ब्लॉग

NEET Result: क्या नेशनल टेस्टिंग एजेंसी से चूक हुई है? अगर ऐसा हुआ तो यह बहुत ही चिंताजनक

डॉ. विपुल सुनील


नेशनल टेस्टिंग एजेंसी यानी NTA द्वारा आयोजित की जाने वाली देश की महत्वपूर्ण नीट परीक्षा के परिणाम को लेकर आजकल चारों ओर शोर मचा हुआ है. सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने और काउंसलिंग रोकने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए इसे रद्द करने व काउंसलिंग रोकने से तो मना कर दिया. साथ ही एनटीए को अपना पक्ष रखने के लिए समय देते हुए ये भी कहा कि परीक्षा को पूरी ईमानदारी और निष्ठा से कराना चाहिए.

परीक्षा की पवित्रता पर जो सवाल उठ रहे वो मामूली बात नहीं है. पवित्रता को बनाए रखना बहुत जरूरी है. कोर्ट ने परीक्षा की शुचिता बनाए रखने की हिदायत देते हुए अपना पक्ष रखने की बात कहते हुए आठ जुलाई की तारीख दी है. लोग सवाल उठा रहे हैं तो यह चिंता की बात तो है ही. अब सवाल ये उठता है कि क्या राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी से कहीं चूक हुई है? अगर ऐसा हुआ है तो यह बहुत चिंताजनक तो है ही.

इस बार की नीट की परीक्षा में कुछ सेंटरों पर परीक्षा देर से शुरू हुई, तो देर से परीक्षा शुरू होने के कारण वहां पर परीक्षा दे रहे प्रतिभागियों को अतिरिक्त अंक यानी ग्रेस मार्क्स प्रदान किया गया है. ऐसे विद्यार्थियों की संख्या 1500 से भी ज्यादा है. अब जब परिणाम आ चुका है तो अन्य अभ्यर्थियों को ये बात नागवार लग रही कि बिना सवाल किए लोगों को ग्रेस मार्क्स दे दिया गया.

हालांकि, आज एक अन्य रीट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्ती दिखाई है. इस अनुग्रह अंक यानी ग्रेस मार्क्स को लेकर विवाद और विरोध के बढ़ने पर एनटीए ने विलंब से पेपर शुरू करने वाले केंद्रों पर दुबारा परीक्षा की तिथि घोषित कर दिया है. इससे कुछ अभ्यर्थियों ने राहत की सांस ली है, परंतु देखने वाली बात ये है कि विरोध प्रदर्शन कर रहे लोगों की मांग पूरी परीक्षा को दुबारा कराने  की है. उनका कहना है कि बिहार सहित कुछ अन्य राज्यों में पर्चा लीक भी हुआ है. मतलब साफ है कि विवाद यहीं थमता नजर नहीं आ रहा.

इस पूरे घटनाक्रम को देखने के बाद ये कहा जा सकता है कि कहीं न कहीं लापरवाही तो हुई है, जिस को एजेंसी मोटे तौर पर स्वीकार नहीं कर रही है. इन परीक्षाओं के महत्वपूर्ण होने का आलम ये है कि बहुत सारे अभ्यर्थी तो आठवीं-नौवीं कक्षा से ही नीट और आईआईटी-जेईई जैसी परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर देते हैं. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं कि ये कितनी कठिन और बड़ी परीक्षा है. इस परीक्षा में किसी को आप मुफ्त में अनुग्रह अंक देकर मेरिटधारी बना रहे तो यह एक तरह की बेईमानी तो हुई.

इन परीक्षाओं में प्रतिस्पर्धा इतनी ज्यादा होती है कि एक-एक प्रश्न हल करने में न जाने कितने माह, दिन और घंटों की मेहनत काम आती है. किसी के सालों की मेहनत को किसी अनुग्रह अंक वाले छात्र द्वारा सीट प्राप्त कर लेने से धक्का लगना तो जायज है. एजेंसी द्वारा इस तरह का निर्णय पहले ही नहीं लेना चाहिए था. इनकी कार्यशैली भी ऐसी है कि कोई गलती हुई भी है तो इसे स्वीकार कर सुधार की तरफ जाने में एजेंसी के आला अधिकारी लगातार संकोच में दिख रहे हैं. ये छात्रों के भविष्य से एक तरह का खिलवाड़ करने जैसा है.

