दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने दिल्ली दंगे के एक मामले में संदेह के आधार पर 11 लोगों को बरी कर दिया. उन सभी पर दंगे के दौरान घर लूटने एवं उसमें आग लगाने का आरोप था. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलसत्या प्रमांचलना ने कहा कि जिन दो पुलिस वालों ने आरोपियों की पहचान की है उनकी बयान विश्वसनीय नहीं है. क्योंकि उन्होंने 10 महीने के बाद उनकी पहचान की है. जबकि वे पहले से ही कुछ को जानते थे. अगर वे आरोपियों को जानते होते तो उसी समय उसका खुलासा करते.
न्यायाधीश ने उक्त टिप्पणी करते हुए आरोपी सुमित उर्फ बादशाह, अंकित चौधरी उर्फ फौजी, आशिष कुमार, सौरभ कौशिक, भूपेंदर, शक्ति सिंह, पप्पु, विजय अग्रवाल, सचिन कुमार उर्फ रैंचो, योगेश शर्मा व राहुल को सभी आरोपों से बरी कर दिया.
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उनलोगों पर आरोप था कि वे उस भीड़ के सदस्य थे, जिन्होंने 25 फरवरी, 2020 को गोकुलपुरी इलाके के एक घर को लूट लिया था और उसमें आग लगा दिया था. इसको लेकर शिकायतकर्ता नौशाद के बयान के आधार पर 4 मार्च, 2020 को प्राथमिकी दर्ज की थी. पुलिस ने जांच के बाद पहला आरोप पत्र 3 मार्च, 2020 को दाखिल किया था और उसके बाद दो पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था.
-भारत एक्सप्रेस
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