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भारत में मीडिया और मनोरंजन उद्योग के विकास पर Media Executive और Entrepreneur उदय शंकर ने जो कहा, आपको जानना चाहिए

Media Executive और Entrepreneur उदय शंकर से उनके करिअर और भारत के उभरते मीडिया तथा मनोरंजन उद्योग पर बातचीत के प्रमुख अंश.

मीडिया एक्जीक्यूटिव और उद्यमी उदय शंकर.

मीडिया एक्जीक्यूटिव और उद्यमी उदय शंकर (Uday Shankar) ने पिछले तीन दशकों में भारत और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में मनोरंजन (Entertainment) और मीडिया (Media) के बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. पत्रकारिता से अपने करिअर की शुरुआत करने के बाद उदय शंकर ने 2007 में News Corp का हिस्सा रहे Star India के CEO के रूप में मनोरंजन व्यवसाय में कदम रखा.

बाद में उन्होंने 21st Century Fox (Asia) और Disney (Asia–Pacific) में कार्यकारी भूमिकाएं निभाईं. Star में रहते हुए उदय शंकर ने भारत के लिए कई अग्रणी टीवी कंटेंट बनाए, जिसमें अपनी तरह का पहला टॉक शो सत्यमेव जयते (Satyamev Jayate) भी शामिल था, जो शराब पीने की लत, कन्या भ्रूण हत्या (Female Infanticide) जैसी विभिन्न सामाजिक बुराइयों पर बातचीत करता था.

उदय शंकर ने भारत में टीवी क्रिकेट कवरेज (Cricket Coverage) को भी बदल दिया और भारतीय मूल के खेल कबड्डी (Kabaddi) को लोकप्रिय बनाया, जिससे यह क्रिकेट के बाद भारत में दूसरा सबसे ज्यादा देखा जाने वाला खेल बन गया. उनके नेतृत्व में Star ने वीडियो-स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म Hotstar (अब Disney+ Hotstar) लॉन्च किया.

2022 में उदय शंकर और जेम्स मर्डोक (James Murdoch) ने मिलकर निवेश मंच बोधि ट्री सिस्टम्स (Bodhi Tree Systems) का गठन किया, जिसने हाल ही में स्ट्रीमिंग-सेवा जियो सिनेमा (Jio Cinema) को फिर से तैयार करने में मदद करने के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ रणनीतिक गठबंधन किया.

भारत के प्रमुख नियामक निकायों ने हाल ही में डिज्नी (Disney) और रिलायंस (Reliance) के भारतीय मनोरंजन व्यवसायों के प्रस्तावित 8.5 बिलियन डॉलर के विलय को हरी झंडी दी है. उदय शंकर इस संयुक्त उद्यम के उपाध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने के लिए तैयार हैं, जो भारत की सबसे बड़ी मीडिया और मनोरंजन कंपनी होगी.

मैकिन्से (McKinsey) के सीनियर पार्टनर रामदास सीतारामन और मैकिन्से ग्लोबल पब्लिशिंग के राजू नारीसेट्टी के साथ एक विस्तृत इंटरव्यू में उदय शंकर ने अपनी यात्रा की जानकारी देने के साथ दो दिग्गज कंपनियों के विलय और भारत के उभरते मीडिया और मनोरंजन उद्योग पर चर्चा की. इस बातचीत के मुख्य अंश:

पत्रकारिता का बैकग्राउंड कितना मददगार

अगर आप एक अच्छे और एक गंभीर पत्रकार हैं, तो आप जो काम बहुत अच्छी तरह से करते हैं, वह है किसी समस्या को देखना, उसका विश्लेषण करना और फिर यह पहचानना कि उस समस्या का समाधान खोजने के लिए सबसे अच्छे लोग कौन हैं. आप उनके पास जाते हैं और उन्हें इस बारे में बताते हैं. आप यह देखने की कोशिश करते हैं कि वे आपको कहां ले जा रहे हैं, या वे कहां सही नहीं हैं.

मैंने यही किया है. मैं किसी समस्या पर बारीकी से ध्यान केंद्रित करता हूं, उसे उसके सबसे छोटे-छोटे टुकड़ों में तोड़ता हूं और फिर बुद्धिमान लोगों के साथ बैठकर देखता हूं कि समस्या को कैसे हल किया जाए. मैं अब भी एक रिपोर्टर और संपादक के रूप में जो सीखा है, उसका उपयोग अपनी टीम को उनके कम्फर्ट जोन से बाहर निकालने, किसी समस्या को देखने, उसका विश्लेषण करने और ऐसे समाधान खोजने के लिए करता हूं, जो ज्यादातर लोगों को नहीं मिले हैं.

