेस्ट चेस ओलंपियाड में भारतीय टीम ने दो गोल्ड मेडल जीते. गैरी कास्पारोव ने इसे “शतरंज में भारतीय भूकंप” (Indian earthquake in chess) कहा था.


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-भारत एक्सप्रेस



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