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Ajab Gajab: न सूरज की किरणें न चन्द्रमा की रोशनी, फिर भी इस रहस्यमयी घाटी में रहता है प्रकाश, जो भी गया हो गया ‘लापता’

Ajab Gajab: चीन ने इसके इसी रहस्यों को देखते हुए अपनी सेना को इस घाटी को ढूंढने के काम में लगाया था, लेकिन उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी.

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सांकेतिक तस्वीर

Ajab Gajab: विज्ञान ने आज भले ही कितनी भी तरक्की कर ली हो लेकिन दुनिया में आज भी कई ऐसे रहस्य हैं, जिन पर से परदा उठना बाकि है. लंबे समय से तमाम कोशिशों के बावजूद ये रहस्य इंसान के लिए एक पहेली की तरह हैं. ऐसा ही एक रहस्य जुड़ा हुआ है एक ऐसी जगह से जहां से आज तक कोई भी लौटकर नहीं आया है. जिस किसी ने भी इसकी गुत्थी सुलझाने की कोशिश की वह यहां जाने के बाद लापता हो गया.

यहां वक्त थम सा जाता है

दरअसल यह एक रहस्यमयी घाटी है, जो कि अरुणाचल प्रदेश और तिब्बत के बीच में स्थित है. इस रहस्यों से भरी घाटी को ‘शांगरी-ला घाटी’ के नाम से जाना जाता है. माना जाता है कि यहां समय भी थम सा जाता है. इसकी वजह यह है कि इस घाटी को वायुमंडल के चौथे आयाम में स्थित माना जाता है. यानी एक ऐसी जगह जो समय से प्रभावित है.

न सूर्य की किरण न चन्द्रमा की रोशनी

लेखक अरुण शर्मा ने अपनी किताब ‘तिब्बत की वह रहस्यमय घाटी’ में इसके बारे में बताया है. शांगरी-ला का जिक्र करते हुए उन्होंने लिखा है कि उन्हें इस बारे में एक लामा ने बताया था. घाटी से जुड़े रहस्य के बारे में बताते हुए लामा का कहना था कि शांगरी-ला घाटी में काल का प्रभाव भी नहीं के बराबर है.

बढ़ जाती है इंसान की ताकत

किताब में घाटी से जुड़े रहस्य तब और अचरज से भर देते हैं जब किताब से यह पता चलता है कि वहां जाने वाले इंसान के मस्तिष्क, प्राण और उसके सोचने की शक्ति काफी अधिक बढ़ जाती है. हालांकि, घाटी से जुड़ी जो बातें कही जाती है उनमें से एक यह भी है कि वहां जाने वाला इंसान कभी लौटकर वापस नहीं आता. लेकिन युत्सुंग नाम के एक व्यक्ति ने इस बात का दावा किया है कि वह इस खतरनाक घाटी में जा चुके हैं. उनका कहना है कि शांगरी-ला में न तो सूर्य का प्रकाश और चंद्रमा की रोशनी नहीं पहुंचती, लेकिन इसके बावजूद वहां चारों तरफ एक ऐसा प्रकाश है जो कि रहस्यमयी है.

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महाभारत और रामायण में भी घाटी का जिक्र

तिब्बती भाषा की किताब ‘काल विज्ञान’ समय के इसी रहस्य से जुड़ी कई बातों के बारे में बताती है. इसमें भी इस घाटी का जिक्र मिलता है. कई लोगों का मत है कि यह धरती का आध्यात्मिक नियंत्रण केंद्र है. जिसे सिद्धाश्रम भी कहते हैं. महाभारत से लेकर वाल्मिकी रचित रामायण और वेदों में भी इसके जिक्र की बात कही गई है. पड़ोसी देश चीन ने इसके इसी रहस्यों को देखते हुए अपनी सेना को इस घाटी को ढूंढने के काम में लगाया था, लेकिन उन्हें नाकामयाबी ही हाथ लगी. दुनियाभर में रहस्यमई जगहों की खोज करने वाले भी ‘शांगरी-ला घाटी’ का पता लगाने की कोशिश में इन इलाकों में गए तो लेकिन फिर उनका कोई पता नहीं चला पाया.



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