साथ ही एक पत्रकार के तौर पर आप बड़ी और बोल्ड हेडलाइन की तलाश करते हैं. कोई भी 18वीं स्टोरी के लिए नहीं आता; लोग पहली दो या तीन स्टोरी के लिए आते हैं. इसी तरह अगर आप एक छोटी समस्या या कई छोटी समस्याओं को हल करते हैं, तो यह कोशिश एक बड़ी समस्या को हल करने के बराबर ही होती है. यह टीम को थका देता है और उन्हें अधीर बनाता है, क्योंकि उन्हें बढ़िया नतीजे और प्रशंसा या मूल्य सृजन नहीं दिखता.

मुझे एहसास हुआ कि मेरे पास बहुत ज्यादा काम करने या कम काम करके ज्यादा प्रभाव पैदा करने के बीच चुनने का विकल्प था और यह मेरे लिए कारगर रहा. वास्तव में मैं उन स्थितियों में बहुत बेचैन हो जाता हूं, जहां अधिकारी और मेरे लीडर बहुत ज्यादा काम करने लगते हैं. पिछले 15 सालों में मैंने जितनी भी भूमिकाएं निभाई हैं, मैंने अपनी टीमों के लिए जो सबसे बड़ा वैल्यू हासिल किया है, वह उन्हें कम काम करने के लिए प्रेरित करना है, लेकिन ज्यादा प्रभाव के साथ.

Satyamev Jayate शो कैसे शुरू हुआ

अभिनेता आमिर खान (Aamir Khan) ने 3 Idiots नामक एक फिल्म में काम किया था, जो एक बड़ी सफलता थी और सामाजिक रूप से भी बहुत प्रासंगिक थी. इसने मेरा ध्यान खींचा था.

जब मैंने स्टार को संभाला, तो यह एक मनोरंजन नेटवर्क था, जहां मनोरंजन व्यवसाय के मामले में बड़ा था, लेकिन प्रासंगिकता में बहुत छोटा था. और मैं समाचार से आया था, जो व्यवसाय के मामले में छोटा है, लेकिन प्रासंगिकता में बहुत बड़ा है. तो इस तरह से यात्रा शुरू हुई. मैं एक मनोरंजन मंच पर कुछ ऐसा करना चाहता था जो इसे प्रासंगिक बना सके.

आमिर ने कभी टीवी पर काम नहीं किया था और उन्हें मनाने में बहुत समय लगा. एक बार जब उनकी दिलचस्पी बढ़ गई, तो उन्होंने एक रूपरेखा तैयार की, जिसे यह साबित करने के लिए डिजाइन किया गया था कि मनोरंजन को सीमित नहीं होना चाहिए.

सत्यमेव जयते (Satyamev Jayate) एक जोखिम था. इससे निपटने के दो तरीके हैं. एक है, CEO के तौर पर आप बस यही कहेंगे, ‘मैं यही करना चाहता हूं.’ और मुझे लगता है कि इस दृष्टिकोण से विफलता का जोखिम बहुत अधिक हो जाता है. दूसरा है सभी को इसके लिए संगठित करना, जो हमने किया. मेरी अपनी लीडरशिप टीम के साथ पहली कुछ बातचीत आसान नहीं थी. मुझे याद है कि मेरे CFO ने मुझसे कहा था कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि हम टॉक शो (Talk Show) क्यों कर रहे हैं.

इसे सभी को समझाने में बहुत समय लगा, लेकिन मैं कभी भी काम करने की जल्दी में नहीं रहता. कभी-कभी मेरे बॉस मेरे निर्णय लेने की स्पीड से चिढ़ भी जाते थे, लेकिन मैं समस्या पर लंबे समय तक टिकता हूं और उस समय का इस्तेमाल सभी को साथ लाने और उनके मन में सभी संदेहों और सवालों को हल करने में करता हूं. मैं यह भी मानता हूं कि जब आप कुछ ‘अलग’ कर रहे होते हैं, तो उस पूरी श्रृंखला की हर कड़ी अलग होनी चाहिए. सत्यमेव जयते के मामले में हमने सामान्य रणनीति को पूरी तरह से त्याग दिया. शो का कंटेंट पूरी तरह से अलग था, लेकिन इसे बहुत ही अलग तरह की मार्केटिंग और प्रचार का सपोर्ट मिला और यह बहुत बड़ा बन गया.

क्रिकेट कवरेज और हिंदी कमेंट्री

हमने Fox के वैश्विक नेतृत्व को इस बात के लिए राजी किया कि वे हमें उनके व्यवसाय में ESPN की हिस्सेदारी खरीदने दें, जिसे लोग पागलपन मानते थे. अगर आप उस व्यवसाय के वित्तीय मामले को देखें, तो यह बहुत ज्यादा घाटे में चल रहा था, लेकिन मैंने पाया कि संयुक्त उद्यम व्यवसाय (Joint Venture Business) भारत के लोगों के लिए डिजाइन नहीं किया गया था.

