भारत की इन जगहों पर मनाई जाती है बूढी दिवाली, जाने क्या होता है इसमें खास?
By निहारिका गुप्ता
Bhojshala Dhar Controversy: मध्यप्रदेश के धार में स्थित भोजशाला पर हिंदू-मुस्लिम समुदाय के बीच फिर तनाव बढ़ गया है. रविवार को एक वीडियो वायरल होने के बाद मुस्लिम समुदाय के लोग गुस्सा हो गए. उनका आरोप है कि 11वीं सदी की इस ऐतिहासिक इमारत में हिंदुओं द्वारा मूर्ति रखने की कोशिश की गई. वहीं, हिंदू संगठनों का कहना है कि भोजशाला वास्तव में हिंदू राजा ने बनवाई थी और बाद में इस्लामिक आक्रांता खिलजी ने उस इमारत को ध्वस्त करा दिया था. फिर वहां पर मस्जिद बनवा दी गई थी.
बहरहाल, यहां तनाव बढ़ने के चलते बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों की तैनाती की गई है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत सिंह बाकरवाल ने एक बयान में कहा कि कुछ अज्ञात असामाजिक तत्वों ने भोजशाला के बाहर सुरक्षा के लिए लगाए गए कंटीले तार के बाड़ को रात में काटकर स्मारक में मूर्ति रखने की कोशिश की. इसके तुरंत बाद पुलिस ने संज्ञान लिया.
बाकरवाल ने बताया कि भोजशाला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारक है. हालांकि, इसके बावजूद दो समुदायों के लोग इस पर अपना-अपना दावा करते हैं. रविवार को मुस्लिम पक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि वहां कुछ लोगों ने मूर्ति रखने की कोशिश की है. जिसके बाद पुलिस की ओर से सीसीटीवी फुटेज और वीडियो की जांच की जा रही है. बाकरवाल के मुताबिक, जांच के आधार पर आरोपियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
मुस्लिम पक्ष के लोगों का कहना है कि हम यहां हर शुक्रवार को नमाज अदा करते हैं. वहीं, कई हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं. हिंदुओं का तर्क है कि राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी. वहीं, मुस्लिम इसे कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं. इसी तरह के दावों के कारण पहले भी कई मौकों पर धार शहर में तनाव की स्थिति बन चुकी है. बसंत पंचमी का त्योहार होने पर ऐतिहासिक इमारत भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिमों के बीच फसाद हुए हैं.
कुछ इतिहासकार कहते हैं कि सबसे पहले धार में परमार वंश का शासन था. यहां पर 1000 से 1055 ईस्वी तक राजा भोज ने शासन किया. राजा भोज सरस्वती देवी के अनन्य भक्त थे. उन्होंने ही 1034 ईस्वी में यहां पर एक महाविद्यालय की स्थापना की, जिसे बाद में ‘भोजशाला’ के नाम से जाना जाने लगा. इसे हिंदू सरस्वती मंदिर भी मानते थे. ऐसा कहा जाता है कि 1305 ईस्वी में अलाउद्दीन खिलजी ने यहां हमला कर दिया था. उसने भोजशाला को ध्वस्त कर दिया था. बाद में 1401 ईस्वी में दिलावर खान गौरी ने भोजशाला के एक हिस्से में मस्जिद बनवा दी. 1514 ईस्वी में महमूद शाह खिलजी ने दूसरे हिस्से में भी मस्जिद बनवा दी.
हिंदु अनुयायियों के मुताबिक, इस जगह पर 1875 में खुदाई की गई थी. खुदाई में देवी सरस्वती की प्रतिमा निकली. जिसे मेजर किनकेड नाम का अंग्रेज लंदन ले गया. और, वो प्रतिमा अभी भी लंदन के संग्रहालय में है. हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में प्रतिमा को लंदन से वापस लाए जाने की मांग भी की गई है.
— भारत एक्सप्रेस
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