Bharat Express

महेश भट्ट ने किया बड़ा खुलासा, इस वजह से पूरी नहीं हो पाई थी मां की अंतिम इच्छा, मां के मरने के बाद पिता ने किया था यह काम

Mahesh Bhatt: महेश भट्ट ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि, मेरी मां मुस्लिम थी और मेरे पिता हिंदू दोनों ने प्रेम विवाह किया था.

Mahesh Bhatt

महेश भट्ट

मशहूर फिल्म निर्माता और निर्देशक महेश भट्ट ने एक बार फिर अपनी पारिवारिक जिंदगी को लेकर खुलासा किया है. उनका कहना है कि ‘ एक समय पिता ने दूसरी शादी कर ली थी. साल 1998 में जब मेरी मां का निधन हुआ था तब वहां मेरे पिता अपनी दूसरी पत्नी के साथ वहां पहुंचे थे. मैंने उन्हें अपनी मां की आखिरी ख्वाहिश के बारे में उन्हें बताया था.

महेश भट्ट ने किया खुलासा

महेश भट्ट ने इस बात का खुलासा किया है कि जब मैने पिता से इस बारे में बात की तो उन्होंने मां की उस ख्वाहिश को पूरा करने से मना कर दिया. महेश भट्ट अरबाज खान के चैट शो ‘द इनविंसिबल सीरीज’ में अपने पुराने दिनों को याद कर रहे थे. अपने बचपन को याद करते हुए बताया कि कैसे उनकी मां को अपनी पहचान छुपानी पड़ी थी. मुस्लिम होने के बावजूद उन्हें एक हिंदू की तरह रहना पड़ा था.

मां ने इस लिए छुपाई पहचान

महेश भट्ट ने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि, “मेरी मां मुस्लिम थी और मेरे पिता हिंदू. दोनों ने प्रेम विवाह किया था, लेकिन, मेरी दादी ने मेरी मां को कभी कबूल नहीं किया. मुझे याद आता है कि साल 1948 में जब मेरा जन्म हुआ था तब हम शिवाजी पार्क में रहते थे. मेरी मां शिया मुस्लिम थीं, लेकिन वहां पर अधिकांश लोग हिंदू थे. वह आजादी के बाद का समय था, यहा कारण था कि मेरी मां ने अपनी पहचान छुपाए रखी. इसके लिए वह अपने आप को हिंदू दिखाने के लिए साड़ी पहनती थीं और माथे पर टीका लगाया करती थीं.”

इसे भी पढ़ें: Hanuman Chalisa Record: हनुमान चालीसा ने YouTube पर बनाया ऐतिहासिक रिकॉर्ड, जानिए कितनी बार देखा जा चुका है T-Series Video

पिता की बात ने तोड़ दिया था दिल

अपने पिता के बारे में बात करते हुए महेश भट्ट ने इस बात का जिक्र किया है कि मरने से पहले मेरी मां ने मुझे अपनी अंतिम ख्वाहिश के बारे में बताया था. इसे लेकर उन्होंने कहा था कि अगर मैं मर जाती हूं तो मैं अपने धर्म (मुस्लिम) के अनुसार दफन होना चाहती हूं. मैंने कहा ठीक है 1998 में जब उनका निधन हुआ जब मेरे पिता अपनी पत्नी के साथ वहां पहुंचे. उन्होंने मेरी मां के मांग में सिंदूर भी डाला. ये देखकर मैं टूट गया. क्योंकि मेरी मां हमेशा से ये चाहती थीं कि मेरे पिता सार्वजनिक रूप से उन्हें स्वीकारें.

Also Read