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भारत बनेगा सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, 2026 तक विकास दर 6.4% पहुंचेगी: मॉर्गन स्टेनली

मॉर्गन स्टेनली की नई रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2025 में 5.9% और 2026 में 6.4% होने का अनुमान है, जबकि वैश्विक अर्थव्यवस्था मंदी का सामना करेगी. भारत, सिंगापुर और यूएई में सकारात्मक रुझान की उम्मीद है.

India economy growth 2025

वैश्विक निवेश कंपनी मॉर्गन स्टेनली की ताज़ा रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में भारत की अर्थव्यवस्था सबसे तेज़ रफ्तार से बढ़ेगी. इसके मुताबिक, 2025 में भारत की वास्तविक जीडीपी विकास दर 5.9 प्रतिशत रहेगी. 2026 में यह बढ़कर 6.4 प्रतिशत हो जाएगी. मॉर्गन स्टेनली की ग्लोबल इन्वेस्टमेंट कमेटी ने यह अनुमान जारी किया है. यह कमेटी आर्थिक हालात और वित्तीय बाज़ारों का नियमित मूल्यांकन करती है.

दूसरी ओर, पूरी दुनिया की आर्थिक वृद्धि धीमी होने की आशंका जताई गई है. रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में वैश्विक विकास दर 3.5 प्रतिशत रहेगी. 2025 में यह घटकर 2.5 प्रतिशत पर आ सकती है. कमेटी ने कहा कि व्यापार से जुड़ा झटका कई देशों को एक साथ प्रभावित करेगा. इससे अधिकतर अर्थव्यवस्थाएं अपनी संभावित विकास दर से नीचे चली जाएंगी.

जापान की अर्थव्यवस्था पर भी व्यापार का असर

रिपोर्ट में कहा गया है, “हम अनुमान लगा रहे हैं कि 2025 में वैश्विक विकास में एक प्रतिशत की गिरावट आएगी. इसका मुख्य कारण अमेरिका की व्यापार नीति और उससे जुड़ा अनिश्चित माहौल होगा.”

अमेरिका में भी मंदी के संकेत हैं. वहां की जीडीपी वृद्धि दर 2024 में 2.5 प्रतिशत रहेगी. लेकिन 2025 और 2026 में यह घटकर केवल 1 प्रतिशत रहने का अनुमान है. यूरोज़ोन में भी स्थिति बेहतर नहीं दिख रही. वहां निजी खर्च और निर्यात में कमी से विकास दर 1 प्रतिशत से ऊपर जाने की संभावना नहीं है.

चीन की अर्थव्यवस्था भी धीमी हो सकती है. रिपोर्ट के मुताबिक, 2025 में चीन की वृद्धि दर करीब 4 प्रतिशत रहेगी. 2026 में मामूली बढ़कर 4.2 प्रतिशत हो सकती है. चीन में महंगाई कम रहने यानी डिफ्लेशन का खतरा भी बना रहेगा. जापान में भी व्यापार झटके से निर्यात प्रभावित होगा. हालांकि उपभोक्ता खर्च मजबूत बना रहने से नाममात्र जीडीपी में बढ़ोतरी होती रहेगी.

भारत, सिंगापुर और यूएई पर विशेष भरोसा

वैश्विक चुनौतियों के बीच, रिपोर्ट में एशिया पैसिफिक और कुछ उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सकारात्मक रुझान की उम्मीद जताई गई है. 2026 के मध्य तक यह रफ्तार कायम रह सकती है.

भारत, सिंगापुर और यूएई पर रिपोर्ट में विशेष भरोसा जताया गया है. इन देशों में चल रहे सुधार और मजबूत घरेलू विकास इस भरोसे का आधार हैं. हालांकि रिपोर्ट में यह भी माना गया कि भारतीय शेयर बाज़ार की वैल्यूएशन ऐतिहासिक स्तरों के मुकाबले महंगी हैं. इसके बावजूद घरेलू रिटेल निवेश और संस्थागत निवेश लगातार बढ़ने से बाज़ार में मजबूती बनी रह सकती है.

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-भारत एक्सप्रेस 



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