आपको एक उदाहरण देता हूं, शायद 85 प्रतिशत क्रिकेट कमेंट्री अंग्रेजी में होती थी और शेष 15 प्रतिशत हिंदी में होती थी, जबकि देश में अनुमानित 3 प्रतिशत लोग अंग्रेजी में सहज हैं.

ऐसा इसलिए क्योंकि उस समय सभी स्थापित खेल प्रसारकों के बीच यह समझदारी थी कि किसी को भी कमेंट्री में कोई दिलचस्पी नहीं थी; किसी को भी कंटेंट में कोई दिलचस्पी नहीं थी. वे सिर्फ खेल में जो हो रहा है, बस वो देखना चाहते थे. लेकिन यह ऐसा है जैसे यह कहना कि किसी फिल्म का साउंडट्रैक अप्रासंगिक है, इसलिए वहां एक अवसर था.

मैं हमेशा से स्थानीय भाषाओं में बहुत विश्वास करता रहा हूं. समाचारों के लिए भी मैं क्षेत्रीय भाषा के समाचार चैनलों को बढ़ावा देने वाले पहले लोगों में से एक था. तब, मनोरंजन के क्षेत्र में स्टार बहुत बड़ा था, लेकिन स्टार हिंदी और थोड़ी-बहुत अंग्रेजी तक ही सीमित था.

जब हमने कार्यभार संभाला, तो हमने हर प्रमुख भारतीय भाषा में बाजार दर बाजार जाकर चैनल लॉन्च किए और आज स्टार का नेतृत्व उसी की वजह से बहुत मजबूत है. इसलिए हमने सोचा, वह मॉडल खेलों के लिए क्यों काम नहीं कर सकता? मेरे तत्कालीन बॉस जेम्स मर्डोक के साथ मेरी पहली बातचीत ज्यादा समय तक नहीं चली, क्योंकि सभी ने सोचा, ‘अगर ESPN संघर्ष कर रहा है, तो किसी ऐसे व्यक्ति के लिए इसमें शामिल होना क्यों समझदारी है, जिसके पास कोई अनुभव नहीं है?’

लेकिन हमने इस सोच को पलट दिया और कहा, ‘नहीं, यह खेल के बारे में नहीं है; यह लोगों के बारे में है.’ मेरी टीम ने इस पर दो साल तक काम किया और एक योजना बनाई. आज भारत में खेल की खपत का 10 प्रतिशत से भी कम हिस्सा अंग्रेजी में है. यह इतना गहरा हो गया है कि अब हम इसे जियो सिनेमा और अन्य जगहों पर कर रहे हैं, जहां कंटेंट में केवल भाषाएं ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय बोलियां भी शामिल हैं.’

कबड्डी: दर्शकों का अगला बड़ा खेल

कबड्डी का अनुभव क्रिकेट से थोड़ा अलग था, जबकि क्रिकेट का टीवी पर प्रसारण बहुत बढ़िया रहा और अभी भी चल रहा है, ओनरशिप (प्रसारण अधिकारों का) का छोटा चक्र हमेशा चिंता का विषय रहा है, क्योंकि यह आपके खिलाफ काम करता है.

मैं इससे खुश नहीं था. हम कब तक कुछ सालों के लिए अधिकार खरीदते या पट्टे पर लेते रह सकते थे और फिर वापस जाकर ज्यादा भुगतान करते रह सकते थे? हमें दूसरे खेलों को विकसित करने की जरूरत थी. इसलिए मैंने पूछा, ‘ऐसा कौन सा खेल है जिसके बारे में हर कोई जानता है?’ और जवाब था कबड्डी.

फिर से, क्योंकि हम इतने लंबे समय से इसके बारे में सोच रहे थे, हमने समझा कि खेल में बहुत ऊर्जा और क्षमता है और दर्शकों को आकर्षित करने की बहुत बड़ी क्षमता है. लेकिन एक मुख्य समस्या जिसे हमें हल करना था, वह यह थी कि यह पर्याप्त शहरी नहीं था. कोई औपचारिक रिपोर्टिंग या कमेंट्री या टीवी कवरेज नहीं था; इसका कोई औपचारिक वर्णन नहीं था. इसकी अपनी कोई भाषा नहीं थी. और हमने कहा, ‘हम यह सब करेंगे.’

कबड्डी उन सबसे संतोषजनक चीजों में से एक है, जिसे हमने एक समूह के रूप में स्टार में हासिल किया है. इसे लेकर मिली प्रतिक्रिया ने हमें भी आश्चर्यचकित कर दिया. इसके उद्घाटन वर्ष में लगभग 400 मिलियन से 500 मिलियन लोगों ने इसे देखा.

