गमज़दा अखिलेश का दर्द
सैफई: सर से पिता का साया उठ जाने का दुख बहुत बड़ा होता है. इस गम को कोई भी मरहम नहीं भर सकता . कुछ ऐसा ही अखिलेश यादव भी महसूस कर रहे हैं. पिता मुलायम सिंह यादव के निधन से अखिलेश गुमसुम से नज़र आ रहे हैं. मंगलवार को पिता को मुखाग्नि देते समय दिल में भरा दर्द उनके चेहरे पर साफ नज़र आ रहा था. पिता के अंतिम संस्कार के एक दिन बाद आज सुबह अखिलेश ने ऐसा दर्द भरा ट्वीट शेयर किया ,जिसको पढ़कर सबका दिल भर आया.
बहुत खलेगी मुलायम की कमी
सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद अखिलेश यादव उनकी कमी बहुत महूसस कर रहे हैं.समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट कर लिखा है आज पहली बार लगा… बिन सूरज के हुआ सवेरा
आज पहली बार लगा…
बिन सूरज के उगा सवेरा. pic.twitter.com/XlboMo8G2V
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) October 12, 2022
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच पिता-पुत्र का रिश्ता बेहद खास था. मुलायम सिंह यादव अखिलेश की हर बात को मानते थे. पिता मोह में उन्होंने लालू प्रसाद यादव की बेटी से अखिलेश के रिश्ते को ठुकरा कर डिंपल को बहू बनाया था. हालांकि एक समय ऐसा भी आया जब पिता-पुत्र में ठन गई थी. सपा कुनबेे में चाचा शिवपाल और भतीजे अखिलेश यादव के बीच जब रार हुई तो सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव बीच में आ गए और बेटे अखिलेश को जमकर फटकार लगाई. इस पर अखिलेश ने मुलायम को ही पार्टी अध्यक्ष से हटा दिया था. दोनों के बीच मंच पर ही नोक-झोंक नजर आई थी.लेकिन बाद में दोनों के बीच सुलह हुई और 2022 विधानसभा चुनाव में दोनों साथ में चुनावी प्रचार करते हुए नजर आए. पिता के साथ हजारों पलों और यादों को दिल में सजोए अखिलेश यादव के लिए अब आगे की राह आसान नहीं होने वाली है. हर मुश्किल मोड़ पर साया बनकर खड़े रहे मुलायम की कमी अखिलेश को हमेशा खलेगी.
अखिलेश के कंधों पर मुलायम की विरासत
मुलायम सिंह ने कड़े संघर्ष और बेजोड़ मेहनत के दम पर सपा की नींव रखी और इसको मजबूती से खड़ा किया था. मुलायम सिंह के निधन के बाद उनके बेटे और सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के कंधों पर नेता जी की विरासत की जिम्मेदारी आ गई है. अखिलेश के युवा कंधों पर एक नहीं, बल्कि दो जिम्मेदारियां हैं. उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती परिवार के लोगों को एकजुट रखने की है. जिस तरह विगत सालों में सपा में मुलायम सिंह के रहते अखिलेश यादव और शिवपाल यादव में खींचतान हुई, उससे पार्टी और परिवार दोनों कमज़ोर पड़ गए. अखिलेश के ऊपर सपा का कुनबा बचाने और उसको प्रदेश में फिर से मजबूती से खड़ा करने की भी जिम्मेदारी है.
-भारत एक्सप्रेस