जिमखाना क्लब का प्रबंधन संभाल रहे पूर्व नौकरशाह और नेता कारपोरेट कार्य मंत्रालय ही नहीं बल्कि NCLT तक को गुमराह कर रहे हैं. इतना ही नहीं उन पर यह भी आरोप है कि उन्होंने क्लब सदस्यों से भी झूठ बोला और उन्हें फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट उपलब्ध नहीं कराई.
जिमखाना क्लब में घोटालों और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए नियुक्त सरकारी निदेशक खुद की नियुक्ति करने वाली सरकार, अदालत और क्लब सदस्यों को धोखा दे रहे हैं! आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर घोटालों से संबंधित फोरेंसिक रिपोर्ट को लेकर NCLT और MCA तक को गुमराह किया. रिपोर्ट की जानकारी क्लब सदस्यों से भी छिपाई गई है. पूर्व नौकरशाह और क्लब अध्यक्ष मलय सिन्हा की भूमिका पर सबसे ज्यादा सवाल उठ रहे हैं. गौरतलब है कि सिन्हा ने क्लब के पूर्व सचिव जतिंदर पाल सिंह द्वारा सदस्यता के लिए किए गए फर्जीवाड़े का मामला भी दबा रखा है ! उनसे इस बारे में बात करने का प्रयास किया गया, मगर उन्होंने फ़ोन नहीं उठाया.
गौरतलब है कि जिमखाना क्लब में हुए करोड़ों रुपए के घोटाले और वित्तीय अनियमितताओं की जांच के लिए बीते साल फोरेंसिक ऑडिट कराया गया था. यह रिपोर्ट नवंबर 2022 में क्लब अध्यक्ष मलय सिंहा को मिल गई थी. आरोप है कि रिपोर्ट में सामने आए आरोपियों को बचाने के लिए यह रिपोर्ट क्लब के सदस्यों से आज तक भी छिपा कर रखी गई है. बीते साल 15 दिसंबर को क्लब की आम सभा से पहले सदस्यों को बेलेंस शीट वितरित करते समय सदस्यों को यह कहकर गुमराह किया गया कि फोरेंसिक ऑडिट चल रहा है. जबकि फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट मिल चुकी थी.
हैरानी की बात तो यह है कि पूर्व नौकरशाह और अपनी ही सरकार की फजीहत कराने पर तुले एक भाजपा नेता ने इस मामले में NCLT को भी गुमराह करने में कोई कसर नहीं छोड़ी. 25 नवंबर 2022 को NCLT में हुई सुनवाई के दौरान ट्रिब्यूनल को सरेआम गुमराह किया गया की फोरेंसिक ऑडिट अभी चल रहा है. इसके बाद NCLT में पांच बार मामले की सुनवाई हो चुकी है. लेकिन आरोप है कि NCLT को अभी तक भी फोरेंसिक रिपोर्ट से अनभिज्ञ रखा गया है.
फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट में जांच के बाद क्लब सदस्यों को वकील के तौर पर किए गए करोड़ों रुपए के भुगतान पर सवाल उठाया गया है. रिपोर्ट के अनुसार क्लब सदस्य अरुण कठपालिया को 77 लाख और गौरव मोहन लिब्रहान को 28.76 लाख रुपये का भुगतान किया गया. इन दोनों को मिली क्लब की सदस्यता भी नियमों को ताक पर रखकर दी गई थी. गौरतलब है कि इसमें से बड़ी रकम एक हो कालोनी में दो घरों के बीच हुई वीडियो कॉन्फ्रेंस के नाम पर दी गई थी. इतना ही नहीं क्लब के ही सदस्यों की कंपनियों जे. सी. भल्ला एंड कंपनी, वॉकर चंडियोक एंड कंपनी और एस.एन. धवन एंड कंपनी को सांविधिक लेखापरीक्षक नियुक्त करने का मामला भी सामने आया है.
जिमखाना क्लब के पास सदस्यता शुल्क सहित अन्य माध्यमों से दो सौ करोड़ रुपए से ज्यादा रकम जमा थी. इस पैसे को इन्वेस्ट करने के लिए एडवाइजर नियुक्त होना था. मगर यह ठेका देने के लिए निर्धारित तीन कंपनियों में से उस कंपनी को नियुक्त किया गया, जिसने सलाह देने के लिए सबसे ज्यादा राशि मांगी. क्योंकि इस कंपनी का सलाहकार राहुल शर्मा फाइनेंस कमेटी की अध्यक्षता करने वाले मनदीप कपूर की गुड़गांव सेक्टर 31 स्थित संपत्ति में अर्से से किराएदार था. सवाल उठा तो कपूर ने कहा जिस संपत्ति का हवाला दिया गया है वह उसकी नहीं है. लेकिन उस संपत्ति का मालिकाना हक़ कपूर के पास होने के दस्तावेज़ सार्वजनिक हो गए. फोरेंसिक ऑडिट में इस पर भी आपत्ति जताई गई है.
फोरेंसिक ऑडिट में पता चला कि क्लब की वित्तीय उप समिति और जनरल कमेटी की अनुमति या सहमति के बिना 16 मामलों में 46.03 करोड़ रुपये की राशि का निवेश कर दिया गया. इनके लिए भी पूर्व अनुमति नहीं ली गई थी.
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