इसका एक और हिस्सा भी उतना ही संतोषजनक था. भारतीय राष्ट्रीय टीम के कप्तान सहित बड़ी संख्या में लोग कृषि क्षेत्रों में काम करते थे, क्योंकि भले ही कबड्डी प्रसिद्ध थी, यह एशियाई खेलों में एक इवेंट है. आप इससे अपना करिअर नहीं बना सकते थे. अब 250 से अधिक लोगों ने कबड्डी को अपनी आजीविका बनाई है, जो इस खेल से 50,000 से लेकर 1,00,000 डॉलर या उससे अधिक कमा रहे हैं. और इसने टीम को प्रेरित किया.

Hotstar की शुरुआत

हॉटस्टार की कहानी 2010 से 2012 के आसपास शुरू हुई, जब ज्यादा से ज्यादा लोगों ने ऑनलाइन कंटेंट देखना शुरू किया. भारत में इंटरनेट तो आ गया था, लेकिन ब्रॉडबैंड नहीं था और स्मार्टफोन भी नहीं थे. लोग डोंगल लेते थे, पेन ड्राइव पर कंटेंट डाउनलोड करते थे.

देश भर में अपनी यात्राओं और व्यापक भारत से अपनी कनेक्टिविटी से मुझे जो एक बात समझ में आई, वह यह थी कि इस देश में बहुत से लोग टीवी के दौर से पूरी तरह से दूर हो चुके थे. उनमें से बहुत से लोग मोबाइल वर्कफोर्स का हिस्सा थे और छोटे शहरों या गांवों से बड़े शहरों में आए थे. उनकी रहने की स्थिति उन्हें टीवी रखने की अनुमति नहीं देती थी, फिर भी वे कंटेंट देखना चाहते थे.

Netflix और Amazon जैसे प्लेटफॉर्म अभी भारत में नहीं आए थे और वे सभी बड़ी स्क्रीन के लिए सॉल्यूशन थे. हमें एहसास हुआ कि ‘बड़ी स्क्रीन’ यहां जाने का रास्ता नहीं था, हमें इसका कोई हल निकालना था.

बहुसंख्यक वर्ग के लिए कंटेंट बनाना

उस समय देश में ज्यादातर मोबाइल हैंडसेट एंड्रॉयड थे. एप्पल उतना लोकप्रिय नहीं था और कनेक्टेड टीवी अभी तक नहीं आए थे. इसलिए हमने एंड्रॉयड फोन के लिए डिजाइन करने का फैसला किया. कुछ लोग इसे नहीं देख पाएंगे, लेकिन मुझे ऐसा कुछ भी करने में कोई दिलचस्पी नहीं है जो सिर्फ एक छोटे, कुलीन वर्ग के लोगों को आकर्षित करे.

हॉटस्टार के साथ भी यही हुआ. उदाहरण के लिए, लंबे समय तक हॉटस्टार के पास आईपैड के लिए कोई व्यवस्था (Solution) नहीं थी. हमारे सभी वैश्विक प्रतिस्पर्धियों के पास बेहतरीन आईपैड सपोर्ट थे, लेकिन मेरी टीम बहुत स्पष्ट थी. मुझे अपने चीफ प्रोडक्ट ऑफिसर से बात करते हुए याद है, ‘आप जानते हैं, मेरे लिए ऐसी मीटिंग में जाना वाकई शर्मनाक है, जहां लोग कहते हैं, ‘ओह, आपके पास आईपैड के लिए कोई सपोर्ट नहीं है.’

और उन्होंने कहा, ‘हमारा सौदा कुछ ऐसा बनाने का था जो देश में सबसे ज्यादा देखी जाने वाली स्ट्रीमिंग सेवा हो. मेरे साथ किए गए सौदे का कोई भी हिस्सा यह नहीं है कि मैं आपको आपके दोस्तों के सामने शर्मिंदा न करूं.’

और मुझे लगा कि यह उचित था और मैं पीछे हट गया. लेकिन यही बात है, आधे समय में हम अपने साथियों के समूह के लिए डिजाइन करना चाहते हैं, भले ही हम यह कहते रहें कि हम बाजार के लिए डिजाइन करना चाहते हैं. आपको इसके बारे में बहुत-बहुत अनुशासित होना होगा. यही हमने हॉटस्टार के मूल में रखा. हमने सुनिश्चित किया कि जिस किसी के पास कंटेंट तक पहुंच नहीं थी, उसे वह कंटेंट सबसे पहले मिले.

