संजय राउत और एनसीपी प्रमुख शरद पवार
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी की सरकार गिरने के बाद तब शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी. इसके बाद से लगातार से महा विकास अघाड़ी के घटकों और सत्ता पक्ष में जुबानी जंग तेज है. वहीं शिवसेना के दो फाड़ होने के बाद उद्धव गुट और शिंदे गुट आमने-सामने हो गए. ये मामला चुनाव आयोग की चौखट तक पहुंचा जहां शिवसेना को लेकर चल रही लड़ाई में शिंदे गुट को जीत मिली.
इसके बाद एक बार फिर, शिवसेना के दोनों गुट एक-दूसरे पर जुबानी हमले कर रहे हैं. अब महाराष्ट्र के मंत्री और शिवसेना नेता दादा भुसे ने दावा किया है कि संजय राउत की वफादारी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) प्रमुख शरद पवार के साथ है.
विधानसभा में दादा भुसे ने संजय राउत को इस्तीफा देने की चुनौती देते हुए कहा कि वह “गद्दारों” के वोटों पर राज्यसभा के सदस्य बने. ‘गद्दार’ शब्द का इस्तेमाल उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला शिवसेना गुट, एकनाथ शिंदे और 39 बागी विधायकों को ताना मारने के लिए करता रहा है.
महाराष्ट्र के मंत्री ने संजय राउत के एक ट्वीट का जिक्र किया जिसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि भुसे ने एक कंपनी के नाम पर किसानों से 178.25 करोड़ रुपये के शेयर इकट्ठा किए, लेकिन कंपनी की वेबसाइट केवल 1.67 लाख शेयर दिखा रही है.
… तो छोड़ देंगे राजनीति- भुसे
भुसे ने कहा कि अगर वह दोषी पाए जाते हैं तो वह राजनीति छोड़ देंगे, लेकिन अगर आरोप गलत हैं तो संजय राउत को राज्यसभा के सदस्य और सामना संपादक के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए. वहीं अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने बाद में कहा कि वह भुसे की टिप्पणी की जांच करेंगे. संजय राउत की एनसीपी-कांग्रेस के साथ गठबंधन कर महा विकास अघाड़ी के नेतृत्व में मिलकर सरकार बनाने में बड़ी भूमिका रही थी. तब उद्धव ठाकरे के साथ मिलकर उन्होंने कई दफे एनसीपी प्रमुख शरद पवार के साथ मीटिंग की थी. इसके साथ ही लंबे समय से शिवसेना-बीजेपी का गठबंधन टूट गया था और दोनों दलों के रास्ते अलग हो गए थे.
-भारत एक्सप्रेस
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