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Karvy Stock Broking पर SEBI ने कसा शिकंजा, 7 साल बैन के साथ लगाया 21 करोड़ का जुर्माना, पढ़ें पूरी खबर

सेबी ने निवेशकों को गुमराह करने के लिए कार्वी ब्रोकिंग पर 13 करोड़ रुपये का और कोमांदुर पार्थसारथी पर 8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.

SEBI

प्रतीकात्मक तस्वीर

Karvy Stock Broking Scam : शेयर मार्केट में स्कैम के जरे निवेशकों को नुकसान पहुंचाने वाली कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग कंपनी (KSBL) के खिलाब SEBI  ने सख्त रूख अपनाया है. सेबी ने इस कंपनी के एमडी और इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स पर जुर्माना वगने के साथ शेयर मार्केट से कंपनी को बैन भी कर दिया है. सेबी ने कार्वी स्टॉक ब्रोकिंग लिमिटेड और उसके एमडी और प्रमोटर कोमांदुर पार्थसारथी पर 7 साल का बैन लगाया है. इसके साथ ही सेबी ने निवेशकों को गुमराह करने के लिए कार्वी ब्रोकिंग पर 13 करोड़ रुपये का और कोमांदुर पार्थसारथी पर 8 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है.

इसके साथ ही कंपनी के इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स भगवान दास नारंग और ज्योति प्रसाद पर 5-5 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया है. और इन लोगों पर 2 साल के लिए किसी भी मार्केट में लिस्टेड कंपनी में अहम पद लेने पर पाबंदी रहेगी. सेबी ने सेबी ने कंपनी के सीईओ राजीव रंजन सिंह को लापरवारी के लिए फटकार लगाते हुए शेयर मार्केट से 2 साल तक दूर रहने और किसी भी कंपनी में अहम पद लेने से रोक दिया है.

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क्या है पूरा मामला-

आपको मालूम हो कि ये पूरा मामला वित्त वर्ष 2017 से 2020 में कार्वी ब्रोकिंग फर्म द्वारा किये गए घोटाले से जुड़ा है.  ब्रोकरेज फर्म ने अपने कस्टमर्स के पैसे को गिरवी रखकर एचडीएफसी बैंक, इंडसइंड बैंक, एक्सिस बैंक, आदित्य बिड़ला और बजाज फाइनेंस जैसे बैंक और NBFC से कर्ज लिए थे. सेबी ने इस मामले में पाया कि कार्वी ने सितंबर 2016 में कॉर्वी स्टॉक ब्रोकिंग ने शेयर गिरवीं रखकर 789.41 करोड़ रुपए कर्ज उठाया था. साल 2019 तक ये लोन बढ़कर 2,032.67 करोड़ रुपये हो गया था. कार्वी ने अपने  कुल शेयरों का कम से कम 75 फीसदी हिस्सा लोन के लिए गिरवी रख दिया था.

सेबी चीफ की सख्त टिप्पणी-

सेबी की चीफ माधबी पुरी बुच ने इस मामले को लेकर बेहद तल्ख टिप्पणी दी थी. पुरी ने कहा था कि सेबी के डेड बॉडी पर एक और कार्वी जैसी घटना होगी, वहीं होल टाइम मेंबर एसके मोहंती की तरफ से जारी किए गए आदेश में रियल्टी (इंडिया) लिमिटेड और कार्वी कैपिटल लिमिटेड की दो सब्सिडरी कंपनियों को 1,442.95 करोड़ रुपये की राशि वापस करने का निर्देश दिया गया है. पैरेंट कंपनी ने गैरकानूनी तरीके से सब्सिडरी कंपनियों को फंड ट्रांसफर किया था.

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