सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
वर्ष 2024 में भारत ने 129 बिलियन डॉलर के साथ रेमिटेंस प्राप्त करने (धन प्रेषण) के मामले में पहला स्थान हासिल किया है. दुनिया में हमारे बाद मैक्सिको, चीन, फिलीपींस और पाकिस्तान का स्थान है. विश्व बैंक के ब्लॉग पोस्ट में इस बारे में जानकारी दी गई.
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, यह वृद्धि उच्च आय वाले देशों में नौकरी के बाजार में सुधार के कारण हुई है, जो महामारी के बाद तेजी से उबरने लगे हैं.
वर्ष 2024 में रेमिटेंस में 5.8% की वृद्धि
2024 में रेमिटेंस की वृद्धि दर 5.8% रहने का अनुमान है, जबकि 2023 में यह दर केवल 1.2% रही थी. विश्व बैंक के अनुसार, उच्च आय वाले देशों के रोजगार बाजार में सुधार ने इस वृद्धि को मुख्य रूप से प्रेरित किया.
दुनियाभर में रेमिटेंस के प्रवाह में वृद्धि
वर्ष 2024 में निम्न और मध्य आय वाले देशों (LMICs) में रेमिटेंस के रूप में 685 बिलियन डॉलर का प्रवाह होने का अनुमान है. ब्लॉग पोस्ट में कहा गया कि रेमिटेंस अब अन्य प्रकार के बाहरी वित्तीय प्रवाह से अधिक हो चुके हैं और आगे चलकर इनका प्रवाह बढ़ने की संभावना है. इसका कारण है जनसंख्या का दबाव, आय अंतर और जलवायु परिवर्तन जैसे कारणों से प्रवासी श्रमिकों की संख्या में वृद्धि.
FDI के मुकाबले रेमिटेंस का बढ़ता अंतर
वर्ष 2024 में रेमिटेंस और विदेशी प्रत्यक्ष निवेश (FDI) के बीच का अंतर और बढ़ने की उम्मीद है. पिछले एक दशक में रेमिटेंस में 57% की वृद्धि हुई है, जबकि FDI में 41% की गिरावट आई है.
दक्षिण एशिया में रेमिटेंस प्रवाह में उच्चतम वृद्धि
दक्षिण एशिया में रेमिटेंस प्रवाह में 2024 में सबसे बड़ी वृद्धि होने का अनुमान है, जो 11.8% तक हो सकती है. भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश में मजबूत रेमिटेंस प्रवाह इसे बढ़ावा देगा. ब्लॉग पोस्ट में यह भी कहा गया कि देशों को रेमिटेंस के आकार और स्थिरता को ध्यान में रखते हुए इसे गरीबी उन्मूलन, शिक्षा, स्वास्थ्य, वित्तीय समावेशन और पूंजी बाजारों में सुधार के लिए उपयोग करने के तरीकों पर विचार करना चाहिए.
- भारत एक्सप्रेस
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