आर्थिक सर्वेक्षण
Economic Survey 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश करने वाली हैं. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में यह बजट 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इस सरकार का आखिरी पूर्ण बजट हो सकता है. संसद सत्र का पहला भाग कल 31 जनवरी से शुरू होने जा रहा है. यह 13 फरवरी तक चलेगा. बीच में 14 फरवरी से 12 मार्च तक अवकाश रहेगा.
अवकाश के बाद बजट सत्र का दूसरा भाग 13 मार्च से 6 अप्रैल तक चलेगा. 31 जनवरी को राष्ट्रपति दौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद दोनों सदनों में आर्थिक सर्वेक्षण (Economic Survey) पेश किया जाएगा. आर्थिक सर्वेक्षण का बजट की कार्यवाही में विशेष महत्व होता है. बजट में होने वाली महत्वपूर्ण घोषणाओं को इसके जरिए समझा जा सकता है.
इकोनॉमिक सर्वे में महत्वपूर्ण जानकारी
आर्थिक सर्वेक्षण सरकार के मौजूदा वित्त वर्ष का एक तरह का लेखा-जोखा होता है. सरल भाषा में समझा जाए तो यह सरकार का रिपोर्ट कार्ड होता है. इसमें सरकार की आय से लेकर व्यय, मौजूदा वित्त वर्ष में महंगाई की दर, सरकार द्वारा योजनाओं का ब्यौरा इन सबके बारे में जानकारी होती है. इसलिए इसे बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है. कह सकते हैं कि आर्थिक सर्वेक्षण से अगले दिन पेश किये जाने वाले आम बजट की बाहरी रुप रेखा का पता चल जाता है.
इकोनॉमिक सर्वे में इस बात की जानकारी भी दी जाती है कि मनी सप्लाई का मौजूदा ट्रेंड क्या है, वहीं कृषि, बुनियादी ढांचा, रोजगार, औद्योगिक उत्पादन, निर्यात, आयात, विदेशी मुद्रा के मुद्दे पर अर्थव्यवस्था की वर्तमान स्थिति के बारे में भी इससे जानकारी मिलती है. आर्थिक सर्वेक्षण सरकार का सबसे महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है. इसके आधार पर ही बजट तैयार होता है.
बजट और आर्थिक सर्वेक्षण में यह है अंतर
इस बार भी आम बजट से एक दिन पहले 31 जनवरी मंगलवार को पेश किए जाने वाला इकोनॉमिक सर्वे में मौजूदा साल 2022-23 के आर्थिक विकास का लेखा-जोखा होगा. देश का पहला आर्थिक सर्वेक्षण 1950-51 में पेश किया गया था. वहीं 1964 से वित्त मंत्रालय बजट से एक दिन पहले सर्वेक्षण जारी करता आ रहा है. इकोनॉमिक सर्वे की रिपोर्ट को डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स (DEA) तैयार करता है.
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