Lok Sabha Elections 2024: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी नीत एनडीए गठबंधन को मात देने के लिए 26 दलों ने मिलकर ‘इंडिया गठबंधन’ बनाया है. इस गठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं और साझा रैली से लेकर मीडिया के कुछ एंकर्स के शो में शामिल न होने तक पर सहमति बन चुकी है. लेकिन असल मुद्दे यानी ‘सीट शेयरिंग’ पर स्थिति साफ नहीं हो सकी है. दरसअल, इंडिया गठबंधन में शामिल कई दल विभिन्न राज्यों में सत्ता में हैं या फिर जनाधार के लिहाज से मजूबत स्थिति में हैं. ऐसे में उन राज्यों में सीटों के बंटवारे पर सहमति कैसे बनेगी? इसको लेकर चर्चाएं तेज हैं कि यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, पंजाब और दिल्ली में सीटों के बंटवारे का क्या फॉर्मूला होगा.
सीटों के लिहाज से उत्तर प्रदेश सबसे बड़ा राज्य है और यहां पर समाजवादी पार्टी विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल की भूमिका में है. कांग्रेस को 2019 के चुनाव में केवल रायबरेली की सीट पर जीत मिली थी. कांग्रेस की हालत ऐसी थी कि राहुल गांधी अमेठी की अपनी परंपरागत सीट भी नहीं बचा सके थे. हालांकि अब कांग्रेस यूपी की 20 सीटों पर नजरें बनाए हुए है. पार्टी उन सीटों पर अपनी दावेदारी पेश कर सकती है जहां वह पिछले चुनावों में 2 और 3 नंबर पर थी. ऐसे में समाजवादी पार्टी के साथ सीटों के मसले पर कांग्रेस की कैसे सहमति बनेगी, इसका हल ‘इंडिया’ गठबंधन को निकालना होगा.
पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की सरकार है. फिलहाल, बंगाल की 42 में करीब आधी लोकसभा सीटों पर टीएमसी के सांसद हैं. ऐसे में ममता बनर्जी को कांग्रेस और लेफ्ट के साथ सीट शेयरिंग पर मनाना टेढ़ी खीर साबित हो सकता है. ममता बनर्जी ने वामदलों का विरोध करके ही खुद को राजनीति में स्थापित किया था और अब बेहद कम जनाधार वाले लेफ्ट के साथ ममता बनर्जी सीट शेयरिंग पर मानेंगी, यह कहना थोड़ा मुश्किल है. दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल पंचायत चुनाव में हिंसा और फिर जी20 समिट के दौरान डिनर में शामिल होने को लेकर कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ममता बनर्जी पर हमलावर रहे हैं. यहां देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के इस रूख के बाद ममता बनर्जी की क्या रणनीति रहती है.
40 लोकसभा सीटों वाले बिहार में महागठबंधन की सरकार है. 2019 में बीजेपी ने 17, जदयू ने 16 सीटों और लोजपा (अविभाजित) ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं राजद के खाते में एक भी सीट नहीं थी. जबकि कांग्रेस को एक सीट मिली थी. हालांकि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद राजद-कांग्रेस के साथ जेडीयू एक ही खेमे में हैं और भले ही राजद को एक सीट भी नहीं मिली थी लेकिन राजद विधानसभा चुनावों में अपने प्रदर्शन के आधार पर कई सीटों पर दावा कर सकती है. यही स्थिति कांग्रेस की भी है. ऐसे में सीट शेयरिंग पर बिहार में भी पेंच फंस सकता है.
महाराष्ट्र में महा विकास अघाड़ी (एनसीपी, शिवसेना, कांग्रेस) के साथ भी लगभग यही स्थिति है. अजित पवार ने शिंदे सरकार से हाथ मिलाने के बाद एनसीपी पर दावा ठोक दिया. दूसरी तरफ शरद पवार का कहना है कि पार्टी में कोई टूट नहीं है. अब एनसीपी को लेकर अजीबोगरीब स्थिति बनी हुई है. यहां शिवसेना (उद्धव गुट) का दावा भी ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए सिरदर्द साबित हो सकता है.
दिल्ली और पंजाब की बात करें तो दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी की सरकार है. दिल्ली में कांग्रेस नेता अलबा लांबा ने यह कहकर आम आदमी पार्टी को झटका दे दिया था कि सभी सात सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. इसके बाद से दोनों दलों के बीच जुबानी जंग जारी है. पंजाब में सीएम भगवंत मान का कहना है कि वे अकेले लड़ना और जीतना जानते हैं, जबकि कांग्रेस भी आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करने को राजी नहीं दिख रही है.
कुल मिलाकर इन 6 राज्यों में इंडिया गठबंधन के लिए ‘सीट शेयरिंग’ बड़ा सिरदर्द साबित हो सकता है. दूसरी तरफ, पीएम पद के उम्मीदवार को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है और अब ‘सनातन’ के मुद्दे पर उदयनिधि के विवादित बयान ने भी गठबंधन की मुश्किलें बढ़ा दी हैं.
-भारत एक्सप्रेस
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