Bharat Express

भारत से 6600KM दूर खुदाई में मिलीं 2300 साल से भी पुरानी तलवारें, छपा है स्वास्तिक; यह यूरोप की सबसे दुर्लभ पुरातात्विक खोज

फ्रांस में 2,300 साल पुरानी दो प्राचीन तलवारें मिली हैं, जिनमें से एक की म्यान पर स्वास्तिक चिन्ह उकेरे गए हैं. ये खोज लौह युग से जुड़ी मानी जा रही है और यूरोप की सबसे दुर्लभ पुरातात्विक खोजों में शामिल है.

2300 year old swords

भारत से लगभग 6,600 किलोमीटर दूर फ्रांस में पुरातत्वविदों ने एक हैरान कर देने वाली खोज की है. यहां की एक खुदाई के दौरान 2300 साल पुरानी दो प्राचीन तलवारें मिली हैं, जो आयरन एज यानी लौह युग की मानी जा रही हैं. फ्रांस के राष्ट्रीय पुरातात्विक अनुसंधान संस्थान (INRAP) के अनुसार, ये तलवारें यूरोप में अब तक की सबसे खास और दुर्लभ खोजों में से एक हैं.

इनमें सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक तलवार की म्यान (कवर) पर छोटे-छोटे स्वास्तिक के चिन्ह खुदे हुए हैं. दोनों तलवारें अब भी अपनी म्यान में सुरक्षित हैं. इनमें से एक तलवार की म्यान तांबे की बनी हुई है, जबकि दूसरी तलवार थोड़ी लंबी है और उसके म्यान में बेल्ट लगाने के लिए छल्ले अब भी मौजूद हैं. इसका डिजाइन कुछ ऐसा है कि योद्धा इसे कमर से लटकाकर रख सकता था. इस तलवार की म्यान को सजाने के लिए कई चमकते हुए रत्नों का इस्तेमाल किया गया है, जिनमें से दो पर स्वास्तिक चिन्ह उकेरे गए हैं.

कब और कहां मिलीं ये तलवारें?

ये ऐतिहासिक तलवारें 2022 में फ्रांस के एक छोटे से कस्बे, क्रूजिए-ले-न्यूफ में खुदाई के दौरान मिलीं. यहां 650 वर्ग मीटर क्षेत्र में एक प्राचीन कब्रगाह की खुदाई की जा रही थी, जिसमें 100 से अधिक कब्रें थीं. हालांकि मिट्टी में अम्लीयता अधिक होने की वजह से हड्डियां संरक्षित नहीं रह पाईं, लेकिन एक कब्र से राख और एक सजावटी मिट्टी का बर्तन मिला.

स्वास्तिक का क्या था अर्थ?

हिंदू धर्म में स्वास्तिक को एक बेहद पवित्र और शुभ प्रतीक माना जाता है. हालांकि, द्वितीय विश्व युद्ध के समय नाजी शासन ने इसी चिन्ह का इस्तेमाल किया था, जिससे इसकी छवि पश्चिमी देशों में विवादित हो गई. लेकिन प्राचीन काल में इसका अर्थ अलग था.
लाइव साइंस की एक रिपोर्ट के मुताबिक, INRAP से जुड़े पुरातत्वविद् विंसेंट जॉर्जेस का कहना है कि उस समय सेल्टिक लोग स्वास्तिक को सिर्फ सजावटी डिजाइन के रूप में इस्तेमाल करते थे. हालांकि यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है कि उस समय इस चिन्ह का सांस्कृतिक या धार्मिक महत्व क्या था.

खुदाई में और क्या-क्या मिला?

खुदाई के दौरान कई धातु के गहने भी मिले हैं, जिनमें तांबे के कंगन और 18 टूटी-फूटी ब्रोच शामिल हैं. एक ब्रोच में सोने और चांदी से सजाया गया एक सुंदर रत्न भी मिला है, जो तीसरी से चौथी शताब्दी ईसा पूर्व का माना जा रहा है. कुछ गहनों पर ‘ओसेली’ यानी आंख की आकृति बनी है, जो उस समय के सेल्टिक कलाकारों के बीच काफी लोकप्रिय थी.

जो तलवार स्वास्तिक चिन्ह वाली है, उसके ब्लेड पर एक्स-रे जांच के दौरान सूरज और चंद्रमा जैसे चित्र भी दिखाई दिए. वहीं दूसरी तलवार जिसे लंबी बताया गया है, युद्ध के दौरान इस्तेमाल होने वाली थी और इसे घुड़सवार योद्धा अपनी कमर से बांधते थे.

ये भी पढ़ें: भारतीय सेना को मिली Igla-S मिसाइलों की नई खेप, वायु सुरक्षा क्षमता में होगी जबरदस्त बढ़ोतरी

-भारत एक्सप्रेस 



इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.

Also Read