दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने कहा- भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराने के लिए प्रत्यक्ष साक्ष्य अनिवार्य नहीं – सर्वोच्च न्यायालय की संविधान पीठ का मानना है कि भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी ठहराए जाने के लिए लोक सेवक द्वारा रिश्वत की मांग का प्रत्यक्ष प्रमाण आवश्यक नहीं है। यह परिस्थितिजन्य साक्ष्य के माध्यम से भी साबित किया जा सकता है जब उसके या उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं है।