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Adani Green Project: अडानी समूह की रिन्यूएबल एनर्जी कंपनी 2030 तक 45 गीगावाट (GW) अक्षय ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य बना रही है, क्योंकि वह उत्सर्जन में कटौती करना चाहती है और भारत को अपने कार्बन तटस्थता लक्ष्य को पूरा करने में मदद करना चाहती है।अक्षय ऊर्जा के उपयोग करने की बात आती है तो राजस्थान और गुजरात सबसे आगे हैं इसके बाद तमिलनाडु, कर्नाटक और महाराष्ट्र हैं जो देश में कुल हरित ऊर्जा अपनाने का 70% हिस्सा हैं। रिन्यूएबल एनर्जी को सबसे धीमी गति से अपनाने वाले तीन राज्य मणिपुर, त्रिपुरा और गोवा हैं।
राजस्थान देश के सबसे महत्वपूर्ण सौर ऊर्जा केंद्रों में से एक बन रहा है। इसके पश्चिमी भाग में एक ट्रांसमिशन कॉरिडोर आकार ले रहा है, जिसमें सौर संयंत्र स्थापित करने के लिए 1.25 लाख हेक्टेयर सरकारी भूमि उपलब्ध है। दुनिया के सबसे बड़े पवन-सौर हाइब्रिड पावर प्लांट 2140 मेगावाट संयंत्र के सफल संचालन के साथ, एजीईएल के पास अब 8,024 मेगावाट के साथ भारत में सबसे बड़ा ऑपरेशनल रिन्यूएबल पोर्टफोलियो है संयंत्र एजीईएल की 100% सहायक कंपनी, अडानी हाइब्रिड एनर्जी जैसलमेर फोर लिमिटेड के अंतर्गत स्थित है।
मई 2022 में, एजीईएल ने 390 मेगावाट का भारत का पहला हाइब्रिड पावर प्लांट चालू किया था। इसके बाद सितंबर 2022 में दुनिया के सबसे बड़े सह-स्थित 600 मेगावाट के हाइब्रिड पावर प्लांट और दिसंबर 2022 में 450 मेगावाट के तीसरे हाइब्रिड पावर प्लांट की कमीशनिंग हुई। ये तीनों हाइब्रिड ऊर्जा उत्पादन संपत्तियां राजस्थान के जैसलमेर में स्थित हैं। सरकार 2030 तक 500 गीगावॉट का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड, राजस्थान के ऊर्जा क्षेत्र में सबसे बड़े निवेशकों में से एक है।
अडानी रिन्यूएबल एनर्जी पार्क राजस्थान लिमिटेड (AREPRL) – एजीईएल और गैर-पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए राज्य सरकार की नोडल एजेंसी आरआरईसीएल का एक संयुक्त उद्यम, चरणबद्ध तरीके से 10,000 मेगावाट की संचयी क्षमता वाले सौर पार्क विकसित कर रहा है। अदाणी ग्रीन एनर्जी को पहले ही कारोबारी साल 2023 में सस्टेनेलिटिक्स की ओर से रिन्यूबल एनर्जी सेक्टर में दुनिया की टॉप 10 कंपनियों में जगह दी जा चुकी है साथ ही अदाणी ग्रीन ईएसजी प्रदर्शन के लिए एशिया में पहले स्थान पर और वैश्विक स्तर पर शीर्ष 10 आरई कंपनियों में शामिल है। संयुक्त राष्ट्र के अंतरराष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन सम्मेलन (COP-26) में भारत ने 2030 तक अपनी कुल ऊर्जा आवश्यकता का 40 फीसदी हरित और नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया है, लेकिन ऊर्जा विशेषज्ञों का मानना है कि देश अभी लगभग 20 फीसदी लक्ष्य ही हासिल कर सका है। निर्धारित लक्ष्य तक पहुंचने में अभी समय लग सकता है।
बढ़ती मांग के मुताबिक इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार करने में समय लग सकता है. अभी जो ग्रिड है, उसे और उससे जुड़े तारों को शहरों और गांवों तक ले जाने में कई दशक का वक़्त लगा. हमें समझना होगा कि रिन्यूएबल एनर्जी को उसी स्तर तक ले जाने के लिए मूलभूत ढांचा बनाने में भी दशकों का समय लग सकता है
गैर-जीवाश्म ईंधन के क्षेत्र में बड़ा दावा किया जा रहा है भारत ने गैर-जीवाश्म, इन्स्टॉल्ड इलेक्ट्रिक कैपिसिटी का लक्ष्य 9 साल पहले ही पूरा कर लिया है. अब भारत ने और भी बड़ा लक्ष्य रखा है। 2030 तक भारत इंस्टॉल्ड कैपिसिटी का 50% गैर-जीवाश्म करना चाहता है साथ ही भारत सौर और पवन ऊर्जा में वैश्विक नेतृत्वकर्ता की भूमिका में हैं.
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