MP Assembly Elections 2023: मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Assembly Elections) से पहले बीजेपी अपने पक्ष में माहौल बनाने की हरसंभव कोशिश कर रही है. विभिन्न योजनाओं के जरिए जहां एक ओर शिवराज सरकार जनता को साधने की कोशिश कर रही है. तो दूसरी तरफ, पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के राज्य में लगातार हो रहे दौरे इस बात का संकेत देने के लिए काफी हैं कि कहीं न कहीं सत्ताधारी दल पीएम मोदी के चेहरे को आगे कर विधानसभा चुनाव में उतरने का प्लान बना रहा है.
पिछले 6 महीनों में पीएम मोदी आधा दर्जन बार मध्य प्रदेश के दौरे पर पहुंच चुके हैं और हर बार उन्होंने विभिन्न योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास के जरिए ये संदेश देने की कोशिश की है कि ‘डबल इंजन’ की सरकार राज्य के लोगों के विकास को प्राथमिकता देती है. साथ ही पीएम मोदी कांग्रेस पर तो हमलवार रहे ही हैं, अब ‘इंडिया’ गठबंधन को ‘घमंडिया’ और ‘INDI’ कहकर भी निशाना साधते रहे हैं. पीएम मोदी ने डीएमके नेता उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म को लेकर दिए विवादित बयान पर भी ‘इंडिया’ गठबंधन को घेरा है और अब ये मुद्दा बीजेपी के लिए हर राज्य में ‘इंडिया’ गठबंधन पर हमला करने के लिए हथियार बना हुआ है.
महिला आरक्षण बिल संसद में पास होने के बाद बीजेपी अब इसे भी चुनावों में भुनाना चाहेगी. इसकी शुरूआत भी भोपाल से हो गई है, जहां पीएम मोदी ने बीजेपी कार्यकर्ता महाकुंभ को संबोधित करते हुए कांग्रेस पर जमकर निशाना साधा. पीएम ने कहा कि घमंडिया गठबंधन के लोगों ने खट्टे मन से नारी शक्ति वंदन अधिनियम का समर्थन किया है. अब उस पर सवाल उठा रहे हैं. उनको नारी शक्ति अधिनियम का मजबूरी में समर्थन करना पड़ा है.
पीएम मोदी के लगातार हो रहे एमपी के दौरे ने संकेत दे दिया है कि राज्य में होने वाला आगामी विधानसभा चुनाव उनके इर्द-गिर्द ही केंद्रित होगा. पीएम मोदी अपने पिछले 6 दौरों से एमपी के 22 जिलों की 94 विधानसभा सीटों को कवर कर चुके हैं. वे अपने भाषण में गरीब, दलित, आदिवासी, पसमांदा मुसलमानों का जिक्र कर चुके हैं. दूसरी तरफ, भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण को लेकर वे कांग्रेस समेत तमाम दलों पर हमलावर भी रहे हैं. इसके अलावा वे राहुल गांधी के विभिन्न वर्गों के लोगों से मिलने पर भी तंज कस चुके हैं.
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एमपी में पीएम मोदी की क्यों? इन सवाल के कई जवाब फिलहाल नजर आ रहे हैं. एक तो ये कि लोकप्रियता के मामले में आज भी पीएम मोदी की तुलना में बीजेपी में कोई नेता नहीं है. वे भाषणों के जरिए लोगों से सीधे कनेक्ट करते हैं जो पार्टी के लिए आगामी चुनावों में फायदेमंद हो सकता है.
दूसरी तरफ, मध्य प्रदेश में पार्टी के बीच आपसी खींचतान बहुत है और शायद यही वजह है कि शिवराज के नाम पर चुनाव लड़ने का ऐलान नहीं किया जा सका है. पार्टी के अलग-अलग धड़ों के नेता भी खुद को सीएम पद का दावेदार मानते हैं. हालांकि, सार्वजनिक मंच पर ऐसा नजर नहीं आया है लेकिन अंदरूनी कलह की चर्चाएं सियासी गलियारे में जरूर हैं. इसके अलावा, उमा भारती ने ओबीसी के लिए आरक्षण की मांग कर बीजेपी की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं. ऐसे में राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अगर बीजेपी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव में आगे बढ़ती है तो कई चुनौतियां पहले ही खत्म हो जाएंगी. फिलहाल, चुनावी साल में बीजेपी जीत दर्ज करने की हरसंभव कोशिश में जुटी है.
-भारत एक्सप्रेस
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