इससे पहले भी एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली कई परीक्षाओं के अलग अलग केंद्रों पर देर से परीक्षा शुरू होने से लेकर कई परीक्षाओं के शुरू होने से ठीक पहले टाल दिए जाने की घटना सामने आती रही है. बहुत सारे प्रतियोगी अभ्यर्थी न जाने कितने संकटों का सामना कर के परीक्षा हॉल तक पहुंचते हैं और वहां आकर मालूम चलता है कि अब परीक्षा किसी नए तारीख पर होगी तो उन्हें दिक्कत तो होती है. गरीब लोगों के बच्चे बार बार यात्रा भी बड़ी मुश्किल से कर पाते हैं. ऐसा भी नहीं है कि ऐसा कोई एक बार हुआ है इधर के वर्षों में इस तरह की घटनाओं की आवृत्ति बार-बार होने से एनटीए जैसी एजेंसी से लोगों का विश्वास उठता जा रहा है.

कुल मिलाकर कहना ये है कि इस एजेंसी के कार्य शैली में व्यापक सुधार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. कहने का मतलब ये है कि अनियमितता पहले से हो रही है. सबसे पहले तो इस एजेंसी को अपना सिस्टम दुरुस्त करने की  सख्त जरूरत है. कभी सर्वर तो कभी परीक्षा केंद्रों की अव्यवस्था की वजह से अभ्यर्थियों को कठिनाई का समाना करना पड़ रहा है. हालात इतने खराब हो चुके हैं कि एजेंसी स्वयं एक बड़ी परीक्षा यूजीसी नेट को ऑफलाइन मोड में आने वाले 18 जून को आयोजित कराने जा रही है.

जब देश भर में नीट को रद्द करने की मांग की जा रही तो आज एनटीए द्वारा आयोजित होने वाली एक और परीक्षा एनसीईटी अव्यवस्था की भेंट चढ़ गई. इस प्रवेश परीक्षा के द्वारा देश भर के प्रतिष्ठित संस्थानों में एकीकृत बीएड-यूजी यानी चार वर्षीय बीएससी-बीएड,बीए-बीएड में प्रवेश मिलता है. आज इनका पेपर इसलिए रद्द करना पड़ा कि पेपर शुरू होने के डेढ़ घंटे तक कई परीक्षा केंद्रों पर स्क्रीन पर प्रश्नपत्र ही नहीं आया. आप इससे एजेंसी के सिस्टम में पसरी अव्यवस्था का अंदाजा लगा सकते हैं.

उधर नीट की परीक्षा में ग्रेस मार्क्स देने वाले मसले पर एनटीए का कहना है कि उसने इसके लिए कमेटी गठित की थी. विशेषज्ञों की एक समिति की संस्तुति पर ही ऐसा किया है. पर इन तमाम दलीलों के बावजूद जो सवाल खड़े हुए हैं उनका समाधान तो यही नज़र आ रहा है कि इसमें सुधार लाने की जरूरत है.

चिकित्सा विश्वविद्यालय और कॉलेजों में प्रवेश के लिए राष्ट्रीय स्तर पर होने वाले नीट परीक्षा में इस बार लगभग 24 लाख प्रतिभागी छात्र शामिल हुए. इस परीक्षा के परिणाम आने के बाद देश के लगभग सभी बड़े शहरों में अलग अलग मुद्दों को लेकर विरोध प्रदर्शन बढ़ता जा रहा है. कुछ लोगों का तो यहां तक कहना है कि कुछ केंद्रों पर नकल भी हुई है तो क्या सरकार द्वारा विधेयक के रूप में लाए गए हालिया नकल अवरोध कानून की मदद ऐसे में नहीं लिया जाना चाहिए.