तो हॉटस्टार एक ऐसा समाधान था, जिसे डेटा की कमी वाले माहौल में बहुत कम कीमत वाले एंड्रॉयड फोन के लिए डिजाइन किया गया था. हॉटस्टार को इस तरह से डिजाइन किया गया था कि अगर आपको वीडियो दिखाई न भी दे, तो भी ऑडियो सुनाई देती रहे.

स्ट्रीमिंग सेवा की शुरुआत

तब हर कोई कह रहा था, ‘बाजार तैयार नहीं है,’ क्योंकि, उस समय भारत में डेटा 250 से 300 रुपये (3.00 से 4.00 डॉलर) प्रति गीगाबाइट था, जबकि अब यह 9 रुपये (0.10 डॉलर) प्रति गीगाबाइट है. यह जियो क्रांति से पहले की बात है. लेकिन मुझे पता था कि देश बहुत लंबे समय तक डेटा की कमी से नहीं जूझने वाला है; मैंने सुना था कि टेलीकॉम कंपनियां क्या कर रही थीं.

उस समय हर टेलीकॉम कंपनी की महत्वाकांक्षा स्ट्रीमिंग क्षेत्र में कुछ बनाने की थी. इसलिए उनके पास पाइप था और वे बस इसके माध्यम से पानी को धकेल सकते थे. हमने कहा, ‘सबसे पहले आइए मोबाइल पर कंटेंट देखने के विचार के साथ बाजार को तैयार करें और फिर हम यह पता लगाएंगे कि इससे पैसा कैसे कमाया (Monetize) जाए.’

यही मेरा दृष्टिकोण रहा. पहले आप लोगों को प्रोडक्ट स्वीकार करवाते हैं, फिर आप यह पता लगाते हैं कि उनसे कैसे पैसा लिया जाए. हम एक ऐसा समाधान बनाना चाहते थे, जो बाजार की तकनीक द्वारा हमें अवसर दिए जाने पर तैयार हो. और हमें वह अवसर तब मिला जब जियो लॉन्च हुआ. इसके साथ ही डेटा सस्ता और सर्वव्यापी हो गया और हमारे पास उच्च-गुणवत्ता वाला प्रीमियम कंटेंट था, जिस तक इस देश की आबादी के एक बड़े हिस्से की तब तक पहुंच नहीं थी. तो यह बिल्कुल सही समय पर हुआ.

बदलाव का दौर

हर कोई जानता है कि मीडिया एक बड़े बदलाव से गुजर रहा है. और जब भारत उन कुछ बाजारों में से एक है, जहां टीवी अभी भी काफी हद तक अच्छी स्थिति में है, उसके भीतर बहुत कुछ बदल रहा है. कनेक्टेड टीवी और हैंडहेल्ड डिवाइस बहुत महत्वपूर्ण और मुख्यधारा बन गए हैं.

आप वैश्विक खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं. Google और Meta. डिजिटल-विज्ञापन राजस्व का अधिकांश हिस्सा इन दो कंपनियों को जाता है, इसलिए आपको बदलाव करने की जरूरत है; आपको एक व्यवसाय बनाने की जरूरत है. हमने अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठाने और उस रणनीतिक बदलाव को करने का अवसर देखा. विलय के लिए यही प्राथमिक तर्क है.

दूसरी बात यह है कि स्ट्रीमिंग के मामले में मोनोटाइज मॉडल में कुछ नया करने और उसे बदलने का अवसर है. अगर आप सिर्फ SVOD (सब्सक्रिप्शन वीडियो ऑन डिमांड) और AVOD (विज्ञापन-आधारित वीडियो ऑन डिमांड) रेवेन्यू को बढ़ावा देते रहेंगे, तो आप सीमित हो जाएंगे.

हालांकि आज बहुत से लोग ऐसे हैं, जो कंटेंट के लिए पैसे देने को तैयार हैं और जो विज्ञापनदाताओं के लिए दिलचस्प या महत्वपूर्ण हैं, लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जो इन दोनों में से किसी भी मॉडल के लिए प्रासंगिक नहीं हैं. इसके लिए आपको एक नए तरह का मोनोटाइजेशन मॉडल बनाने की जरूरत है. कोई भी नया रेवेन्यू स्ट्रीम बनाने में कामयाब होता है, उसे निश्चित रूप से फायदा होता है, इसलिए मुझे लगता है कि ये सभी अवसर मौजूद हैं.

भारत में चुनौतियां और अवसर

कई विदेशी कंपनियां भारत में सफल नहीं हो पाई हैं, मुख्यत: इसलिए क्योंकि भारत में काम शुरू करने से पहले ही उनके दिमाग में उनकी रणनीति बहुत स्पष्ट होती है और यह अक्सर एक वैश्विक रणनीति होती है, जिसे एक ऐसी टीम द्वारा बनाया जाता है, जो कभी भारत नहीं गई और न ही भारत को जानती है. वे भारत को 140 करोड़ लोगों की आबादी वाले देश के रूप में देखते हैं, लेकिन अगर आप इसके अंदर देखें, तो मुश्किल से 6 करोड़ लोग ‘समृद्ध’ श्रेणी में आते हैं (जिनकी आय 10,000 डॉलर से अधिक है).

