प्रतीकात्मक तस्वीरें
बीते सप्ताह डिस्काउंट ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म shoonya में टेक्निकल ग्लिच की वजह से ट्रेडिंग नहीं हो पा रही थी. जिसकी वजह से शून्य के यूजर्स को काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा. यहां तक कि लोगों को अपने पोर्टफोलियो में ऐसे ट्रेड्स भी दिखे जो उन्होने किये ही नहीं था. जिन्हें स्कवॉयर ऑफ करने के लिए उन्हें दूसरे ट्रेडर्स की हेल्प लेनी पड़ी. इस दिक्कत की वजह से कुछ यूजर्स को जहां काफी नुकसान झेलना पड़ा , तो वहीं कुछ का प्रॉफिट मार्जिन कम हो गया था ।
अब शून्य ने यूजर्स से सोमवार को ट्रेडिंग शुरू होने से पहले अपनी पोजीशन क्लोज करने के लिए कहा गया. साथ ही कंपनी ने किसी भी तरह के घोस्ट ट्रेड होने पर शून्य की रिस्क एसेसमेंट टीम को रिपोर्ट करने के लिए बोला गया है. टीम यूजर्स के मामले देकने के बाद उन्हें सॉल्यूशन बताएगी.
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आपको मालूम हो कि ये पहली बार नहीं है जब ब्रोकर्स की वजह से ट्रेडर्स को नुकसान हुआ है. इसकी वजह से दुनियभर में इक्विटी ऑप्शंस ट्रेडिंग चिंता का कारण बनता जा रहा है. दरअसल बीते 2 सालों में ऑप्शन ट्रेडिंग का आकार तेजी से बढ़ा है और ये सिर्फ इंडिया में नहीं बल्कि अमेरिका जैसे देश में भी बढ़ा है . इसकी सबसे बड़ी वजह तेजी से बढ़ते ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म्स हैं.
बीते 2 सालों में डेली ऑप्शन ट्रेडिंग एवरेज में 10 गुना इजाफा हुआ है औज की तारीख में लगभग 45 हजार करोड़ की डेली इंडेक्स ऑप्शन ट्रेडिंग होती है जबकि स्टॉक में ये 3800 करोड़ रुपए जो पहले की तुलना में 5 गुना है.
हाल के दिनों में जिस तरह से ऑप्शन ट्रेडिंग में ग्रोथ हुई है उसे देखते हुए ऑप्शन ट्रेडिंग लॉटरी का रूप लेती जा रही है. सेबी की हाल की रिपोर्ट में पाया गया है कि 10 में 9 डेरेवेटिव ट्रेडर्स पैसा गंवाते हैं. जबकि कमाने वाले भी कुछ खास कमाई नहीं करते हैं.
जिसके बाद सवाल उछता है कि क्या सेबी को ऐसे ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म को लेकर सख्त कदम उठाने की जरूरत है.
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