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“आई एम सॉरी पापा-मम्मी..मेरे से नहीं हो पायेगा”, 10वीं की छात्रा ने इमोशनल नोट लिख किया सुसाइड, बाबा रामदेव ने शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

Dausa Suicide Case: देश में बच्चों को बोर्ड परीक्षा में अच्छे नंबर लाने के लिए काफी ज्यादा पढ़ाई करने के लिए कहा जाता है. ना सिर्फ पढ़ाई करने को कहा जाता है बल्कि यहां तक कि बोर्ड में अच्छे नंबर लाने के लिए प्रेशर भी किया जाता है. जिससे बच्चों पर काफी ज्यादा दबाव बन जाता है और इस दबाव के चलते कई बार बच्चे काफी ज्यादा परेशान हो जाते हैं और कोई बड़ा कदम उठाने के लिए मजबूर हो जाते हैं. जिसके बाद देश की शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगते हैं.

देश में आज भी कई शहरों और गांवों में बच्चों पर इतना दबाव बना दिया जाता है जिसे वे झेल नहीं पाते हैं. वहीं इसी से जुड़ी हुई एक घटना राजस्थान के दौसा से सामने आयी है जो आपको सोचने को मजबूर कर देगी कि क्या वाकयी में एग्जाम में अच्छे नंबर लाने के लिए दबाव बनाना सही है. दरअसल यहां एक 15 साल की बच्ची ने अच्छे नंबर नहीं ला पाने के चलते अपनी जान दे दी और एक सुसाइड नोट छोड़कर दुनिया को अलविदा कह दिया. बाबा रामदेव ने इस सुसाइड नोट को शेयर करते हुए शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं.

फांसी लगाने से पहले बच्ची ने छोड़ा सुसाइड नोट

दरअसल यह पूरा मामला राजस्थान के दौसा से सामने आया है यहां पर एक बच्ची ने फांसी लगाकर सुसाइड कर लिया. बता दें राजस्थान में 16 मार्च से बोर्ड की परीक्षा शुरू होनी है. पढ़ाई के प्रेशर और अच्छे नंबर लाने के दबाव में एक 10वीं की छात्रा ने अपने घर में ही फंदा लगा लिया और जान दे दी. इस दौरान उसने एक सुसाइड नोट लिखा है. जिसमें लिखा है-  “आई एम सॉरी पापा-मम्मी..मेरे से नहीं हो पायेगा… मैं नहीं बना पाती शायद 95%.. मैं परेशान हो गयी हूं इस 10वीं क्लास से..मेरे से अब नहीं सहा जाता.. आई लव यू पापा, मम्मी एंड ऋषभ.. आई एम सो सॉरी.”

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बाबा रामदेव ने उठाए शिक्षा व्यवस्था पर उठाए सवाल

योग गुरु बाबा रामदेव ने एक मासूम बच्ची का सुसाइड नोट को शेयर करते हुए वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाया है. बाबा रामदेव ने करते हुए लिखा कि- “यह एक मासूम का सुसाइड नोट नहीं बल्कि समूची शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है. एक मासूम बेटी ने मॉडर्न शिक्षा के दबाव से आत्महत्या कर ली. शिक्षा व्यवस्था हमें स्वयं का और दूसरों का कल्याण करना सिखाती है या आत्महत्या करना? चिंतनीय विषय है.. क्या शिक्षा निराशा, हताशा, अवसाद पैदा करने वाली हो या स्वयं, समाज का कल्याण करने वाली हो?”

बता दें कि जब खुशबू मीणा की मां गुरुवार सुबह करीब 11 बजे छोटे भाई की स्कूल फीस जमा करने गई हुई थी. इसी दौरान पीछे से खुशबू ने यह कदम उठा लिया। जब मां घर पर लौटी तो बेटी को फांसी के फंदे पर लटका देख उसके होश उड़ गए. सूचना के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और जानकारी जुटाई.

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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