दरअसल, परीक्षा सुधार के क्रम में ही राष्ट्रीय स्तर पर एक एजेंसी का गठन तत्कालीन यूपीए सरकार ने अपने अंतिम दिनों में किया था ताकि सही ढंग से महत्वपूर्ण परीक्षाओं का आयोजन हो पाए. इस एजेंसी ने विधिवत काम करना शुरू किया है एनडीए की सरकार बनने के बाद. लगातार बड़ी परीक्षाओं का जिम्मा इनके कंधे आता गया और एजेंसी एग्जाम कराती रही. शुरू में तो इससे प्रतियोगी छात्रों को भी सुविधा हुई. पहले अलग-अलग राज्यों द्वारा अलग-अलग प्रवेश परीक्षा ली जाती थी. सबके लिए अलग अलग आवेदन करना होता था पर अब एक ही आवेदन से देश भर के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश मिल रहा है.

एनटीए के मध्यम से इसको एकरूपता प्रदान किया गया. यह विशुद्ध रूप से ऐसी एजेंसी है जिस का काम पूरे साल परीक्षा के लिए पेपर तैयार कराना, फार्म भरवाना और परीक्षा करवाना है. इस स्वायत्त संस्था को अपना काम पूरी ईमानदारी और समर्पण से करना चाहिए. काम ज्यादा होने के कारण अगर ऐसा हो रहा है तो अधिकाधिक संख्या में लोगों को जोड़ना चाहिए ताकि सुचारू ढंग से सब कुछ संचालित हो सके. देश भर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में प्रवेश परीक्षा से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक की पात्रता परीक्षाओं जैसे सीयूईटी, आईआईटी-जेईई, यूजीसी-नेट,  सीएसआईआर, एनसीईटी आदि के आयोजनों में लगातार किसी न किसी रूप में शिकायतें आ रही हैं तो निश्चित तौर पर एनटीए की कार्य शैली पर प्रश्न बनता है.

पिछले दिनों दिल्ली में सीयूईटी के परीक्षा केंद्र पर अभ्यर्थियों को पहुंचने के बाद पता चला कि उनकी परीक्षा पोस्टपोन कर दी गई है और इस तरह की घटना बारंबार सामने आ रही है. इन सारी वजहों से एनटीए के कार्यकलापों की गहन समीक्षा की जानी चाहिए कि क्या इसका गठन जिन उद्देश्यों को लेकर हुआ था वह पूरा हो पर रहा है या यह एजेंसी भटकाव की दिशा में है. अगर भटकाव की दिशा में है तो सुधार कैसे आएगा.

(लेखक दिल्ली विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं)

Bharat Express

Recent Posts

ट्रंप की ‘टैरिफ धमकियों’ के बीच कनाडा ने किया नई सीमा सुरक्षा योजना का ऐलान

ट्रंप ने कहा कि टैरिफ तब तक लागू रहेगा जब तक कि वे अपने देशों…

4 mins ago

J&K: कुलगाम में सुरक्षाबलों का आतंक पर बड़ा प्रहार, 5 आतंकियों को मुठभेड़ में किया ढेर, सर्च ऑपरेशन जारी

सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि जब सेना की एंबुलेंस गांव से गुजर रही थी, तो…

23 mins ago

विजय माल्या ने Fraud किया 6 हजार करोड़ का, लेकिन Modi Government ने वसूल लिए 14 हजार करोड़, अब भगोड़े ने खुद लगाई गुहार

ईडी ने माल्या के खिलाफ कई मामलों की जांच शुरू की थी, जिनमें आरोप था…

1 hour ago

आबकारी नीति मामले में गवाह बने दिनेश अरोड़ा के खिलाफ लुकआउट सर्कुलर को निलंबित करने का आदेश

अदालत ने कहा कि विदेश यात्रा का अधिकार संविधान द्वारा प्रदत्त जीवन और स्वतंत्रता के…

10 hours ago