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Caste Based Survey Report: बिहार सरकार ने जारी किए जातिगत गणना के आंकड़े, जानें किस जाति की कितनी आबादी

बिहार में हुई जातिगत गणना की रिपोर्ट को नीतीश सरकार ने जारी कर दिया है. अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए डेटा को जारी किया.

बिहार में जातिगत गणना के आंकड़े जारी

बिहार में हुई जातिगत गणना की रिपोर्ट को नीतीश सरकार ने जारी कर दिया है. अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए डेटा को जारी किया. जाति आधारित गणना को लेकर बिहार की सियासत में जमकर हंगामा मचा था. ये मामला हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा था.

कौनसी जाति कितने फीसदी?

जातिगत गणना की जारी हुई रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में पिछड़ा वर्ग 27.13 फीसदी, अत्यंत पिछड़ा वर्ग 36.1 प्रतिशत और सामान्य वर्ग 15.52 फीसदा है. राज्य की कुल आबादी 13 करोड़ है. डेटा जारी करते हुए अपर मुख्य सचिव विवेक सिंह ने कहा कि 1 जून 2022 को हुई सर्वदलीय बैठक में जाति आधारित गणना कराने के प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित कराया गया था. इसके बाद 2 जून को राज्य मंत्री परिषद के फैसले के आधार पर दो चरणों में गणना को कराए जाने का फैसला लिया गया था. जिसे फरवरी 2023 तक संपन्न कराने की बात कही गई थी.

“सभी धर्मों और जातियों की गणना को संपन्न कराया है”

अपर मुख्य सचिव ने आगे बताया कि न्याय के साथ विकास के सिद्धांत पर राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी धर्मों और जातियों की गणना को संपन्न कराया है. गणना के अनुसार बिहार की जनसंख्या 13 करोड़ 7 लाख 25 हजार 310 है. जिसमें बिहार के बाहर रहने वालों की संख्या 53 लाख 72 हजार 22 है.

पुरुषों की संख्या कितनी?

पुरुषों की कुल संख्या की बात करें तो 6 करोड़ 42 लाख 31 हजार 990 है. इसके अलावा महिलाओं की संख्या 6 करोड़ 38 हजार 460 है. अन्य की संख्या 82836 है. गणना के मुताबिक, 1 हजार पुरुषों पर 953 महिलाएं हैं. दो करोड़ 83 लाख 107 परिवारों का सर्वे कराया गया है.

महिलाओं की संख्या कितनी?

रिपोर्ट के अनुसार बिहार में हिंदुओं की संख्या 10 करोड़ 71 लाख 92 हजार 958 है. इसके अलावा मुस्लिमों की संख्या 23249925 है. ईसाइयों की संख्या 72 हजार 238, सिख 14 हजार 753, बौद्ध 111201 और जैन 12523 हैं.

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जातिगत गणना के पीछे क्या दिया था तर्क?

बता दें कि नीतीश कुमार की सरकार ने जातीय गणना कराने के पीछे तर्क दिया था कि जातीय गणना होने से आरक्षण के लिए प्रावधान करने और तमाम सरकारी योजनाओं को बेहतर तरीके से लागू करने में इससे मदद मिलेगी.

-भारत एक्सप्रेस

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