Indira Gandhi Death Anniversary: तारीख 31 अक्टूबर, साल 1984. घड़ी में सुबह के 9 बजकर 5 मिनट हो रहा था. इंदिरा प्रियदर्शिनी गांधी आइरिश डायरेक्टर पीटर उस्तीनोव से मुलाकात करने अपने घर से बाहर निकल रहीं थीं. दरअसल, उस्तीनोव इंदिरा गांधी पर डॉक्यूमेंट्री बनाने दिल्ली आए हुए थे. तभी उनके ही दो सुरक्षाकर्मी बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने इंदिरा को गोलियों से छलनी कर दिया. हालांकि, हमले के बाद बेअंत सिंह को मार गिराया गया. इंदिरा के शरीर में दोनों हत्यारों ने अपनी ऑटोमैटिक कारबाइन से 30 गोलियां दाग दीं.
इंदिरा की हत्या ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया, जिससे भारत में अब तक की सबसे भयानक सांप्रदायिक हिंसा भड़क उठी थी. सरकारी अनुमान के अनुसार, केवल तीन दिनों में लगभग 3,350 सिखों का नरसंहार किया गया, जिनमें से 2,800 तो सिर्फ राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में ही मारे गए. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी की हत्या ऑपरेशन ब्लू स्टार का बदला था. ऑपरेशन ब्लू स्टार के तहत भारतीय सेना ने स्वर्ण मंदिर परिसर में रहने वाले अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को मार गिराया था. हालांकि इसके बाद सिख समुदाय नाराज हो गया. पीएम इंदिरा, जिन्होंने ऑपरेशन का आदेश दिया था. उन्हें इसका खामियाजा भुगतना पड़ा. कैथरीन फ्रैंक ने इंदिरा की जीवनी (इंदिरा: द लाइफ ऑफ इंदिरा नेहरू गांधी, 2001) में लिखा है, “हर कोई जानता था कि उनका जीवन खतरे में है.”
इंदिरा के प्रमुख सचिव पी सी अलेक्जेंडर ने एक बार कहा था कि ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद इंदिरा की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. हालांकि उन्होंने अपनी सुरक्षा पुलिस से सेना को सौंपने से इनकार कर दिया, लेकिन भारत-तिब्बत बॉर्डर पुलिस के कमांडो को उनकी सुरक्षा टीम में शामिल कर लिया गया. उनके परिवार, विशेषकर उनके पोते-पोतियों, राहुल और प्रियंका के आसपास भी सुरक्षा बढ़ा दी गई थी. राहुल और प्रियंका की उम्र उस वक्त 14-12 साल थी. हालांकि, इंदिरा गांधी ने अपनी सुरक्षा में से सिखों को हटाने से साफ इनकार कर दिया था. एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर ने इंदिरा से सिफारिश की थी कि उन्हें किसी भी सिख को सुरक्षा में तैनात नहीं करना चाहिए. इंदिरा ने यह सिफारिश ठुकरा दी.
जानकारी के मुताबिक, इंदिरा की हत्या से पहले बेअंत ने सतवंत को धमकी दी थी. बेअंत ने कहा था कि अगर तुम धोखा दोगे तो तुम्हारे शरीर में भी गोली उतार दूंगा. कहा जाता है कि इंदिरा की हत्या से कई दिन पहले बेअंत सिंह वॉशरूम में अपनी पगड़ी बांध रहा था. तभी वहां सतवंत भी आ गया. बेअंत ने कहा कि पंजाब में इन दिनों बहुत बुरा हो रहा है. इसकी कीमत इंदिरा को अपनी जान देकर चुकानी होगी. इसके बाद दोनों के बीच इसको लेकर खूब बातचीत होने लगी. इसी कड़ी में एक दिन सतवंत,बेअंत के घर पहुंचा. दोनों ने प्लानिंग की. इसके बाद बेअंत ने सतवंत को कहा कि अगर तुमने धोखा दिया तो तुमको गोली से ढेर कर दिया जाएगा.
इंदिरा की हत्या से पहले बेअंत और सतवंत ने अपनी ड्यूटी बदल ली थी. दोनों ने अपनी ड्यूटी रात से सुबह की करवा ली. हत्या के बाद बेअंत को तो मार गिराया गया लेकिन जब सतवंत से पूछताछ की गई तो उसने केहर सिंह और बलबीर सिंह के बारे में बताया. सेशन्स कोर्ट से तीनों को फांसी की सजा मिली. हाई कोर्ट ने भी सजा बरकरार रखी. हालांकि, जब मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तो बलबीर सिंह को रिहा करने का आदेश दिया गया. 6 जनवरी 1989 को केहर और सतवंत को तिहाड़ जेल में फांसी की सजा दे दी गई.
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