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इस गांव में गुलाल-रंगों से नहीं नुकीले औजारों से इस तरह मनाते हैं होली, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

Holi Special: देशभर में 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाने वाला है. इस दिन लोग रंग-गुलाल से होली खेलते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस गांव में अनोखा नजारा देखने को मिला है. .

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Holi Special: देशभर में 25 मार्च को होली का त्योहार मनाया जाने वाला है. इस दिन लोग रंग-गुलाल से होली खेलते हैं. वहीं दूसरी तरफ इस गांव में अनोखा नजारा देखने को मिला है. आपको बता दें उत्तर प्रदेश के मेरठ जनपद के बिजौली गांव में हर साल होली के दिन तख्त यात्रा निकाली जाती है. अहम बात यह है कि इस यात्रा में युवा अपने मुंह को नुकीले औजारो से बांध लेते हैं. इसके बाद तख्त पर खड़े होकर पूरे गांव में उनका जुलूस निकाला जाता है. मान्यता है कि इस तख्त पर जो भी मन्नत सच्चे मन से मांगी जाती है, वह पूरी होती है. यह भी मान्यता है कि यदि यात्रा नहीं निकाली गई तो अनर्थ भी हो सकता है.

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इस गांव की अजीबोगरीब परंपरा

मेरठ के बिजौली गांव वासियों के मुताबिक यह परंपरा लगभग 500 साल पुरानी है. होली के दिन इस निर्वहन करते हुए गांव की 6 दिशाओं से 6 तख्त निकाले जाते हैं. इस पर गांव के ही कुछ युवाओं को नुकीले औजारो से बांधकर तख्त पर खड़ा किया जाता है और इन युवाओं को यात्रा के दौरान देवता स्वरूप माना जाता है.

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यही नहीं, उनकी पूजा की जाती है. यह जुलूस बाबा गंगापुरी के समाधि स्थल पर समाप्त होता है. इसके बाद यह नुकीले औजार इन युवाओं के चेहरे से निकाले जाते हैं. हैरानी की बात यह है कि लोहे औजारों को शरीर के आर पार करने के बावजूद कोई भी इन्फेक्शन नहीं होता ना ही किसी दवा की जरूरत पड़ती है.

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जानें इसकी खास वजह

वहीं, ग्रामीणों ने बताया कि करीब 500 साल पहले बिजौली में आपदा के समय महाराज के कहने पर बाबा गंगापुरी ने इसी तरीके से पूजा अर्चना की थी. इसके बाद से आज तक यह परंपरा चली आ रही है. एक बार गांव में इस परंपरा को रोका भी गया लेकिन ग्रामीणों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा. तब से अब कोई इस परंपरा को रोकने की सोचता भी नहीं है.



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