प्रतीकात्मक तस्वीर
Finfluencers Not Getting Work: सोशल मीडिया के इस युग में जितने ज्यादा फॉलोअर्स उतना अच्छा लेकिन Finfluencers के साथ अब ऐसा नहीं है. 1 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स वाले Finfluencers के साथ ब्रांड्स काम नहीं करना चाहते हैं. Finfluencers का कहना है कि पहले जहां उन्हें हर महीने 20 तक ब्रांड कोलाबरेसन्स मिल जाते थे वहीं अब उन्हें 2 से ही काम चलाना पड़ता है.
दरअसल एक्सचेंजों द्वारा 2 फरवरी, 2023 को जारी किए गए “स्टॉक ब्रोकर्स के लिए विज्ञापन के संशोधित कोड” नाम के एक सर्कुलर के माध्यम से नियमों में बदलाव किया गया है. इस सर्कुलर के नियम 5 में विस्तार से विज्ञापनों के लिए नियम बताए गए हैं. इसमें साफ शब्दों में बताया गया स्टॉक एक्सचेंज से जुड़े विज्ञापनों में किसी भी सेलेब्रिटी को शामिल नहीं करना चाहिए. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि 10 लाख या 1 मिलियन से ज्यादा फॉलोअर्स वाला कोई भी व्यक्ति सेलेब्रिटी माना जाएगा.
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नए नियम के मुताबिक कोई भी स्टॉक ब्रोकर अब ऐसे फिनइंफ्लूएंसर्स के साथ कोलाबरेट नहीं कर सकते हैं.
इंफ्लूएंसर्स की कैटेगरी
Influencers
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Followers | fee |
CAT -A | 1 mn + | ₹5-10 lakh |
Cat-B | 3- 8 लाख | |
Cat-C | 50 हजार-1लाख | |
Nanoinfluencers | 50 हजार |
कोलाबरेटर्स छोटे फिनइंफ्लूएंसर्स के साथ काम करते हैं, जिससे कि न वो सिर्फ नियमों को मान पाते हैं बल्कि उनकी लागत भी कम होती है. बताया जाता है कि जहां एक कैटेगरी ए का फिनइंफ्लूएंसर एक वीडियो के लिए 5 से दस लाख रुपए चार्ज करता है वहीं इतने ही पैसे में कैटेगरी बी के 15 और 50 नौनो इंफ्लूएंसर्स को साइन कर सकते हैं. यही वजह है कि अब बड़े फिनफ्लूएंसर्स नए चैनल बनाने की योजना बनाना रहे है. ताकि वो ब्रांड्स के साथ कोलाबरेट कर सकें.
इसके अलावा ब्रांड्स को लगता है कि बड़े इंफ्लूएंसर्स का कंवर्जन रेशियो छोटे इंफ्लूएंसर्स जैसा नहीं है. इसीलिए ब्रांड्स बड़े इंफ्लूएंसर्स से किनारा कर रहे हैं.