भारत का वित्तीय सेक्टर लगातार मजबूत बना हुआ है. सरकार द्वारा किए जा रहे सुधारों और अर्थव्यवस्था की तेज आर्थिक गति से इसे सहारा मिल रहा है. यह जानकारी एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने 2025 बैंकिंग आउटलुक में दी.
एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स में एनालिस्ट, दीपाली सेठ-छाबड़िया ने कहा, “हमें लगता है कि एसेट क्वालिटी स्थिर हो जाएगी और 31 मार्च,2025 तक बैंकिंग सेक्टर में खराब लोन घटकर ग्रॉस लोन का केवल 3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है. इस सकारात्मक ट्रेंड की वजह मजबूत कॉरपोरेट बैलेंसशीट का होना और रिक्स मैनेजमेंट प्रथाओं का बढ़ना है.”
रिटेल लोन के अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड मजबूत
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि रिटेल लोन के अंडरराइटिंग स्टैंडर्ड मजबूत बने हुए हैं. हालांकि, पर्सनल लोन की वृद्धि के कारण जोखिम बना हुआ है.
एसएंडपी ग्लोबल का अनुमान है कि लोन ग्रोथ (विशेषकर रिटेल सेगमेंट में) जीडीपी की वृद्धि दर से अधिक रहेगी. हालांकि, डिपॉजिट वृद्धि दर में कम रह सकती है और इसका प्रभाव क्रेडिट-डिपॉजिट रेश्यो देखने को मिल सकता है.
मुनाफे की स्थिति मजबूत बनी रहेगी
रेटिंग एजेंसी के मुताबिक, क्रेडिट लागत वित्त वर्ष 2024 में 0.8 प्रतिशत के दशकीय निचले स्तर पर रहने के बाद फिर से सामान्य होकर 0.8 प्रतिशत से लेकर 0.9 प्रतिशत के बीच रह सकती है. इसके बाद भी मुनाफे की स्थिति मजबूत रहेगी. वित्त वर्ष 25 में एसेट्स पर औसत रिटर्न 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है.
हाल में आई आरबीआई की रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय फाइनेंसियल सिस्टम मजबूत बना हुआ है और व्यापक आर्थिक स्थिरता का इसे फायदा मिल रहा है.
बैंकिंग क्षेत्र अच्छी तरह से पूंजीकृत
रिपोर्ट के मुताबिक, बैंकिंग क्षेत्र अच्छी तरह से पूंजीकृत है और इसकी अच्छी बैलेंस शीट उच्च जोखिम अवशोषण क्षमता को दर्शाती है, जबकि एनबीएफसी क्षेत्र और शहरी सहकारी बैंकों में भी सुधार जारी है.
वित्त मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, देश के शेड्यूल्ड कमर्शियल बैंकों का ग्रॉस नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) जून 2024 तक कम होकर 2.67 प्रतिशत रह गया है, जो कि मार्च 2018 तक 11.18 प्रतिशत था.
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