चुनावी सभा की फाइल फोटो
प्रशांत त्यागी | वरिष्ठ संवाददाता, दिल्ली
इस समय देशभर में कई चुनाव हो रहे हैं—महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव, वायनाड लोकसभा उपचुनाव, और 13 राज्यों की 47 विधानसभा सीटों के उपचुनाव. इन सभी चुनावों में कांग्रेस पार्टी का सबसे अधिक ध्यान वायनाड उपचुनाव पर केंद्रित है, जहां प्रियंका गांधी वाड्रा पार्टी की उम्मीदवार हैं. यह चुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए अहम है क्योंकि कांग्रेस का प्रचार वायनाड में जितना सक्रिय है, उतना महाराष्ट्र और झारखंड जैसे बड़े राज्यों में भी नहीं है.
प्रियंका गांधी का चुनाव और कांग्रेस का व्यापक समर्थन
वायनाड से प्रियंका गांधी का चुनाव लड़ना एक प्रतीकात्मक और रणनीतिक निर्णय माना जा रहा है. उनके नॉमिनेशन के समय सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, और अन्य शीर्ष नेता मौजूद थे, जिससे यह साफ है कि कांग्रेस इस चुनाव को गंभीरता से ले रही है. प्रचार के आखिरी दिन तक कांग्रेस के बड़े नेता जैसे राहुल गांधी, संगठन महासचिव केसी वेणूगोपाल, और प्रियंका गांधी के बेटे रेहान वाड्रा वायनाड में प्रचार कर रहे हैं. कांग्रेस का लक्ष्य है कि प्रियंका गांधी वाड्रा इस सीट पर बड़ी जीत हासिल करें. इसके लिए पार्टी ने अपने अधिकांश बड़े नेताओं की वायनाड में ड्यूटी लगाई गई है.
महाराष्ट्र और झारखंड में कांग्रेस की स्थिति
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन भी पार्टी के लिए महत्वपूर्ण है. झारखंड में कांग्रेस गठबंधन की सरकार है, जबकि महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी (MVA) के रूप में एक मजबूत गठबंधन बन सकता है. राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, इन दोनों राज्यों पर ध्यान केंद्रित करने से कांग्रेस को महत्वपूर्ण सीटें हासिल हो सकती हैं, लेकिन पार्टी वायनाड में अधिक सक्रिय है, जिससे इन राज्यों के विधानसभा चुनावों में पार्टी के प्रचार में कमी महसूस की जा रही है.
उत्तर प्रदेश में सपा और कांग्रेस की एकता का अभाव
वायनाड उपचुनाव का प्रभाव उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भी दिख रहा है. उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी (सपा) 9 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ रही है, और लोकसभा चुनावों में सपा-कांग्रेस ने मिलकर अच्छा प्रदर्शन किया था. लेकिन इस बार कांग्रेस के यूपी नेता सपा उम्मीदवारों के लिए प्रचार में हिस्सा नहीं ले रहे हैं, जिससे सपा-कांग्रेस की एकता कमजोर होती नजर आ रही है.
वायनाड उपचुनाव कांग्रेस के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके चलते महाराष्ट्र, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के चुनावों में कांग्रेस की प्राथमिकताओं पर संतुलन की कमी दिखाई दे रही है.
–भारत एक्सप्रेस