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क्रिसिल ने FY26 में GDP वृद्धि का 6.5% लगाया अनुमान, बेहतर मानसून को भी बताई वजह

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने अच्छे मानसून, ब्याज दरों में कटौती और ग्रामीण सहयोग के चलते भारत की 2025-26 की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.5% किया है. रिपोर्ट में सरकारी खर्च, निवेश और निजी खपत में तेजी की संभावना जताई गई है, हालांकि वैश्विक अनिश्चितता और निर्यात पर असर की आशंका बनी हुई है.

GDP

(सांकेतिक तस्वीर).

रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 6.5% कर दिया है. यह अनुमान अच्छे मानसून, ब्याज दरों में कटौती और ग्रामीण क्षेत्रों को मिल रहे सरकारी सहयोग पर आधारित है.

भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि इस साल मानसून सामान्य से बेहतर रहने की संभावना है. विभाग ने 2026 वित्त वर्ष में मानसून 106% रहने का अनुमान जताया है. इससे कृषि उत्पादन में बढ़ोतरी की उम्मीद है. खेती में तेजी से ग्रामीण आय में सुधार होगा और खर्च बढ़ेगा.

मानसून से खेती और ग्रामीण आय को उम्मीदें

क्रिसिल ने रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष में एक और ब्याज दर में कटौती हो सकती है. इससे घरेलू मांग को और बल मिलेगा. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया पहले ही मौद्रिक नीति में नरमी के तहत 100 बेसिस प्वाइंट की कटौती कर चुका है. इसके बाद बैंकों ने कर्ज की ब्याज दरें घटा दी हैं.

सरकारी खर्च में भी तेजी देखी गई. मई में केंद्र सरकार का पूंजीगत खर्च (कैपेक्स) 38.7% बढ़ा. 17 बड़े राज्यों के आंकड़े बताते हैं कि मई में राज्यों का कुल पूंजीगत खर्च सालाना आधार पर 44.7% बढ़ा. मई में निवेश से जुड़े सामानों का उत्पादन अच्छा रहा. इंफ्रास्ट्रक्चर और कंस्ट्रक्शन सामान का उत्पादन 6.3% बढ़ा. अप्रैल में यह 4.7% था.

निवेश और निर्यात क्षेत्र में मिश्रित रुझान

रिपोर्ट में कहा गया कि आयकर में कटौती और बजट में घोषित ग्रामीण मदद योजनाएं भी निजी खपत को सहारा देंगी. हालांकि, कुछ चुनौतियां भी हैं. अमेरिका द्वारा घोषित रेसिप्रोकल टैरिफ 9 जुलाई से लागू होंगे. इससे सामान के निर्यात पर असर पड़ सकता है. वैश्विक अनिश्चितता की वजह से निजी निवेश पर भी दबाव आ सकता है.

मई में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (IIP) की वृद्धि दर घटकर 1.2% रह गई. अप्रैल में यह 2.6% थी. अगस्त 2024 के बाद यह सबसे कमजोर आंकड़ा है. बिजली क्षेत्र में गिरावट और मैन्युफैक्चरिंग में सुस्ती ने IIP को कमजोर किया. उपभोक्ता वस्तुओं, दवाइयों, रसायनों और वस्त्रों के उत्पादन में भी गिरावट रही.

वहीं, निवेश से जुड़े क्षेत्रों में बेहतर वृद्धि दर्ज हुई. निर्यात से जुड़ी इंडस्ट्री में मिला-जुला प्रदर्शन देखने को मिला.

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-भारत एक्सप्रेस 



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