तो विदेशी कंपनियां किस भारत के लिए काम करना चाहती हैं? वे यहां 140 करोड़ लोगों के लिए आती हैं, लेकिन 6 करोड़ या उससे कम लोगों के लिए समाधान डिजाइन करना शुरू कर देती हैं – यहीं पर बड़ी विसंगति है और यह अंतर्दृष्टि बहुत जल्दी स्पष्ट हो जाती है.

हालांकि, वे उस रणनीति को बदलना नहीं चाहते हैं, इसके जो भी कारण हो – कभी-कभी यह उनकी अपनी रणनीति के बारे में दृढ़ विश्वास के कारण होता है, कभी-कभी इसलिए क्योंकि यह उनके Business Model में Global Dissonance का कारण बनता है

Fox अलग था, क्योंकि भले ही इसमें एक बहुराष्ट्रीय कंपनी का वित्तीय अनुशासन था, लेकिन यह स्थानीय प्रतिभा, स्थानीय रणनीति और स्थानीय व्यापार मॉडल में विश्वास करता था. इसने हमें बहुत आजादी दी. इसलिए जब Fox विदेशी स्ट्रीमिंग सेवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा करने के लिए अमेरिका और दुनिया के अन्य हिस्सों में डिजिटल उत्पाद बना रहा था, तो भारत में हमने कुछ ऐसा डिजाइन किया, जो पूरी तरह से भारतीय आवश्यकताओं और परिस्थितियों के अनुरूप था.

व्यापक आर्थिक अवसर

भारत की सेकुलर ग्रोथ प्रोफाइल बहुत मजबूत और आकर्षक बनी रहेगी. एक ऐसे देश के लिए जो अवसरों की कमी में डूबा हुआ है और उम्मीद करता है कि चीजें बेहतर होंगी, मैं अब देख रहा हूं कि लोगों ने अपने जीवन की जिम्मेदारी खुद संभालने का फैसला किया है.

इससे कई लोगों में उद्यमशीलता की ऊर्जा और आत्मविश्वास पैदा हुआ है. ज्यादातर भारतीयों का मानना ​​है कि वे एक बेहतर कल के हकदार हैं – शायद जरूरी नहीं कि उनके लिए, लेकिन अगली पीढ़ी के लिए. इसके लिए उन्हें मामलों को अपने हाथों में लेने की जरूरत है. वे सरकार या किसी सिस्टम के काम करने का इंतजार नहीं कर सकते.

जब सरकार उन्हें सहायता देती है, तो वे इसे लेने में खुश होते हैं, लेकिन वे इस पर भरोसा नहीं करते. मुझे लगता है कि यही कारण है कि हर समस्या के लिए भारतीय ऐसे समाधान खोजने लगे हैं, जो विशिष्ट रूप से भारतीय हों. हो सकता है कि ये समाधान विकसित दुनिया में काम न करें और हर जगह उनकी सराहना न की जाए, लेकिन वे मजबूत हैं और वे बहुत से लोगों के जीवन की गुणवत्ता को हल करते हैं या सुधारते हैं.

इस देश में आम सहमति है कि हमारा भाग्य बड़ा है. सभी राजनीतिक संघर्ष, झगड़े और प्रतिस्पर्धा के पीछे, विकास, वृद्धि और बेहतर कल बनाने पर ध्यान केंद्रित है. राजनीतिक वर्ग जानता है कि लोग अधिक से अधिक बेचैन हो रहे हैं.

अगर आप आज राजनेताओं से बात करें, तो कोई भी आपको विश्वास के साथ नहीं बता सकता कि वे फिर से चुने जाएंगे. यह बहुत स्वस्थ है और इसे मुक्त करना एक बहुत शक्तिशाली बल हो सकता है, क्योंकि तब उन्हें अपने मतदाताओं के व्यापक वर्ग को लाभ पहुंचाने के बारे में रचनात्मक होना होगा. इसलिए, मैं इस देश के बारे में बहुत आशावादी हूं.

भारत के भविष्य में शिक्षा की भूमिका

भारत में शिक्षा का महत्व मेरे इस विचार से जुड़ा है कि लोगों ने अपने भाग्य का फैसला खुद करने का निर्णय किया है. मैं देश के एक बहुत ही अविकसित हिस्से से आता हूं. मैं यहां सिर्फ इसलिए बैठा हूं, क्योंकि मुझे अच्छी शिक्षा मिली है. इसलिए किसी न किसी रूप में शिक्षा हमेशा से ही मेरे दिमाग में रही है कि मैं दूसरों को कुछ वापस देने का तरीका अपनाऊं.

इसलिए जब जेम्स मर्डोक और मैंने साथ मिलकर Bodhi Tree नामक एक निवेश मंच बनाने का निर्णय लिया, तो हमारा पहला बड़ा शैक्षिक निवेश Allen Career Institute नामक कंपनी में हुआ.

35 वर्षों से एलन छात्रों को भौतिकी, रसायन विज्ञान, जीव विज्ञान और गणित पढ़ा रहा है, क्योंकि छात्रों को मेडिकल और इंजीनियरिंग कार्यक्रमों में प्रवेश पाने के लिए इन विषयों में पास होना जरूरी है. एलन ने लगभग 25 लाख छात्रों को मेडिकल या इंजीनियरिंग कॉलेज प्रवेश परीक्षाओं के लिए तैयार किया है.

हमने सोचा, क्या होगा अगर कंपनी डिजिटल तकनीक द्वारा संचालित हो जो न केवल कंटेंट वितरित करने के लिए बल्कि वास्तव में सीखने और शैक्षिक परिणामों को संबोधित करती है? क्योंकि एक आदर्श कक्षा में ऐसा ही होना चाहिए और अब मशीन लर्निंग, AI और अन्य डिजिटल तकनीकों ने हमें एलन को उन लोगों के लिए एक गंतव्य बनाकर एक टूटी हुई शैक्षिक प्रणाली में एक प्रभावी हस्तक्षेप करने में सक्षम बनाया है, जो सीखना चाहते हैं.

मैं एक फॉर-प्रॉफिट मॉडल बनाना चाहता था, क्योंकि मुझे नॉन-प्रॉफिट मॉडल की भावना पसंद है, लेकिन मैं इसमें बहुत ज्यादा विश्वास नहीं करता, क्योंकि जब आपको किसी और से पैसे मांगने पड़ते हैं, तो आप सीमित होते हैं. मेरा हमेशा से मानना ​​रहा है कि फॉर-प्रॉफिट मॉडल बहुत सम्मानजनक और समाज के लिए अच्छे हो सकते हैं.

हर साल हमारे पास लगभग 2.5 करोड़ लोग शिक्षा प्रणाली में प्रवेश करते हैं और यह अब कोई कारक नहीं है कि लोग कितना भुगतान कर सकते हैं: भारतीय माता-पिता के बीच शिक्षा के लिए भुगतान करने की इच्छा शायद अभूतपूर्व है. लोग किसी भी लागत में कटौती करने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे अपने बच्चों के लिए भुगतान करना चाहते हैं.

फिर भी उन्हें अभी भी अच्छी शिक्षा नहीं मिल पा रही है, क्योंकि भारत में शिक्षा के लिए उपभोक्ता मांग उस मांग के लिए क्षमता निर्माण के प्रयासों से कहीं ज्यादा है. यहीं पर हमने सोचा कि इस समस्या को हल करने के लिए तकनीक एक बहुत अच्छा साधन है – क्योंकि इस देश के 30 करोड़ छात्रों के लिए ऐसा करने का एकमात्र तरीका है.

टीम ​बिल्डिंग

मैं इस बात पर बहुत ध्यान देता हूं कि कोई व्यक्ति किस तरह से अपने काम में अहमियत (Value) को जोड़ता है. मैं ऐसे व्यक्ति में बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देखता जिसने कई काम किए हों और उन्हें सिर्फ ‘ठीकठाक तरीके’ से किया हो.

नियुक्ति के लिए मेरा दृष्टिकोण कुछ हद तक क्रिकेट टीम के कोच जैसा है. मुझे यह जानना होगा कि यह व्यक्ति टीम में क्या करेगा? क्या यह व्यक्ति बल्लेबाज होगा या गेंदबाज? क्या वे दाएं हाथ के बल्लेबाज होंगे या बाएं हाथ के? क्या वे स्पिन के खिलाफ शानदार होंगे या तेज गेंदबाजी के खिलाफ मुझे एक बात जानने की जरूरत है कि व्यक्ति को बाकी सभी से बेहतर प्रदर्शन करने में सक्षम होना चाहिए. फिर आप पूरक कौशल विकसित करते हैं – इस तरह आप एक टीम बनाते हैं.

आपको एक उदाहरण देता हूं, जब मैं पहली बार स्टार में आया, जो कि सीईओ के रूप में मेरी पहली बड़ी नौकरी थी, तो मुझे पता था कि मैं कंटेंट और उपभोक्ताओं के बारे में थोड़ा बहुत जानता हूं. लेकिन मुझे फाइनेंस के बारे में नहीं पता था, मुझे बिक्री की जानकारी नहीं थी और मुझे पारंपरिक अर्थों में मार्केटिंग नहीं पता थी.

इसलिए मैंने उन लोगों को काम पर रखा, जिनके बारे में मुझे लगा कि वे वास्तव में इसमें अच्छे हैं. हमारी टीम में एक बहुत ही स्पष्ट समझौता था कि जो व्यक्ति किसी चीज में वास्तव में बहुत बेहतर है, वह नेतृत्व करेगा लेकिन कॉमन सेंस से उसे लगातार चुनौती मिलती रहेगी.

नामदार या कामदार

मैं लेबल के हिसाब से नहीं चलता और मुझे ऐसे मैनेजरों को काम पर रखना पसंद नहीं है जो सिर्फ नफा और नुकसान देखते हैं. मुझे यह जानना अच्छा लगता है कि ऐसी कौन सी चीज है, जिसके लिए मैं इस व्यक्ति पर भरोसा कर सकता हूं.

उदाहरण के लिए, मेरी टीम का एक व्यक्ति हमारे चैनलों पर दिखाई जाने वाली फिल्मों का अधिकार हासिल करने के लिए जिम्मेदार था. वह व्यक्ति पूरी तरह से कॉरपोरेट प्रशिक्षित नहीं था, लेकिन उसके पास एक अनोखी क्षमता थी: वह अलग तरह से सोचता था. टीवी अधिकार हासिल करने में बहुत बड़ी बोली लगाने वाले शामिल थे, जो हमेशा रहते थे. यह कठिन था.

एक दिन इस व्यक्ति ने मुझसे कहा, मेरे पास एक अलग आइडिया है. फिल्मों में लीड एक्टर की वैल्यू सबसे अधिक होती है. हम प्रोड्यूसर को दरकिनार करके एक्टर के साथ सौदा क्यों नहीं करते? एक्टर, प्रोड्यूसर से कोई पैसा नहीं लेता है और हम एक्टर को फिल्मों के लिए फीस देने के लिए सहमत होते हैं. प्रोड्यूसर इसे पसंद करेंगे, क्योंकि इससे उन पर नकदी का बोझ कम हो जाता है.

हमने शीर्ष भारतीय अभिनेता सलमान खान (Salman Khan) के साथ पांच साल के लिए ऐसा पहला सौदा किया. इसलिए कोई भी स्टूडियो या निर्माता जो उसके साथ कोई फिल्म बनाना चाहता था, उसके पास हमें वह फिल्म देने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. इसका बहुत बड़ा असर हुआ, क्योंकि भले ही ब्रॉडकास्टर्स के पास स्टूडियो और प्रोड्यूसर्स के साथ पहले से ही डील हो, लेकिन इससे कोई फर्क नहीं पड़ता. यह एक तरह की अलग सोच है जो मुझे पसंद है. वह व्यक्ति अद्भुत है, लेकिन मुझे नहीं लगता कि उसे एक बटन-डाउन कॉरपोरेट सेटअप में काम पर रखा जाएगा.

नेतृत्व की सीख

मैंने इस फील्ड में जिन लोगों के साथ काम किया है, वे सभी अपने-अपने तरीके से अनोखे हैं. मैंने उनमें से हर एक से सीखा है: रूपर्ट, जेम्स और लैचलन (मर्डोक) से, क्योंकि मैंने न्यूज कॉर्प और फॉक्स के साथ इतने करीब से और इतने लंबे समय तक काम किया है और मुकेश अंबानी (रिलायंस इंडस्ट्रीज) से, जिन्हें मैं लंबे समय से जानता हूं और अब उनके साथ मिलकर काम कर रहा हूं.

पहली बात यह है कि वे सभी इस बारे में बहुत स्पष्ट हैं कि वे जो कर रहे हैं, वह क्यों कर रहे हैं और यह स्पष्टता बहुत मददगार है. वे सभी जीतने के लिए खेलते हैं. और उन सभी में विफलता से जूझने की क्षमता होती है. वे धैर्यवान हैं और वे हार मानने को तैयार नहीं हैं.

वे सभी भरोसे पर काम करते हैं. वे सभी लोगों पर अपना दांव लगाते हैं और एक बार जब वे लोगों पर भरोसा कर लेते हैं, तो वे उनका समर्थन करने के लिए तैयार हो जाते हैं. और मैंने खुद यह सीखा है. मैं लोगों पर अपना दांव लगाता हूं; एक बार जब वे मेरा विश्वास जीत लेते हैं, तो मैं उन पर भरोसा करता हूं और उनका समर्थन करता हूं.

(मूल रूप से यह लेख mckinsey.com पर प्रकाशित हुआ है.)

-भारत एक्सप्रेस

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